पंयाचतें निभाएं जिम्मेदारी, गांवों में खुद ही बंद हो जाएंगे ठेके
दिड़बा (संगरूर) गांवों में शराब के ठेके बंद करवाने के लिए पंचायतों को ज्यादा से ज्यादा प्रस्ताव पास करें।
जेएनएन, दिड़बा (संगरूर)
राज्य के गांवों में खुले शराब के ठेके बंद करवाने के लिए पंचायतों को ज्यादा से ज्यादा प्रस्ताव पास करने चाहिए, ताकि खुलेआम बिक रहे नशे पर लगाम लगाई जा सके। इस संबंधी अपने विचार पेश करते हुए आरटीआइ व समाज सेवी बृजभान बुजर्क ने कहा कि शराब के ठेकों को बंद करवाने में इस बार चुनी गई पंचायतों के नौजवान बहुत बड़ा योगदान डाल सकते हैं। पंचायती राज्य एक्ट 1994 की धारा 40 के तहत 2/3 के बहुमत से एक महीने के आखिर तक प्रस्ताव डालकर आबकारी विभाग को भेजे जाएं या फिर ग्राम सभा का इजलास बुलाकर भी शराब के ठेके गांवों में से बंद करवाए जा सकते हैं। वर्ष 2003 में 15 पंचायतों ने शराब के ठेके बंद करवाने के लिए प्रस्ताव डाले थे, जबकि वर्ष 2004-05 में 18 पंचायतों, 2006 में 9, 2007 में 15, 2008 में 10, 2009 में 11, 2010 में यह संख्या बढ़कर 72 पंचायतों तक पहुंच र्गइ। इनमें से 32 गांवों की पंचायतों द्वारा शर्ते पूरी करने के पश्चात शराब की दुकानें बंद कर दी र्गइ थी। इन पंचायतों में जिला संगरूर की 24 व पटियाला की एक पंचायत शामिल थी, जिसकी लड़ी के तहत 9 गांवों में से शराब के ठेके बाहर निकाले गए। उन्होंने कहा कि 30 गांवों की पंचायतों के प्रस्ताव रद्द कर दिए गए थे। इनमें से 26 संगरूर जिले से संबंधित थी। वर्ष 2015-16 के लिए करीब 200 पंचायतों द्वारा शराब के ठेके बंद करवाने के लिए प्रस्ताव डाले गए थे, जिनमें से 100 पंचायतों को ठेके बंद करवाने की मंजूरी मिल र्गइ थी। अब मौजूदा वर्ष में शराब के ठेके बंद करवाने के लिए नौजवान पंच-सरपंचों का योगदान बढ़ने की संभावना है।