किसान पराली को जलाने के बजाय आमदन का बनाए साधन : मिश्रा
लौंगोवाल (संगरूर) पराली को जलाने की बजाए इसका उपयोग किया जाना चाहिए।
संवाद सूत्र, लोंगोवाल (संगरूर)
स्लाइट यूनिवर्सिटी लोंगोवाल के ट्रेनिग एंड प्लेसमेंट विभाग के प्रमुख डॉ. आरके मिश्रा ने कहा कि राज्य के किसान पराली को जलाने की बजाय आमदन के स्त्रोत के तौर पर इस्तेमाल करें। देश के कई स्थानों पर पराली से पशुओं का चारा, मचान, टोकरियां, खिलौने, चटाई व रस्सी जैसी घरेलू वस्तुएं तैयार की जाती हैं। इससे वहां के लोग अच्छी आमदन हासिल कर बेहतर जिदगी जी रहे हैं। ऐसे में राज्य के बेरोजगार युवाओं को पराली के प्रयोग संबंधी शिक्षा हासिल कर इसे आर्थिक धंधे के तौर पर अपनाकर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस समय पंजाब में पराली से 62 मैगावाट बिजली उत्पादन किया जाता है। एक किलो पराली से तीन किलो भाप पैदा होती है, जबकि प्रत्येक वर्ष पंजाब में दो करोड़ टन पराली को आग लगा दी जाती है। ऐसे में अगर किसी संस्था द्वारा बिजली कारखानों को मांग मुताबिक पराली मुहैया करवाएं तो बिजली का उत्पादन 600 मेगावाट तक किया जा सकता है।