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अदालत से लगाई गुहार, सिचाई विभाग की प्रॉपर्टी की जाए अटैच

संगरूर संगरूर की सात सरकारी प्रापर्टियों को नीलाम करके घग्घर दरिया को चौड़ा करने के लिए एक्वायर की गई जमीन के मालिकों को मुआवजा देने के जिला अतिरिक्त सेशन जज की अदालत द्वारा आदेशों के मामले में एसडीएम मूनक ने अदालत में अपील दायर की। एसडीएम ने अपने अपील में अदालत से गुहार लगाई कि इस मुआवजे की भरपाई के लिए सरकारी इमारतों को नीलाम करने की बजाए सिचाई विभाग की इमारतों को अटैच किया जाए। गौर हो कि वर्ष 2007 में खनौरी मूनक इलाके में घग्घर दरिया को चौड़ा करने के लिए 592 एकड़ एक्वायर की गई थी। सरकार ने जमीन मालिकों को साढे चार लाख रुपये प्रति एकड़ के अनुसार ही मुआवजा प्रदान किया था जिसे जमीन मालिकों ने नाकाफी मानते हुए अधिक मुआवजे के लिए अदालत में गुहार लगाई थी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 04:46 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 04:46 PM (IST)
अदालत से लगाई गुहार, सिचाई विभाग की प्रॉपर्टी की जाए अटैच
अदालत से लगाई गुहार, सिचाई विभाग की प्रॉपर्टी की जाए अटैच

जागरण संवाददाता, संगरूर :

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संगरूर की सात सरकारी प्रॉपर्टियों को नीलाम करके घग्घर दरिया को चौड़ा करने के लिए अधिकृत की गई जमीन के मालिकों को मुआवजा देने के जिला अतिरिक्त सेशन जज की अदालत द्वारा आदेशों के मामले में एसडीएम मूनक ने अदालत में अपील दायर की। एसडीएम ने अपने अपील में अदालत से गुहार लगाई कि इस मुआवजे की भरपाई के लिए सरकारी इमारतों को नीलाम करने की बजाए, सिचाई विभाग की इमारतों को अटैच किया जाए।

गौर हो कि वर्ष 2007 में खनौरी, मूनक इलाके में घग्घर दरिया को चौड़ा करने के लिए 592 एकड़ जमीन एक्वायर की गई थी। सरकार ने जमीन मालिकों को साढ़े चार लाख रुपये प्रति एकड़ के अनुसार ही मुआवजा प्रदान किया था, जिसे जमीन मालिकों ने नाकाफी मानते हुए अधिक मुआवजे के लिए अदालत में गुहार लगाई थी। एसडीएम ने अदालत में दायर की याचिका में स्पष्ट किया कि जमीन एक्वायर की पूरी प्रक्रिया सिचाई विभाग को जमीन दिलाने के लिए की गई थी। एसडीएम कार्यालय ने सिचाई विभाग को जिम्मेवार ठहराते हुए सिचाई विभाग की प्रॉपर्टी के तौर पर सिचाई विभाग के चीफ इंजीनियर पंजाब के चंडीगढ़ कार्यालय, सिचाई विभाग की इनोवा कार व दो जीप अटैच करने की अपील की है।

उल्लेखनीय है कि आठ मार्च को अतिरिक्त सेशल जज ने जमीन मालिकों को उनकी बनती रकम देने के लिए डिप्टी कमिश्नर संगरूर का रिहायश, सरकारी रणबीर कॉलेज, बस स्टैंड संगरूर, रेडक्रास भवन संगरू, पटवारखाना, एसडीएम कार्यालय मूनक, रणबीर क्लब संगरूर की जगह की नीलामी करने के आदेश जारी किए थे। जमीन बेचकर प्राप्त होने वाली राशि घग्गर नहर की एक्वायर की गई 592 एकड़ जमीन के मालिक को देने के आदेश सुनाया है। अदालत के आदेशानुसार 26 मार्च को नोटिस लगाने की प्रक्रिया होगी, जबकि 18 अप्रैल को मुनादी करवाई जाएगी व पहली मई को इन इमारतों की नीलामी होगी।

वकील ललित कुमार गर्ग ने अदालती मामले की जानकारी देते कहा कि वर्ष 2007 में सरकार ने खनौरी की घग्गर दरिया को चौड़ा करने के लिए खनौरी, खनौरी कलां, मकरोड़ साहिब, मंडवी, चांदू, शाहपुर, अनदाना, नवागांव, होतीपुर, बाउपुर, बनारसी की लगभग 592 एकड़ जमीन एक्वायर की थी। सरकार ने इन गांवों के जमीन मालिकों को 4 लाख 60 हजार रुपये प्रति एकड़ के दाम अनुसार बनती रकम मुआवजे के तौर पर दी, लेकिन जमीन मालिकों ने इसे बेहद कम मानते हुए अधिक मुआवजे के लिए माननीय हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट द्वारा केस को सुनवाई के लिए निचली अदालत में भेज दिया गया, जहां 20 दिसंबर 2017 को संगरूर अदालत के अतिरिक्त सेशन जज ने अपने फैसला सुनाते पीड़ितों को जमीन का करीब 39 लाख रुपये तय किया। 39 लाख प्रति एकड़ जमीन के दाम सहित उजाड़ा भत्ता 30 प्रतिशत के हिसाब से 31 जनवरी 2018 तक देने का आदेश जारी किया। केस को जनवरी 2019 में एडीशनल सेशन जज जसविन्दर सिंह की अदालत में दोबारा खुलवाया व पीडित परिवारों को पैसा दिलाने के लिए सरकारी संपत्ति अटैच करने की गुहार लगाई, जिस पर अदालत ने डिप्टी कमिश्नर संगरूर की रिहायश, बस स्टेंड संगरूर, सरकारी रणबीर कालेज, रेडक्रास भवन, पटवारखाना संगरूर, रणबीर क्लब, एसडीएम कार्यालय मूनक को अटैक करने के आदेश जारी कर दिए। माननीय अदालत ने इस मामले में सरकार से एतराज की मांग की गई थी, परन्तु सरकार द्वारा कोई एतरा नहीं दर्ज करवाने पर अदालत ने जमीनें अटैच करके नीलामी के आदेश दिए।

इस पर एसडीएम मूनक ने अदालत में अपनी अर्जी दायर कर पक्ष रखा है कि पूरी प्रक्रिया सिचाई विभाग को जमीन दिलाने के लिए की गई थी। पैसे में देरी की जिम्मेवारी सिचाई विभाग की बनती है। एसडीएम विभाग को जैसे ही सिचाई विभाग से पैसे मिल जाएंगे, उसी हिसाब से तुरंत किसानों को पैसे बांट दिए जाएंगे। साथ ही अपील की कि सरकारी प्रॉपर्टी अटैच करने की बजाए, सिचाई विभाग की प्रॉपर्टी अटैच की जाएं।


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