रेहड़ी से लेकर फास्ट फूड कार्नर तक डिजिटल लेनदेन बढ़ा
संवाद सहयोगी बरनाला कोरोना संकट में जीवन शैली में बड़े स्तर पर तेजी से बदलाव आया है।
संवाद सहयोगी, बरनाला : कोरोना संकट में जीवन शैली में बड़े स्तर पर तेजी से बदलाव आया है, जिस रेहड़ी चालक, फास्ट फूड कार्नर व दुकानदार को डिजिटल भुगतान से डर लगता था व मुश्किल होती थी अब वहीं लोग डिजिटल को बढ़ावा दे रहे है। अब लेनदेन के मामले में बाजार के तौर-तरीके बदल रहे हैं व नोटों का प्रचलन तेजी से कम व डिजिटल प्रचलन तेजी से होना शुरू हो गया है। छोटी से छोटी वस्तुओं की खरीद से लेकर दूर भुगतान में अब डिजिटल पेमेंट होना शुरू हो चुका है। मझोले दुकानदार से लेकर बड़ा व्यापारी, रेहड़ी चालक से लेकर फास्ट फूड कार्नर सहित ऑनलाइन डिलीवरी आर्डर पर नेट बैंकिग यूपीआइ, पेटीएम, गूगल कि?ा इस्तेमाल बढ़ है। जिसमें यूपीआइ, पेटीएम, गूगल पे, फोन पे, बीम जैसे विभिन्न एप जैसे फीचर शामिल हैं। शहरों में डिजिटल भुगतान की प्रक्रिया में दुकानदारों से लेकर आम लोगों में करीब 60 फीसद हिस्सा डिजिटल हो चुका है व हर दूसरी रेहड़ी से लेकर जूस कार्नर, फास्ट फूड कार्नर से लेकर छोटी बड़ी दुकान पर विभिन्न एप से डिजिटल भुगतान किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल आसान है व किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं है। परंतु इसके इस्तेमाल के साथ सावधानी भी जरूरी है। डिजिटल पेमेंट के लिए अपना ओटीपी, पासवर्ड सहित डेविट व क्रेडिट कार्ड कि?ा नंबर किसी के साथ शेयर न करें।
रेहड़ी चालक अजय कुमार ने बताया कि इससे बड़ा फायदा है कि दुकानदार उधार का बहाना नहीं लगा सकता है व वहीं पेमेंट सीधे बैंक खाते में जाती है। वहीं उन्हे बड़ा लाभ है। शुरुआत में इस्तेमाल से डर लगा व ठगी भी हुई, परंतु अब आसानी है।
केएस के मालिक बाबू राम ने बताया कि आज कल ग्राहक के पास खुले रुपया नहीं होते, तो डिजिटल काम आता है। वहीं ऑनलाइन आर्डर में एडवांस पेमेंट लेने में आसानी मिलती है।
पंजाब नेशनल बैंक के मैनेजर सुनील दत्त जिदल ने बताया कि इंटरनेट एकांउट एक्टिवेट कराने वालों की संख्या में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं आया है व न ही डेबिट या क्रेडिट कार्ड बनवाने वालों की संख्या में तेजी आई है। वहीं कार्ड स्वाइप मशीन की बिक्री में किसी भी तरह का इजाफा नहीं हुआ है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पक्का कॉलेज रोड़ ब्रांच के मैनेजर अनिल दत्त शर्मा ने बताया कि बैंक खातों में कोई बदलाव नहीं है व प्रतिदिन पहले की तरह से करीब पांच नए खाते बन रहे है व उन खातों के डेबिट या क्रेडिट कार्ड बनाए जाते हैं। वहीं कार्ड स्वाइप मशीन को लेकर कोई रुझान नहीं दिख रहा है। डिजिटल भुगतान बढ़ा है, परंतु बैंक सेवाओं में कोई ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है व लोग डिजिटल एप्लीकेशन से ही भुगतान में रुझान दे रहे है।