बाढ़ का खतरा भाप घग्घर के किनारों को मजबूत करने में जुटे किसान
जागरण संवाददाता संगरूर मानसून के सीजन में घग्गर दरिया एक बार फिर इलाके के लिए खतरा बरकरार।
जागरण संवाददाता, संगरूर
मानसून के सीजन में घग्गर दरिया एक बार फिर इलाके के लिए खतरा बन सकती है। दरिया का कच्चा हिस्सा मूनक से खनौरी तक के इलाके में हर वर्ष तबाही मचाता है, जिससे निपटने के लिए बेशक इस बार जिला प्रशासन सहित गांव के किसान अपने स्तर पर प्रबंध करने में जुट गए हैं, लेकिन घग्गर की मार से बचने के लिए प्रबंधों की कमी हमेशा से खलती रही है। चार गांवों के किसान अपनी तरफ से पैसे इकट्ठा करके जहां किसानों को मजबूत कर रहे हैं, वहीं प्रशासन ने एक करोड़ रुपये के फंड घग्गर की सफाई व किनारों को मजबूर करने के लिए मंजूर किए गए हैं। इससे इलाके को राहत मिलने की उम्मीद है। किसान अपने स्तर पर किनारें कर रहे मजबूत
घग्गर दरिया के किनारे बसे सूरजनभैणी, सलेमगढ़, भुंदड़भाणी व मूनक इलाके के किसान खुद ही घग्गर दरिया के किनारों को मजबूत करने में जुट गए हैं। किसानों ने दो सौ रुपये प्रति एकड़ से करीब पांच सौ रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से पैसे इकट्ठा कर लिए हैं। किसान अपने स्तर पर ट्रैक्टर-ट्राली, जेसीबी की मदद से मकोरड़ साहिब तक के इलाके तक किनारों को मजबूत कर रहे हैं, जिसका काम अगले दिनों में खत्म कर लिया जाएगा। इलाके के किसानों का आरोप है कि सरकार हर वर्ष बाढ़ से निपटने के दावे करती हैं, लेकिन प्रबंध पूरे न होने के कारण हर वर्ष बाढ़ का सामना करना पड़ता है। जब तक घग्गर को पक्का नहीं किया जाता, तब तक तबाही का हल नहीं हो सकता। किनारें मजबूत करना केवल खानापूर्ति ही है। थैले भी मुहैया नहीं करवा पाया प्रशासन
किसानों जसमेल सिंह, राजिदर सिंह, लक्ष्मी नारायण, केवल सिंह भुल्लन ने कहना है कि प्रशासन बाढ़ से पहले थैले मुहैया नहीं करवाया व बाद में यह पचास पैसे से एक रुपये का थैला पांच रुपये में प्रशासन द्वारा खरीदा जाता है। अभी तक फैले न मिलने के कारण किसान अपने स्तर पर थैलों का प्रबंध करके किनारों को मजबूत कर रहे हैं। अगर सरकार उन्हें थैले मुहैया करवाएं तो वह बाढ़ से पहले ही थैले भरकर बाढ़ से बचने का प्रबंध कर सकते हैं। प्रशासन जल्द से जल्द घग्गर की सफाई करवाएं, क्योंकि सफाई के अभाव के कारण पानी की निकासी नहीं हो पाती व कमजोर मिनारें टूट जाते हैं। दस हजार एकड़ फसल बर्बाद, मकानों में पड़ी थी दरार
गत वर्ष प्रभावित हुए किसानों ने कहा कि फूलद के नजदीक 180 फीट से अधिक चौड़ी दरार पड़ने से इलाके में दस हजार एकड़ से अधिक फसल बर्बाद हो गई थी। छह दिन तक प्रशासन ने कड़ी जद्दोजहद के बाद इस दरार को भरा था, लेकिन जब तक फसलों का नुकसान व मकानों में दरार पड़ने से काफी नुकसान हुआ। इसका मुआवजा बेशक सरकार ने दे दिया, लेकिन नुकसान से भरपाई पूरी नहीं हो पाई है। इससे पहले भी वर्ष 2009, 1998, 1993 में भी बाढ़ भारी नुकसान कर चुकी है। रिमाइंडर का नहीं हो रहा प्रभाव : एक्सईएन
एक्सईएन ड्रेनेज विभाग गगनदीप सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अढ़ाई करोड़ रुपये का एस्टीमेट बनाकर भेजा गया है, जिससे घग्गर दरिये के किनारे मजबूत किए जाएंगे व सफाई करवाई जाएगी, लेकिन अभी तक फंड पास नहीं हुए है। फंड मिलने के बाद ही काम आगे बढ़ पाएगा। जिला प्रशासन ने एक करोड़ रुपये की प्रवानगी करवाई है, जिससे किनारों की सफाई का काम शुरू करवाया गया है। एडीसी राजिदर सिंह बत्रा ने कहा कि पंचायत को 25 हजार रुपये थैले खरीदने के लिए अधिकार दिए गए है, ताकि किनारों को मजबूत बनाने के लिए पुख्ता प्रबंध किए जा सकें।