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छह साल से नहीं जलाई पराली, बढ़ा उत्पादन

जागरण संवाददाता संगरूर पंजाब सरकार ने किसानों को पराली न जलाने के लिए बड़े स्तर पर मुनाफा कमा रहे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 09:48 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 09:48 PM (IST)
छह साल से नहीं जलाई पराली, बढ़ा उत्पादन
छह साल से नहीं जलाई पराली, बढ़ा उत्पादन

जागरण संवाददाता, संगरूर :

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पंजाब सरकार ने किसानों को पराली न जलाने के लिए बड़े स्तर पर जागरूक करने के अलावा भारी सब्सिडी पर मशीनरी भी दे रही है, ताकि किसान मौके का पूरा लाभ उठाते हुए पर्यावरण को साफ रखने में अपना सहयोग दे सकें। बहुत से किसान सरकार व खेतीबाड़ी विभाग की बात मानकर पराली को बिना जलाए जमीन में ही खपा रहे हैं, जिसकी बदौलत न केवल पर्यावरण प्रदूषित होने से बच रहा है, बल्कि साथ ही फसल की पैदावार भी बढि़या मिल रही है।

ब्लाक भवानीगढ़ के गांव कपियाल का रहने वाला प्रगतिशील किसान गुरबीर सिंह भी गत लंबे समय से अपनी नौ एकड़ जमीन में पराली बगैर जलाए खेती कर रहे है। उन्होंने बताया कि 2014 में गेहूं की सीधी बिजाई हैप्पीसीडर से की थी, जिसका परिणाम काफी अच्छा आने पर वे कई साल तक ऐसा ही करते रहे। अब पहले पराली को बेलर रेकर से गांठे बना लेते हैं, फिर गेहूं की बिजाई करते हैं। बढ़ा मुनाफा, सभी उपकरण खरीदे

गुरबीर ने कहा कि पराली प्रबंधन मुनाफा भी अच्छा मिल रहा है, जिसकी बदौलत अब उसके पास ट्रैक्टर, चोपर, जीरो टिल ड्रिल, ट्राली व अन्य जरूरी खेतीबाड़ी की मशीनरी मौजूद है। इस बार उसने आत्मा स्कीम के तहत धान की सीधी बिजाई का प्रदर्शनी प्लांट भी लगाया हुआ है। पिछले सीजन में गेहूं की बिजाई आरएमबी प्लो व चोपर के जरिए की थी। वर्ष 2020 दौरान उसने खेतीबाड़ी विभाग से क्राप रेड्यूज मैनेजमेंट स्कीम के तहत 50 प्रतिशत उत्पादन पर सुपरसीडर प्राप्त किया है। किसानों की भी मदद करेगा गुरबीर सिंह

गुरबीर सिंह ने कहा कि वह अपने सुपरसीडर के जरिए अपने क्षेत्र के अलावा दूसरे जरूरतमंद किसानों की गेहूं की बिजाई करवाएगा। गुरबीर ने बताया कि पराली को जमीन में मिलाने से खेत में काफी जैविक मादा बढ़ जाता है, जिससे खात व कीटनाशक की जरूरत कम होती है। वे सुपरसीडर की मदद से बिजाई करने में मदद करेगा, ताकि अन्य किसान भी पराली को बिना बजाए सीधी बिजाई को अपनाएं तथा उनका इलाका पराली के धुंए से मुक्त रह सके। वीआइपी कार्ड से भी सम्मानित हुआ गुरबीर

जिला प्रशासन व खेतीबाड़ी विभाग की तरफ से उसे आग न लगाने पर एक वीआइपी कार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। वह विभिन्न खेती संस्थाओं व पीएयू लुधियाना की ओर से आते साहित्य से अपनी जानकारी बढ़ाता रहता है।

गोबर की घरेलू बगीची में इस्तेमाल करे

किसान गुरबीर सिंह ने बताया कि उसके पास गाय व भैसों सहित केवल चार पशु हैं। इनके गोबर को वह रूड़ी की खाद में इस्तेमाल करता है, पशुओं के दूध को घरेलू इस्तेमाल सहित स्वयं मंडीकरण करता है। अपने लिए सब्जी खुद उगाते हैं। किसान पराली न जलाएं : ग्रेवाल

मुख्य खेतीबाड़ी अफसर डा. जसविदर सिंह ग्रेवाल ने बताया कि इस बार खरीफ 2020 दौरान 148 सहकारी सभाओं को 80 प्रतिशत उत्पादन पर पराली की संभाल के लिए उपकरण मुहैया करवाए गए हैं। छोटे व सीमांत किसानों को पहल के आधार पर दिए जाएंगे। इसके अलावा जहां आग लगाने से जमीन की उपजाऊ शक्ति कम होती है, वहीं लाभदायक कीट भी जलकर मर जाते हैं।


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