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हाथ में भाकियू के झंडे, किसान एकता जिंदाबाद के नारे लगाते निकली संगरूर में दूल्हे की बरात

संगरूर के घराचों में बरात भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के झंडे दिखाई दी। शहनाई की जगह बाराती भारतीय किसान एकता जिंदाबाद के नारे गूंजे। वे नए कृषि कानूनों (Agricultural law) को रद करने की मांग कर रहेे थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 05:40 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 11:14 AM (IST)
हाथ में भाकियू के झंडे, किसान एकता जिंदाबाद के नारे लगाते निकली संगरूर में दूल्हे की बरात
संगरूर के गांव घराचों में भारतीय किसान यूनियन के झंडों के साथ निकली बरात। जागरण

जेएनएन, भवानीगढ़ [संगरूर]। बरात में शहनाई, दूल्हे के हाथ में कृपाण तो अक्सर देखने को मिलती है, लेकिन कृषि सुधार कानूनों के विरोध के बीच गांव घराचों में वीरवार को नए अंदाज में किसान के पुत्र यादविंदर सिंह की बरात निकली। बरातियोंं के हाथ में भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के झंडे दिखाई दिए, जबकि शहनाई के बजाय भारतीय किसान एकता जिंदाबाद के नारे गूंजे। गांव के लोग भी बाजार का यह अलग ही नजारा देखकर हैरान थे, लेकिन किसानों के हक में बरात का यह नजारा देखने लायक था। 

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उल्लेखनीय है कि भवानीगढ़ के गांव घराचों में भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के ब्लाॅक नेता हरजिंदर सिंह घराचों के चचेरे भाई यादविंदर सिंह द्वारा अपनी बरात यूनियन के झंडे के तले रवाना की गई। यादविंदर सिंह के घर से ही सभी रिश्तेदार हाथ में किसान यूनियन के झंडे लेकर दूल्हे के साथ-साथ चले। बाजार की रवानगी पर किसान एकता जिंदाबाद के नारे लगाए गए।

यादविंदर सिंह ने कहा कि इस बरात का मकसद खेती कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानी संघर्ष में एकजुटता व्यक्त करना है। आज केंद्र की सरकार ने कृषि कानून पास करके किसानों को बर्बादी की ओर धकेलने का प्रयास किया है। पंजाब का हर किसान इन कानूनों के खिलाफ संघर्ष लड़ रहा है। ऐसे माहौल में वह भी अपने विवाह की खुशियों को ऱोष के रूप में ही मनाने की खातिर यह कदम उठाया है। अगर सरकार ने यह कानून तुरंत रद न किए तो किसानों के घरों में बजने वाली खुशियों की शहनाइयां भी सुनाई नहीं देगी, क्योंकि किसान के हाथों से उनकी जमीन व फसलों कारपोरेट घऱानों व पूंजीपतियों के हाथों में चली जाएगी। किसान अपनी जमीन बचाने व अपने हक प्राप्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 

यादविंदर सिंह के पिता गुरतेज सिंह ने कहा कि उन्हें नाज है कि उनके पुत्र ने किसान दर्द को समझते हुुए अपने विवाह पर किसानी संघर्ष को बयान किया है। आज हर किसान इस दर्द को समझ रहा है और कृषि कानूनों के हाथों किसानों को अपनी बेइंसाफी की एहसास हो गया है, जिससे किसानों की खुशियां छिनती दिखाई दे रही है। पंजाब के हर किसान, नौजवान, महिला व हर परिवार को इन कृषि कानूनों के खिलाफ आगे आकर संघर्ष करना चाहिए व अपना विरोध दर्ज करवाना चाहिए।

दूल्हे के चाचा हरजिंदर सिंह व मनजीत सिंह ने कहा कि उनका खुशियों के अवसर में भी पूरी तरह किसानी संघर्ष को समर्पित हैं। अगर किसान की जमीन व फसल पर उसका अधिकार है तो ही किसान की खुशियां जिंदा हैं। 22 दिन से किसान संघर्ष जारी है, लेकिन केंद्र या पंजाब सरकार ने किसानों को राहत प्रदान नहीं की है।

उन्होंने कहा कि किसानों को वोट बैंक के तौर पर देख रही है, जबकि किसान अपने हकों की खातिर अपनी जान कुर्बान करने की खातिर संघर्ष की राह पर चल रहा है। आज बेशक घर पर शादी का प्रोग्राम है, लेकिन वह आज भी संघर्ष को जारी रखते हुए इस अनौखे तरीके से बरात लेकर घर से निकले हैं, ताकि सरकारों की आंखों को खोला जा सके कि किसान हर फ्रंट पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष लड़ रहा है। दूल्हे की मां माता गुरमीत कौर, पिता गुरतेज सिंह व सभी रिश्तेदारों द्वारा खुशी व्यक्त की गई। साथ ही उन्हें दुआ की कि परिवार के चिराग के विवाह की खुशियों की भांति ही जल्द ही उन्हें कृषि कानूनों के रद होने की खुशी भी मिले। 


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