मिट्टी न होवे मतरेयी नाटक का मंचन
राम वाटिका बग्गीखाना के मंच पर आयोजित दो दिवसीय थियेटर फेस्टीवल के पहले दिन शनिवार रात्रि जर्मन के प्रसिद्ध नाटककार बैरतोल बरैखत के नाटक चार्लक सर्किल का पंजाबी अनुवाद मिट्टी ना होवे मतरेयी का मंचन किया गया।
जागरण संवाददाता, संगरूर : रंगशाला थिएटर ग्रुप व कला केंद्र की ओर से राम वाटिका बग्गीखाना के मंच पर आयोजित दो दिवसीय थियेटर फेस्टीवल के पहले दिन शनिवार रात्रि जर्मन के प्रसिद्ध नाटककार बैरतोल बरैखत के नाटक चार्लक सर्किल का पंजाबी अनुवाद मिट्टी ना होवे मतरेयी का मंचन किया गया। इसका पंजाबी अनुवाद अमीतोज और निर्देशन यश ने किया। समारोह में मैनेजिग डायरेक्टर नेशनल टीन इंडस्ट्रीज संगरूर चांद मघान ने मुख्य मेहमान के तौर पर शिरकत की, जबकि प्रधानगी संतोष गर्ग द्वारा की गई। कला केंद्र के प्रधान दिनेश एडवोकेट ने मुख्यातिथि का स्वागत किया व महासचिव सुरिन्द्र शर्मा ने सभी दर्शकों का धन्यवाद किया। नाटक में जालिम बादशाह नाढू खां के खिलाफ प्रजा बगावत कर देती है। लोग महलों को आग लगा देते हैं, बादशाह को महल छोड़कर भागना पड़ता है। उसकी रानी अपने जेवरात व कीमती सामान लेकर महलों से निकल जाती है, लेकिन अपने एक वर्ष के बच्चे को छोड़कर चली जाती है, जिसे रानी की नौकरानी जान जोखिम में डालकर आग से बचाती है। गरीब नौकरानी मेहताव को उस बच्चे से लगाव हो जाता है और वह उस लेकर भाई-भाभी के पास चली जाती है। वहां उसे आश्रय नहीं मिलता, बल्कि उसकी शादी एक उम्रदराज बीमार आदमी के साथ करवा देते हैं। नाटक में प्रो. चरणजीत सिंह, ऋषि कुमार शर्मा, मुस्कान शर्मा, गुरदर्शन सिह, रणजीत सिंह, हरीश कालड़ा, सुखजिदर कौर, मनीश गर्ग, मनजीत गर्ग, सरोज रानी, ममता, संजय वर्मा, ब्रह्मजोत कौर, प्रदीप शर्मा, पीयूष गर्ग, शोभित कुमार सिगला, मनदीप सिंह, मुस्कान कथूरिया, सुक्रीति, अंजू रानी, आरजू खान ने शानदार कलाकारी दिखाई। इस नाटक का संगीत ललित शर्मा, मनदीप सिंह व जश्नप्रीत सिंह ने दिया। मेकअप जसविदर गिल, लाइटिग व्यवस्था राजेश कुमार व दीपू राजदान ने की। इस अवसर पर राम निवास शर्मा, राजिदर शर्मा, सूबे सिंह, हरजिदर सिंह, पूनम गर्ग, पाली राम बांसल व बलविदर जिदल उपस्थित थे।