206 करोड़ के सीवरेज व पानी प्रोजेक्ट का एलान, फंड जेरो
जागरण संवाददाता, संगरूर : विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता परिवर्तन होते ही पिछली सरकार के स
जागरण संवाददाता, संगरूर :
विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता परिवर्तन होते ही पिछली सरकार के समय में चल रहे विभिन्न प्रोजेक्टों के कार्यों पर विराम लग गया। शहरों में सीवरेज की शत फीसद सुविधा के लिए सीवरेज प्रोजेक्ट हो या पीने के पानी के लिए पाइप लाइन डालने का कार्य, सभी अधर में लट गए हैं। बेशक कांग्रेस सरकार ने एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद जिले के लिए 206 करोड़ रुपये की लागत से सीवरेज व पानी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए हरी झंडी दिखा दी है, लेकिन फंड न मिलने के कारण काम आरंभ नहीं हो पाया है। कांग्रेस सरकार के दूसरे बजट से जिला निवासियों को काफी उम्मीदें हैं। 206 करोड़ रुपये के इस एलान में से 90 करोड़ रुपये संगरूर शहर में सीवरेज, पानी सप्लाई व स्ट्रीट लाइटों पर खर्च की जानी है। संगरूर, दिड़बा, मालेरकोटला में जहां सीवरेज प्रोजेक्ट अधर में लटका है, वहीं सुनाम, धूरी, अमरगढ़ सीवरेज प्रोजेक्ट का राह ताक रहे हैं। गत माह एक खास समागम दौरान निकाय मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू उक्त राशि का एलान करते हुए एक सप्ताह के भीतर राशि जारी करने का वादा शहर निवासियों से करके गए थे, लेकिन महीना भर बीतने के बावजूद अभी तक सरकार ने राशि जारी नहीं की है। नए बजट के दौरान इस राशि के जारी होने की उम्मीद है। यदि यह राशि जारी होती है तो शहर संगरूर सहित जिले भर में अधर में लटके सीवरेज प्रोजेक्ट का कार्य संपन्न हो जाएगा। सीवरेज के अभाव के कारण यहां नई कालोनियां अधिकृत होने से वंचित हैं, वहीं शहर के ठप सीवरेज सिस्टम के कारण बरसात के पानी के जमाव, सीवरेज ओवरफ्लो की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। हालात इस कदर बदतर हैं कि लोगों को पीने के पानी के लिए भी तरसना पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में लोग पानी की बूंद-बूंद को तरसते हैं। साथ ही स्ट्रीट लाइटों के अभाव से शहर की सड़कें शाम ढलते ही अंधेरे के आगोश में समा जाती हैं। साथ ही राज्य सरकार मालरेकोटला में बेशक चार हाईवे पास कर चुकी है, लेकिन अभी तक किसी का भी निर्माण आरंभ नहीं हो पाया है। इंडस्ट्रीयल हब का इंतजार, मिलेगा रोजगार
संगरूर : सत्ता परिवर्तन के बाद सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने अपने पहले बजट दौरान संगरूर के लिए इंडस्ट्रीयल हब का एलान करके संगरूर के उद्योगपतियों सहित नौजवानों के दिलों में अपनी जगह बना ली थी, लेकिन इंडस्ट्रीयल हब के लिए न तो अभी तक जमीन एक्वायर हो पाई है और न ही आगे कोई कदम बढ़ाया गया है। इंडस्ट्रीयल हब के लिए संगरूर हलके के कई गांवों की पंचायती जमीन में से जमीन को चयनित किया गया है, जिसमें से भवानीगढ़ इलाके के गांव बालद कलां में सैकड़ों एकड़ जमीन को चयनित किया, जिसका बकायदा पंचायत ने इंडस्ट्रियल हब को देने का प्रस्ताव भी पास किया है, ¨कतु कई संगठनों ने इसका विरोध करते हुए दलित आरक्षित जमीन का हिस्सा इंडस्ट्रियल हब को देने से साफ इंकार कर दिया है। ऐसे में इंडस्ट्रियल हब का प्रोजेक्ट भी फिलहाल अधर में ही लटका हुआ है। संगरूर हलका नेशनल हाईवे, रेलवे स्टेशनों से जुटे होने के कारण इस जगह को इंडस्ट्रियल हब के लिए पूरी तरह से कारगर माना जा रहा है। उद्योगपतियों व नौजवानों का मानना है कि यदि सरकार यहां इंडस्ट्रीयल हब स्थापित करती हैं तो यहां हलके का सर्वपक्षीय विकास होगा, वहीं नौजवानों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, ¨कतु एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी संगरूर के हाथ खाली ही हैं। दूसरे बजट से उद्योगपतियों को भारी उम्मीद है कि यदि सरकार इंडस्ट्रीयल हब के लिए कोई बड़ा एलान करती हैं तो संगरूर की नुहार बदली जा सकती है।