मानव शरीर ईश्वर की सबसे अनोखी व सुंदर रचना: यमुना भारती
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के स्थानीय आश्रम सुनाम में मनुष्य जीवन व विश्व भाइचारे के संदेश को समर्पित आध्यात्मिक कार्यक्रम करवाया गया।
संवाद सूत्र, सुनाम ऊधम सिंह वाला (संगरूर) : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के स्थानीय आश्रम सुनाम में मनुष्य जीवन व विश्व भाइचारे के संदेश को समर्पित आध्यात्मिक कार्यक्रम करवाया गया। इसमें अपने विचारों को रखते हुए साध्वी यमुना भारती ने कहा कि भारतीय संस्कृति में मानव शरीर को ईश्वर की सबसे अनोखी, सुंदर व बेहतरीन रचना बताया गया है। मानव शरीर ही एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा परमात्मा की प्राप्ति की जा सकती है। इसलिए प्रत्येक मानव के जीवन का केवल एक ही उद्देश्य रह जाता है कि वह ईश्वर भक्ति में लग जाए। साध्वी ने कहा कि आज समाज में यह धारणा बन गई है कि ईश्वर भक्ति केवल असहाय, अनपढ़, दुर्बल व हताश लोगों का काम है। संसार में देखते हैं कि अधिक संख्या में ऐसे मनुष्य ही हैं जो इंद्रिय भोग के पदार्थों से बढ़तर किसी वस्तु को नहीं जानते धन-धान्य, कपड़े, पुन्न-कलन्न, बंधु-बांधव व भौतिक सामग्रियों पर ही उनकी ²ढ़ प्रीति रहती है, लेकिन भक्त मनुष्यों की प्रबल आसक्ति इसके विपरीत ईश्वर के प्रति रहती है। उन्होंने कहा कि आज के पढ़े-लिखे समाज को यह समझना होगा कि भक्ति किसी वस्तु का संहार नहीं करती वरना हमें यह सिखाती है कि हमें जो-जो शक्तियां मिली हैं उनमें से कोई निरर्थक नहीं हैं, बल्कि उन्हीं में से होकर हमारी मुक्ति का स्वाभाविक मार्ग है भक्ति न तो किसी वस्तु का विरोध करती है व न वह हमें प्रकृति के विरूद्ध चलाती है। भक्ति तो केवल हमारी प्रकृति को ऊंचा उठाती है व उसे अधिक शक्तिशाली प्रेरणा देती है। उन्होनें कहा कि हमें भी अपने जीवन के परम उद्देश्य प्रभु प्राप्ति में लग जाना चाहिए जिसके लिए पूर्ण संत की शरण में जाएं जो हमारे भीतर अध्यात्मकता को विकसित कर हमें हमारे वास्तविक लक्ष्य ईश्वर का साक्षात्कार कराए।