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कृषि विधेयक के विरोध में उबले किसान

जागरण टीम संगरूर कृषि विधेयकों के खिलाफ प्रचंड हो रहा किसानों का आंदोलन के तहत प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 10:33 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 05:03 AM (IST)
कृषि विधेयक के विरोध में उबले किसान
कृषि विधेयक के विरोध में उबले किसान

जागरण टीम, संगरूर : कृषि विधेयकों के खिलाफ प्रचंड हो रहा किसानों का आंदोलन के तहत शुक्रवार को पंजाब बंद को संगरूर में पूरा समर्थन मिला, किसानों ने विभिन्न जगहों पर नेशनल, स्टेट हाईवे पर धरना लगाया। जिससे आवागम पूरी तरह से प्रभावित रहा। किसानों के इस संघर्ष में अकाली दल (ब), अकाली दल (डी), आम आदमी पार्टी, शिअद (अ) का समर्थन रहा, लेकिन किसी भी जगह पर मंच पर राजनेताओं को बोलने की इजाजत किसानों ने नहीं दी। किसानों ने एलान किया कि जब तक केंद्र सरकार कृषि विधेयकों को वापस नहीं लेगी, तब तक किसानों का संघर्ष जारी रहेगा। एक अक्टूबर से संघर्ष को तेज किया जाएगा। किसान संगठन एकजुट होकर कृषि विधेयकों के खिलाफ लड़ेंगे। संगरूर में भाकियू राजेवाल ने संगरूर-दिल्ली मुख्य मार्ग पर बरनाला कैचियां चौक में चक्का जाम किया। यहां राजेवाल के ब्लॉक प्रधान हरजीत सिंह, भाकियू डकौंदा के ब्लॉक नेता गुरमेल सिंह, किरती किसान यूनियन के यूथ विग के जिला कनवीनर जसदीप सिंह की अगुआई में किसान धरने में शामिल हुए। धरने पर शिअद (डी) के नेता परमिदर ढींडसा, आप के विपक्ष के नेता हरपाल चीमा, बसपा के नेता चमकौर सिंह समर्थन देने पहुंचे। ढींडसा की अगुआई में शिअद (डी) कार्यकर्ताओं ने ढींडसा आवास से बरनाला चौक तक शहर में रोष मार्च निकाला। हरपाल चीमा बिना किसी सुरक्षा कर्मी के स्कूटी पर सवार होकर धरने में समर्थन देने पहुंचे। दिड़बा में भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ब्लॉक दिड़बा के प्रधान दर्शन सिंह शादीहरी के नेतृत्व में रोड जाम कर खेती विधेयकों के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया गया। शहर के मुख्य चौंक में लगे धरने को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि जब तक किसानों को उनका हक नहीं मिल जाता है। तब तक संघर्ष जारी रहेगा। किसानों के साथ मजदूर, छात्र, मुलाजिम, दुकानदार, कारोबारी, आढ़ती सभी वर्ग शामिल हैं। दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर किसानों के हक में आवाज बुलंद की। लहरागागा में जाखल-पातड़ा रोड पर किसान संगठनों ने कृषि विधेयक के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया गया। किसान कार्यकर्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार खेती ढांचे के नियमों को तहस नहस कर खेतीबाड़ी राज्यों की सूची का विषय होने के बावजूद गलत कानून किसानों पर थोप रही है। कृषि विधेयक व बिजली बिल कानून प्रत्येक वर्ग के लिए खतरनाक है। इन विधेयकों का असर केवल पंजाब ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी देखने को मिल रहा है। उधर, धूरी में शिरोमणि अकाली दल बादल के वर्करों व किसानों ने हरी सिंह नाभा प्रीत ग्रुप के नेतृत्व में मालेरकोटला-धूरी चौक में धरना लगाकर मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। हलका इंचार्ज हरी सिंह ने कहा कि किसान हितैषी पार्टी अकाली दल बादल खेती विधेयक रद करवाने तक अपनी लड़ाई जारी रखेगी। संघर्ष के तहत शहर के ककड़वाल चौक धूरी में भी भारतीय किसान यूनियन राजेवाल सहित भाकियू के नेतृत्व में आढ़तिया एसोसिएशनों, मुनीम एसोसिएशन व मजदूरों द्वारा रोष प्रदर्शन किया गया। उधर, शेरपुर में क्रांति चौक में दुकानदारों द्वारा किसानों के संघर्ष की हिमायत करते हुए दुकानें बंद कर मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। अहमदगढ़ के गुरुद्वारा सिह सभा चौंक में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, लोक इंसाफ पार्टी, शिअद (डी) धार्मिक, समाजिक संगठनों के कार्यकर्ता ने मोदी सरकार के खिलाफ रोष मार्च कर नारेबाजी की गई। मार्च गुरुद्वारा चौक से शुरु होकर शहर के भगत सिंह चौंक, चौड़ा बाजार, मुर्गा बाजार, धूलकोट चौक से होता हुआ वापस गुरुद्वारा साहिब में जाकर समाप्त हुआ। भवानीगढ़ में नए बस स्टैंड समक्ष किसानों के हक में शिरोमणि अकाली दल बादल के कार्यकर्ता अकाली वर्करों द्वारा पार्टी के सीनियर उपप्रधान प्रकाश चंद गर्ग के नेतृत्व में बठिडा-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर चक्का जाम किया गया। वर्करों ने मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कृषि विधेयक वापस लेने की मांग की। अगले संघर्ष के लिए किसानों का एलान

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- एक अक्टूबर से अनिश्चितकालीन समय के लिए रेलवे आवाजाही पूरी तरह से करेंगे ठप।

- भाजपा समेत कृषि विधेयकों का पक्ष लेने वाले सांसद, विधायकों का सामाजिक बायकाट किया जाएगा व उनके घरों का घेराव किया जाएगा।

- हर गांव की ग्राम सभा में कृषि विधेयकों को रद करवाने के लिए प्रस्ताव डाले जाएंगे।

- मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह पर दबाव बनाया जाएगा कि विधानसभा का विशेष सेशन बुलाकर खेतीबाड़ी विधेयकों को पंजाब में लागू न करने का प्रस्ताव डालें।


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