गांव उप्पली दर्शन ¨सह के मार्ग दर्शन में होगा प्रदूषणमुक्त
संगरूर धान के सीजन में धान की कटाई के बाद पराली को आग लगाए जाने से वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए किसानों को पराली न जलाने के लिए खेतीबाड़ी विभाग लगातार जागरूक किया जा रहा है। इसी कड़ी के तहत गांव उप्पली के किसान ने गांव उप्पली को प्रदूषण मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके तहत किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
धान की कटाई के बाद पराली को आग लगाए जाने से वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए किसानों को पराली न जलाने के लिए खेतीबाड़ी विभाग लगातार जागरूक किया जा रहा है। इसी क्रम में गांव उप्पली के किसान ने गांव उप्पली को प्रदूषण मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके तहत किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जाएगा। गांव को प्रदूषण मुक्त करने का बीड़ा गांव उप्पली के किसान दर्शन ¨सह ने उठाया है। पिछले वर्ष गांव उप्पली को पंजाब खेतीबाड़ी मैनेजमेंट एंड एक्सटेंशन ट्रे¨नग इंस्टीट्यूट द्वारा यूनिइटेड नेशनल इनवायरामेंट प्रोग्राम की मदद से गांव को प्रदूषण मुक्त करने व धान की पराली को आग न लगाने के लिए चुना गया था। इस प्रोजेक्ट के तहत पराली की संभाल के लिए छह हैपीसीडर भी खरीद कर दिए गए।
गांव उप्पली में वर्ष 2017 के दौरान करीब 500 एकड़ में गेंहू की बिजाई हैपीसीडर की मदद से की गई व इस दौरान किसान दर्शन ¨सह का गेहूं का झाड़ करीब 23 ¨क्वटल तक रहा। मौजूदा समय के दौरान पंजाब सरकार द्वारा धान की पराली की संभाल के लिए चलाई स्कीम क्राप रैसीडियू मैनेजमेंट तहत दस लाख कस्टम हाइ¨रग सेंटर स्थापित करने के लिए खेती मशीनरी पर 80 फीसद सब्सिडी दी गई है। दर्शन ¨सह द्वारा अपने गांव के किसानों सहित मिलकर स्वयं सहायता ग्रुप स्थापित किया गया है। दर्शन ¨सह के प्रयासों से खेतीबाड़ी व किसान भलाई विभाग द्वारा उन्हें हैपी सीडर, जीरो ड्रिल, एसएमएस कंबाइन स्कीम में सौंपा गया है। दर्शन ¨सह ने विभाग को भरोसा दिलाया कि वह गांव को पूर्ण तौर पर पराली जलाने से प्रदूषण मुक्त करेगा तथा अन्य किसानों को भी इसके लिए जागरूक किया जाएगा। दर्शन ¨सह ने कहा कि हैप्पीसीडर से बिजाई करने से पहले उनके खेत में कलर की मात्रा काफी अधिक थी, परंतु गेहूं की नाड़ व धान की पराली खेतों में ही दबाने से जैविक मात्रा में वृद्धि हुई है, जिस कारण कलर की मात्रा खत्म हो गई है। इससे फसलों का झाड़ बढ़ा है व खेती खर्चों में भी कमी आई है। दर्शन ¨सह ने कहा कि गेहूं की नाड़ व धान की पराली को आग लगाने से जमीन की उपजाऊ शक्ति व अन्न उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है। पीएयू की सिफारिशों अनुसार धान की पटाई एसएमएस सिस्टम से करवाकर गेहूं की सीधी बिजाई हैपी सीडर की मदद से की जाती है। पिछले दो वर्षों से 30 एकड़ जमीन पर हैपी सीडर की मदद से खेती की जा रही है, जिसका भरपूर फायदा मिला है।