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निकल गए नेता विपक्ष के पांच साल, फिर भी हलका रहा बेहाल

संगरूर जिले का इकलौता विधानसभा (रिजर्व) हलका दिड़बा का विधानसभा में बेशक अहम रोल है लेकिन यह हलका आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 03:58 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 03:58 PM (IST)
निकल गए नेता विपक्ष के पांच साल, फिर भी हलका रहा बेहाल
निकल गए नेता विपक्ष के पांच साल, फिर भी हलका रहा बेहाल

मनदीप कुमार, संगरूर

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संगरूर जिले का इकलौता विधानसभा (रिजर्व) हलका दिड़बा का विधानसभा में बेशक अहम रोल है, लेकिन यह हलका आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है। शिक्षा, सेहत, खेल, इंडस्ट्री सहित अन्य जरूरतें अभी भी अधूरी हैं। हर पांच वर्ष बाद राज्य में नई सरकार बनती है और दिड़बा को नया विधायक मिलता है, कितु इन पांच वर्ष में हलका दिड़बा की तरक्की में कोई कदम नहीं आगे बढ़ता। लिहाजा फिर पांच वर्ष बाद उम्मीदवार वही पुराने मुद्दे लेकर लोगों के सामने पहुंच रहे हैं और लोग फिर एक बार इन चेहरों पर भरोसा करके अपना मतदान करते हैं, कितु हर बार वोटरों के हाथ ठग्गी ही लगती है। बेशक 2017 में लोगो ने इलाके की तरक्की के लिए आम आदमी पार्टी से विधायक हरपाल चीमा को दिड़बा की कमान सौंपी। किस्मत ने साथ दिया तो हरपाल चीमा विधानसभा में विपक्ष के नेता भी बने, लेकिन पंजाब की सियासत में वह ऐसे उलझे कि अपने इलाके के लिए कुछ खास नहीं कर पाए। अब दोबारा से पार्टी ने उन्हें मैदान में उतारा है और उनका मुकाबला फिर शिअद के पुराने चेहरे गुलजार सिंह से है, जबकि कांग्रेस व अन्य पार्टियों ने अभी उम्मीदवार एलान नहीं किए हैं।

शिक्षा : बेशक इलाके के विधायक हरपाल चीमा पांच वर्ष तक पंजाब वारिसों को दिल्ली के शिक्षा माडल की दुहाई देते रहे हैं, लेकिन अपने हलके में शिक्षा के विस्तार के लिए कुछ खास नहीं कर पाए हैं। हलके में नौजवान पीढ़ी के लिए उच्च शिक्षा की खातिर कोई सरकारी कालेज मौजूद नहीं है। ऐसे में बारहवीं के बाद बच्चों को पढ़ाई के लिए कई किलोमीटर दूर संगरूर या सुनाम की तरफ रुख करना पड़ता है। अधिकतर लड़कियों की पढ़ाई बारहवीं पर ही अटक जाती है। हर विधानसभा चुनाव के दौरान उम्मीदवार इलाके को कालेज दिलाने का वादा करते हैं, लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी यह वादा अधूरा है। कई सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी है, जिसे पुरा करवाने को स्वजन व ग्रामीण धरने तक लगाने को मजबूर हुए। हालांकि दिड़बा संगरूर-दिल्ली नेशनल हाईवे पर स्थित हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां कोई कालेज स्थापित न होना बेहद निराशाजनक है। सेहत : शहर सहित आसपास के 50 गांव दिड़बा के कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर पर निर्भर हैं, लेकिन यहां डाक्टरों की कमी सहित आधुनिक सेहत सुविधाओं का घोर अभाव है। इतना ही नहीं, सीएससी में इमरजेंसी सेवा भी नहीं है। दोपहर बाद सेहत केंद्र को ताला लग जाता है। अकाली सरकार के समय दौरान पीएससी को कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर का दर्जा मिला था। करोड़ों की इमारत तो बनी, लेकिन डाक्टर, स्टाफ व उपकरणों की सुविधाएं नहीं मिल पाई। हलका विधायक भी यह कमियां पूरी नहीं करवा पाएं। अस्पताल में इमरजेंसी सेवाएं आरंभ करने की मांग आज भी अधूरी है।

