नीलम रानी बनी मालेरकोटला की पहली जिला शिक्षा अफसर
शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए अध्यापकों को अपना फर्ज समझते हुए अपनी जिम्मेदारी में कोताही नहीं करनी चाहिए।
संवाद सूत्र, मालेरकोटला : शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए अध्यापकों को अपना फर्ज समझते हुए अपनी जिम्मेदारी में कोताही नहीं करनी चाहिए। उक्त विचार मालेरकोटला की पहली जिला शिक्षा अफसर (एलिमेंट्री) नीलम रानी ने बतौर जिला शिक्षा अफसर अपना पद संभालते हुए पेश किए। उन्होंने कहा कि बच्चों को समय का साथी बनाने के लिए छोटी क्लासों से ही अंग्रेजी की तरफ खास ध्यान देने के लिए अध्यापकों को अगाह किया जाएगा। जिले के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने व उन्हें मानक शिक्षा देने के लिए सुविधाएं प्रदान करना उनकी पहली कोशिश होगी। जिला फरीदकोट के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल शेर सिंह वाला से बदल कर जिला संगरूर के धूरी गांव में बतौर प्रिसिपल पद से पदोन्नत होकर आई जिला शिक्षा अफसर मालेरकोटला नीलम रानी ने शिक्षा विभाग में मास्टर कैडर के तौर पर 29 सितंबर 1989 को जिला अमृतसर से शिक्षा विभाग की सेवा के लिए अपना सफर शुरू किया था। अपनी मेहनत से अप्रैल 1993 में बतौर लेक्चरर फिजिक्स पद हासिल किया व इसके बाद पदोन्नत होकर पहली बार जिला बठिडा के ऐतिहासिक गांव भक्त भाईका में बतौर प्रिसिपल 2012 में अपनी सेवाओं की शुरुआत की। शहर मालेरकोटला में पहली जिला शिक्षा अफसर बनने का उन्हें मान प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि, उनकी कोशिश रहेगी कि जिले के सभी स्कूलों की दिशा व दशा को सुधारा जाए। इस मौके पर उनके पति एसआइ इकबाल राय, मनोज कुमार फरीदकोट, मोहम्मद नासिर, जतीन मेहता, संत कुमार, जसप्रीत सिंह, हरप्रीत कौर, संदीप कुमार, अवतार सिंह, गुरसिमर बातिश, सुशील पाठक, रमनदीप कौर, विजय सिगला, सरबजीत सिंह, सविता कुमारी, कुलजीत कौर, नीलम शर्मा व प्रयाप गुप्ता आदि उपस्थित थे।