कृषि विधेयकों के लागू होने से पंजाब में बेरोजगार होंगे सात लाख लोग : सिगला
जागरण संवाददाता संगरूर केंद्र सरकार के पास किए गए कृषि विधेयकों के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
केंद्र सरकार के पास किए गए कृषि विधेयकों के खिलाफ रोष बढ़ता ही जा रहा है, किसान जहां सड़कों पर उतर आए हैं, वहीं किसानों के साथ नाखून व मांस का रिश्ता रखने वाला आढ़तियों का वर्ग भी केंद्र सरकार के खिलाफ संघर्ष के मैदान में कूद गए है। रविवार को कैबिनेट मंत्री विजयइंद्र सिगला ने निवास स्थान पर रखी पंजाब आढ़तिया एसोसिएशन की बैठक के दौरान आढ़तियों को नए कृषि विधेयकों का जोरदार विरोध करने के लिए प्रेरित किया।
इस मौके पर पंजाब आढ़तियां एसोसिएशन के प्रधान व पंजाब मंडी बोर्ड के वाइस चेयरमैन विजय कालड़ा व उपप्रधान अमरजीत सिंह की अगुआई में आढ़तियों की 31 सदस्यीय प्रांतीय कमेटी ने कैबिनेट मंत्री विजयइंद्र सिगला के आवास पर विशेष बैठक की। बैठक में कैबिनेट मंत्री विजयइंद्र सिगला ने एलान किया कि कृषि विधेयकों के खिलाफ 25 सितंबर को पंजाब बंद को पूर्ण तौर पर समर्थन दिया जाएगा व मुकम्मल पंजाब बंद करके केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ कृषि विधेयकों का विरोध करते हुए रोष जाहिर किया जाएगा। उक्त कृषि विधेयकों को वापस करवाने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने को हर वर्ग संघर्ष में उतरेगा। इसके साथ ही 21 सितंबर को पंजाब भर के हर गांव, हर शहर, हर कस्बे की अनाज मंडियों, खरीद केंद्रों पर कांग्रेस की अगुआई में आढ़तियों व किसानों से जुड़े हर वर्ग द्वारा धरना व रोष प्रदर्शन किया जाएगा।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए सिगला ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार कृषि विधेयक लाकर किसानों को मारने पर तुली है। इन विधेयकों से पंजाब में सात लाख लोगों का रोजगार छीन जाएगा, क्योंकि अनाज मंडियों के खत्म होने का खतरा है। कृषि विधेयकों से किसान ही नहीं बल्कि आढ़ती, व्यापारी सहित हर वर्ग बर्बाद हो जाएगा, क्योंकि किसान देश का अन्नदाता ही नहीं है, बल्कि किसान व कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं। मोदी सरकार ने अपने नजदीकी कुछ कार्पोरेट घरानों को लाभ देने के लिए यह विधेयक पास किया है। विधेयक केवल किसी आपात स्थिति में लाए जाते हैं, ताकि आपात स्थिति में देश की जरूरत को देखते हुए अहम फैसला लिया जाए, लेकिन मोदी सरकार देश के इतिहास में पहली बार किसान विरोधी नीतियों का विधेयक लेकर आई व बिना किसान व आढ़तियों की सहमति के ही उन्हें पास करके कानून बना रही है। यह कृषि विधेयक किसानों, आढ़तियों, मजदूरों के लिए सीधे तौर पर मौत का वारंट है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी व वह खुद निजी तौर पर इन कृषि विधेयकों का कड़ा विरोध करती है। पंजाब की अर्थव्यवस्था के लिए पंजाब की मंडियां एक अहम पुंज हैं। इस कानून का पंजाब के किसानों सहित अन्य वर्गो को भारी नुकसान पहुंचेगा। किसानों-आढ़तियों, मजदूरों के साथ मिलकर हर प्रकार का संघर्ष किया जाएगा। संसद से लेकर सड़कों तक हर तरह के संघर्ष में उतरेंगे। मोदी की सरकार खुद को व्यापारियों की हितैषी सरकार लहराती है, लेकिन सरकार ने इन कानूनों से देश की अर्थव्यवस्था को भारी ठेस पहुंचाई गई है। किसान-आढ़ती व मजदूरों की नाखून मांस के रिश्ते को तोड़ने का प्रयास किया गया है। केंद्र सरकार ने बिहार से सबक लेने की जरूरत है, जहां 2006 में मंडी सिस्टम बंद कर दिया गया था। यदि रिवायती मंडियां बंद हो गई तो बड़े व मध्यवर्गीय व्यापारियों द्वारा किसानों की लूट करनी आरंभ कर दी जाएगी। किसानों की फसल निर्धारित मूल्य से भी नीचे खरीदी जाएगी। संसद में कृषि मंत्री की स्टेटमेंट पर विचार हो रहा है, कांग्रेस के सांसद भी संसद में कड़ा स्टैंड लेंगे। विजयइंद्र सिगला ने मोदी सरकार से मांग की कि वह तीनों कृषि विधेयकों को वापस लें, इन पर पुन:विचार किया जाए। किसानों-आढ़तियों व मजदूरों व संबंधित वर्ग के साथ बैठक की जाए तथा उनकी सलाह से अगला कदम उठाया जाए। मोदी सरकार की इस धक्केशाही को किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा व इन विधेयकों को वापस करवाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष किया जाएगा। पंजाब सरकार न केवल पंजाब बल्कि अन्य राज्यों में भी इन विधेयकों का विरोध करेगी।