नहीं मिले दशहरा के लिए पुतले बनाने के आर्डर
सुखदेव सिंह पवार संगरूर हर साल दशहरे के लिए रावण मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतले बनाने को आर्डर नहीं मिले।
सुखदेव सिंह पवार, संगरूर :
हर साल दशहरे के लिए रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतले बनाने का काम इस वक्त तक शुरू हो जाता था। जन्माष्टमी के एक सप्ताह के बाद ही बड़े शहरों में पहुंच कर तैयारी शुरू कर देते थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। महामारी के कारण जहां राम लीला होने का कम ही आसार लगते हैं वहीं दशहरा मनान को लेकर स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। इसी वजह से पुतले बनाने वाले कारीगरों को मायूसी का सामना करना पड़ रहा है। जिले भर में इस काम में करीब 15 कारीगर हैं जो हर हर साल पुतले बनाने का काम करते हैं। कई कारीगर पहले से पुतले बनाने की सामान भी खरीद लिया था, लेकिन आर्डर न मिलता देख उनको वह भी नुकसान होता दिख रहा है। राम लीला कमेटियों के प्रबंधक भी इस बार दशहरा मनाने के पक्ष में नही हैं। नहीं मिला काम : विजय कुमार
शहर में नाभा गेट पर वर्षों से टाट व चिक का काम करने वाले विजय कुमार ने बताया कि इस बार कोरोना ने उनका लाखों का काम छीन लिया है। सामान्य दिनों में जन्माष्टमी के एक सप्ताह बाद उनको जिले से वह जिले के अन्य शहरों से पुतले बनाने के आर्डर मिल जाता था, इस बार महामारी के कारण अब तक उनको एक भी आर्डर नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि उनके पहले उनके पिता लाल चंद लालू यही काम किया करते थे। वह खुद 1977 से यही काम कर रहे हैं। शहर में होने वाले मुख्य बग्गी खाना राम लीला के पुतले पिछले कई वर्षों से वही बनाते आ रहे हैं। उनको जिले के अन्य शहरों से भी पुतले बनाने के आर्डर मिल जाते थे। इसके अलावा स्कूलों, कॉलेजों सहित गली मोहल्ला में बच्चों द्वारा भी उनको काफी पुतलों के आर्डर मिल जाते थे। 40 हजार के बांस ले आए थे। पुतले बनाने में उसके परिवार वालों के साथ चार मजदूर भी काम करते थे। डेढ़ महीने तक पुतले बनाने में लग जाता था। अब बच्चों द्वारा गली मोहल्ला में दशहरा पर्व से थोड़ी बहुत कमाई की आशा है। वह मात्र गली मोहल्लों में रावण दहन के लिए 10 से 12 पुतले तो बना ही देते हैं। दिशानिर्देशों का पालन की जाएगी : कमेटी प्रधान
बग्गी खाना श्रीराम लीला कमेटी के प्रधान एडवोकेट सुमीर फत्ता ने कहा कि महामारी में वह किसी भी तरह का खतरा नहीं उठाना चाहते। लोगों की जाने सभी कामों से अधिक कीमती है। उनकी राम लीला व दशहरा पर्वा मनाने की कोई इच्छा व तैयारी नहीं है हां अगर सरकार ने दशहरा पर्व मनाने के आदेश दिए तो वह कमेटी सदस्यों की बैठक बुला कर पर्व मनाने की सोच सकते हैं। उनके लिए भी देश वासियों की जाने अधिक मूल्यवान हैं।