खेल : कबड्डी की नर्सरी के तौर पर जाने जाते दिड़बा में आज भी कोई खेल स्टेडियम नहीं है। पिछली अकाली-भाजपा सरकार के समय दौरान उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने स्टेडियम बनाने का एलान किया था, लेकिन सत्तापरिवर्तन के बाद यह वादा अधर में लटक गया। कबड्डी के अभ्यास के लिए नगर पंचायत का स्टेडियम मौजूद है, लेकिन यहां पर भी अत्याधुनिक सुविधाओं की कमी है। इलाके में पार्कों का निर्माण भी अधूरी ही है। स्टेडियम की मांग आज भी अधूरी है। प्रशासनिक ढांचा व इंडस्ट्री : दिड़बा में अभी तक तहसील कांप्लेक्स का निर्माण नहीं हो पाया है। बीडीपीओ दफ्तर की इमारत के लिए उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने बेशक नींव पत्थर रखा था, लेकिन इसके बावजूद निर्माण पिछले पांच वर्ष में भी नहीं हुआ। विरोधी पार्टी के हाथ हलके की कमान होने के कारण सत्ताधारी पक्ष ने भी हलके से उदासीनता वाला रवैया अपनाया। इतना ही नहीं, इलाके में कोई नई इंडस्ट्री भी स्थापित नहीं हो पाई, जिसकी मदद से नौजवानों को रोजगार का अवसर मिल सके। इलाके की नौजवान पीढ़ी आज भी बेरोजगारी का संताप झेल रहे हैं। ----------------- सड़कें, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट इलाके की सड़कों का निर्माण हो या सीवरेज व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट हर जरूरत से अभी इलाका अछूता है। विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से कुछ समय पहले अमरगढ़ के विधायक सुरजीत धीमान ने ट्रीटमेंट प्लांट का नींव पत्थर रखकर लोगों को सब्जबाग दिखाने का प्रयास किया। कई इलाके सीवरेज व जल सप्लाई से वंचित हैं। वहीं शहर सहित ग्रामीण इलाकों में सड़कों का निर्माण अभी भी अधूरा है। बरसात के दिनों में इलाके में जलभराव की स्थिति से लोगों को परेशान होना पड़ता है। इसका पांच वर्ष में कोई समाधान नहीं हो पाया है।

-------------------- बस स्टैंड : बेशक दिड़बा में शानदार बस स्टैंड का निर्माण हुए लंबा समय गुजर चुका है, लेकिन बस स्टैंड में कोई बस कभी दाखिल नहीं हुई। खाली पड़े बस स्टैंड को अवैध पार्किंग, फसली सीजन दौरान फसल के ढेर लगाकर अनाज मंडी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। बेशक कई बार इलाके के लोग इस बस स्टैंड में बसों की आमद को यकीनी बनाने की मांग कर चुके है, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। आज भी लोग नेशनल हाईवे किनारे चौक पर ही बसों से चढ़ते-उतरने को मजबूर हैं। हलका दिड़बा

कुल वोटर: 182220

पुरुष: 97892

महिलाएं: 84327

थर्ड जेंडर: 01

पोलिग बूथ: 208

सर्विस वोटर: 1069

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चुनावी इतिहास 1977: बलदेव मान (शिअद)

1980: बलदेव मान (शिअद)

1985: बलदेव मान (शिअद)

1992: गुरचरण सिंह (कांग्रेस)

1997: गुरचरण सिंह (कांग्रेस)

2002: सुरजीत धीमान (आजाद)

2007: सुरजीत धीमान (कांग्रेस)

2012: बलवीर सिंह घुन्नस (शिअद)

2017: हरपाल चीमा (आप) -------------

इस बार मैदान में उम्मीदवार

आप से हरपाल चीमा

शिअद से गुलजार सिंह

कांग्रेस- बाकी

अन्य - बाकी


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