होली पर मोदी-योगी पिचकारियों का क्रेज
संगरूर रंगों के त्योहार होली की तैयारियों में शहर के बाजार भी रंगीन हो गए हैं। वहीं चुनावी माहौल होने के कारण पिचकारियों पर मोदी योगी का रंग भी चढ़ा हुआ है। पिचकारियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बाहुबली दिखाया गया है वहीं पिचकारी को मोदी-योगी का नाम दिया गया है। ऐसे में इस बार होली पर सियासी रंग भी खूब चढ़ेगा। होली के त्योहार पर बाजार में हर्बल रंगों सहित एस्बेस्टम चाक पाउडर सिलिका क्षारीय बेस रंग भी उपलब्ध है। उक्त रंग बाजार में 50 से 400 रुपए प्रति किलो बिक रहे हैं जिनमें कीमत के हिसाब से क्वालिटी में भी काफी अंतर है। इनके अलावा बच्चों की पसंदीदा पिचकारियां की बाजार में भारी किस्में मौजूद है जिनकी कीमत
अश्वनी शर्मा, संगरूर
रंगों के त्योहार होली की तैयारियों में शहर के बाजार भी रंगीन हो गए हैं। वहीं चुनावी माहौल होने के कारण पिचकारियों पर मोदी, योगी का रंग भी चढ़ा हुआ है। पिचकारियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बाहुबली दिखाया गया है, वहीं पिचकारी को मोदी-योगी का नाम दिया गया है। ऐसे में इस बार होली पर सियासी रंग भी खूब चढ़ेगा। होली पर बाजार में हर्बल रंगों सहित एस्बेस्टम, चाक पाउडर, सिलिका, क्षारीय बेस रंग भी उपलब्ध है। उक्त रंग बाजार में 50 से 400 रुपए प्रति किलो बिक रहे हैं, जिनमें कीमत के हिसाब से क्वालिटी में भी काफी अंतर है। इनके अलावा बच्चों की पसंदीदा पिचकारियों की बाजार में भारी किस्में मौजूद है, जिनकी कीमत 80 से 500 रुपए तक रखी गई है। इस बार बाजार में पिचकारी की कई किस्में मौजूद हैं, जबकि बच्चों को लुभाने के लिए कार्टून जैसी कई पिचकारियों सहित नरेंद्र मोदी, योगी राज की पिचकारियां भी मार्केट में मौजूद हैं। इनके साथ ही बाजार में नई किस्म के स्प्रे रंगों का भी दौर शुरू हो चुका है। हालांकि, इस त्योहार को खुशीपूर्वक मनाने के लिए डाक्टरों द्वारा दी गई जानकारियों को भी ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि केमिकल से बने रंगों से चमड़ी व आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में होली के जश्न के दौरान सावधानियां बरतना भी जरूरी है। सुखे रंगों, फूलों से खेले होली, पानी न करें बर्बाद
वातावरण प्रेमी समीर फत्ता, वकील कमल आनंद, डॉ. एएस मान ने कहा कि होली का त्योहार खुशियों का त्योहार है, जहां सभी गिले-शिकवे भुलाकर दोस्ती को रंगों से रंगा जाता है, लेकिन साथ ही यह भी संदेश देना बेहद जरूरी है कि रंगों के इस त्योहार पर पानी की बर्बादी न हो। संगरूर में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है, जिसके चलते होली का त्योहार सुखे रंगों व फूलों से मनाएं, ताकि इन्हें साफ करने में अधिक पानी की बर्बादी न हो। केमिकल रंगों से करे गुरेज : डॉ. नवदीप अरोड़ा
चमड़ी रोगों के माहिर डॉ. नवदीप अरोड़ा का कहना है कि बाजारों में केमिकल्स से बने रंगों की होड़ लगी हुई है, जिससे चमड़ी को नुकसान पहुंचता है और इसके कई गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ऐसे बच्चों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए, क्योंकि बच्चों की चमड़ी बेहद संवेदनशिल होती है। किसी के साथ भी होली खेलते हुए केमिकल रंगों का इस्तेमाल न करें, केवल साधारण घरेलू रंग जैसे मेहंदी, हल्दी, फूलों से बने रंगों, चंदन की लकड़ी से बने रंगों का प्रयोग करना चाहिए, जिससे उनकी त्वचा कोई नुकसान नहीं होता। आंखों पर अवश्य लगाए चश्मा : डॉ. संजीव अग्रवाल
आंखों के माहिर डॉ. संजीव अग्रवाल का कहना है कि मार्केट में बिकने वाले केमिकल्स युक्त रंगों से आंखों को भारी नुकसान पहुंचता हैं। आंखों को रंगों से बचाने के लिए होली खेलते समय चश्मा अवश्य लगाया जाना चाहिए। आंखों में रंग पड़ने पर आंखों को मलने की बजाए, साफ पानी से अच्छी तरह से धो लेने चाहिए। यदि आंखों में किसी प्रकार की जलन या कोई रगड़ महसूस होती है तो डाक्टर से सलाह अवश्य लें। बच्चों की आंखों के पास रंग कतई न लगाएं।