स्वभाव की शक्ति भगवान ने केवल मनुष्य को दी: महासाध्वी समर्थ
शहर के जैन स्थानक धर्मसभा में जारी धर्मचर्चा के चौथे दिन गुरुवंदना पश्चात उपस्थित प्रेम बंधुओं को संबोधित करते महासाध्वी समर्थ श्री महाराज ने फरमाया कि धर्म की पाठशाला में अ से अनार व अ से आम नहीं सिखाया जाता बल्कि यहां अ से अच्छा अ से आचरण सिखाया जाता है।
जागरण संवाददाता, संगरूर
शहर के जैन स्थानक धर्मसभा में जारी धर्मचर्चा के चौथे दिन गुरुवंदना पश्चात उपस्थित प्रेम बंधुओं को संबोधित करते महासाध्वी समर्थ श्री महाराज ने फरमाया कि धर्म की पाठशाला में अ से अनार व अ से आम नहीं सिखाया जाता, बल्कि यहां अ से अच्छा अ से आचरण सिखाया जाता है। इसका मतलब अच्छा चरित्र बनाना है। यदि आचरण अच्छा होगा तो भविष्य भी खूबसूरत हो जाएगा। अच्छे स्वभाव से मनुष्य की जिदगी स्वर्ग बन जाती है। पशु पक्षियों में ऐसा नहीं है। वह अपना स्वभाव नहीं बदल सकते। यह शक्ति भगवान ने केवल मनुष्य को दी है।
महासाध्वी ने फरमाया कि आयने में चेहरा देखने से कोई सुंदर नहीं बन जाता बल्कि अपने अंदर मन रूपी शीशे को साफ करना चाहिए। जो अच्छे विचारों से सुंदर बनता है।
साध्वी संबुध ने कहा कि अन्न का निरादर नहीं करना चाहिए, इसके एक-एक दाने की कीमत कई दिनों से भूखे व्यक्ति से पूछी जा सकती है। पुण्य करने से पुण्य ही बढ़ते हैं। महासाध्वी ने कहा कि बुधवार को अच्छे स्वभाव बनाने पर चर्चा की जाएगी जिसमें अधिक से अधिक लोग शिरकत करें।