डेढ़ माह में भी नहीं बन सकी 110 करोड़ प्रोजेक्ट की जांच की फाइनल रिपोर्ट
शहर में 110 करोड़ के 2016 में आरंभ हुए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (सीटीपी) प्रोजेक्ट संबंधी शिकायत की अढ़ाई माह तक चली जांच के बाद भी फाइनल रिपोर्ट अभी तक नहीं बन पाई है।
मनदीप कुमार, संगरूर
शहर में 110 करोड़ के 2016 में आरंभ हुए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (सीटीपी) प्रोजेक्ट संबंधी शिकायत की अढ़ाई माह तक चली जांच के बाद भी फाइनल रिपोर्ट अभी तक नहीं बन पाई है। बेशक अंतिम पड़ाव पर पहुंची जांच को डेढ़ माह हो गए हैं, लेकिन कार्रवाई न होने के कारण शहर वासियों में आक्रोश बढ़ गया है। क्योंकि, 18 माह में समाप्त होने वाला प्रोजेक्ट का काम अधूरा है। परियोजना के संपन्न होने से शहर निवासियों की काफी समस्याओं का हल हो सकता है, लेकिन प्रशासन का सुस्त रवैया परेशानी का सबब बन रहा है।
नवंबर 2016 को शहर में 110 करोड़ रुपये की लागत का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रोजेक्ट आरंभ किया था। इसके तहत शहर में शत फीसद सीवरेज व पेयजल सुविधा, गलियों का निर्माण, एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाई जानी थी। एग्रीमेंट के अनुसार बेशक प्रोजेक्ट 18 माह में संपन्न किया जाना था, लेकिन नवंबर तक भी सभी कार्य संपन्न नहीं हो पाए हैं। इसके लिए कंपनी की लापरवाही जहां सामने आई। वहीं सीवरेज विभाग ने भी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं निभाया है, जिस कारण विकास कार्य अधूरे हैं। शहर वासी जतिदर कालड़ा द्वारा प्रोजेक्ट में बरती जा रही लापरवाही व लोगों की समस्याओं का हल न होने की शिकायत सरकार से की थी। अढ़ाई माह तक जांच सहायक कमिश्नर (शिकायतें) के पास चली, लेकिन अभी तक अंतिम कार्रवाई नहीं हुई।
दिसंबर तक लगाए जाने हैं लाइटों के पोल
प्रोजेक्ट की जांच आरंभ होने पर जहां अधूरे विकास कार्यों को निपटाने में संबंधित कंपनी ने तेजी दिखाई थी, वहीं अब डेढ़ माह से ठंडे बस्ते में पड़ी अंतिम रिपोर्ट के कारण विकास कार्यों में एक बार फिर सुस्ती आ गई है। गौर हो कि शहर में सीवरेज लाइन डालने के बाद बनाई गलियों में एक हजार लाइटों के पोल लगाए जाने थे, लेकिन चार वर्ष में भी यह सभी पोल नहीं लग पाए। कंपनी ने जांच के दौरान दावा किया कि दिसंबर तक सभी पोल लगा दिए जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। नवंबर समाप्त होने के बाद भी पोल लगाने का कार्य संपन्न नहीं हुआ है। एक पोल की कीमत करीब 27 हजार रुपये है।
जगह के अभाव कारण नहीं बना एसटीपी
प्रोजेक्ट में सीवरेज ट्रीटमेंट के लिए शहर में दो एसटीपी बनाए जाने थे। लेकिन, चार वर्ष के कार्यकाल के दौरान केवल एक ही एसटीपी बन पाया है, जबकि दूसरे के लिए जमीन का विवाद अटका हुआ है। दोनों सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनने से ही शहर शत फीसद सीवरेज सुविधा से लैस हो सकता है, लेकिन एक एसटीपी के अभाव के कारण स्लम बस्तियों की आबादी को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। प्रोजेक्ट का अधिकतर फंड खर्च किया जा चुका है, जिसके चलते लंबित कार्यों को पूरा करने के लिए और पैसों की जरूरत होगी, जिसका सरकार पर भी अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा।
प्रोजेक्ट समय पर संपन्न न करना बड़ा उल्लंघन
समाजसेवी कमल आनंद ने कहा कि प्रोजेक्ट को एग्रीमेंट के अनुसार 18 माह में संपन्न करने की शर्त रखी थी, लेकिन चार वर्ष का समय गुजरने के बाद भी प्रोजेक्ट संपन्न नहीं हो पाया है। आज भी लोग सीवरेज ओवरफ्लो, पानी की पर्याप्त सप्लाई के अभाव, स्ट्रीट लाइटों सहित अन्य समस्याओं से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिकायत की जांच संपन्न करके कंपनी व संबंधित विभाग के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, क्योंकि जनता के करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया गया है। यह प्रोजेक्ट शहर वासियों के लिए बेमायने साबित हो रहा है, क्योंकि समस्याएं बरकरार हैं।
जांच अधिकारी से करेंगे मुलाकात
शिकायतकर्ता जतिदर कालड़ा ने कहा कि शहर निवासियों की समस्याओं को देखते हुए ही प्रोजेक्ट संबंधी शिकायत सरकार से की थी। अढ़ाई माह तक जांच करने के बाद डेढ़ माह का अतिरिक्त समय गुजर गया है, लेकिन जिम्मेदारों के खिलाफ अंतिम कार्रवाई नहीं हुई। यह बेहद ही मायूसी भरा रवैया है। जांच के दौरान संबंधित कंपनी व सीवरेज बोर्ड की लापरवाही खुलकर सामने आई है, इसके बावजूद अंतिम कार्रवाई पर ढील बरती जा रही है। वह जल्द ही संबंधित जांच अधिकारी से मुलाकात करेंगे व कार्रवाई की मांग करेंगे। अगर कार्रवाई न की तो अदालत का दरवाजा खटखटाने से गुरेज नहीं करेंगे।