कांट्रेक्ट वर्करों की हड़ताल, नहीं चली सौ सरकारी बसें, 15 लाख का नुकसान
रेगुलर करने की मांग को लेकर बार-बार हड़ताल करने के बावजूद पंजाब की कांग्रेस सरकार पीआरटीसी पनबस रोडवेज कांट्रेक्ट वर्करों को पक्का करने के फैसले पर हरी झंडी नहीं दे रही है।
जागरण संवाददाता, संगरूर
रेगुलर करने की मांग को लेकर बार-बार हड़ताल करने के बावजूद पंजाब की कांग्रेस सरकार पीआरटीसी, पनबस रोडवेज कांट्रेक्ट वर्करों को पक्का करने के फैसले पर हरी झंडी नहीं दे रही है। सरकार के इस उदासीन रवैये के खिलाफ मंगलवार को कांट्रेक्ट वर्करों ने एक बार फिर अनिश्चितकालीन हड़ताल का बिगुल बजा दिया है।
मंगलवार को कांट्रेक्ट वर्करों ने बस स्टैंड में धरना लगाकर सरकार के खिलाफ रोष जाहिर किया। वहीं ड्राइवरों, कंडक्टरों की हड़ताल के कारण संगरूर डिपो की मात्र 24 बसें ही चल पाई, जबकि 107 बसें संगरूर डिपो की वर्कशाप में ही खड़ी रहीं। कांट्रेक्ट मुलाजिमों की हड़ताल के पहले दिन करीब 15 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान संगरूर डिपो को हुआ है। अगले दिनों तक अगर हड़ताल जारी रही तो इसका भारी आर्थिक नुकसान झेलना होगा। सरकार जहां कांट्रेक्ट वर्करों को कांट्रेक्ट रद करने की धमकी दे रही है, वहीं कांट्रेक्ट वर्करों ने सरकार को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि कांट्रेक्ट वर्कर अपने हक लेकर ही रहेंगे, अन्यथा सरकार को इसका कड़ा खामियाजा भुगतना होगा। हड़ताल के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई-कई घंटे तक बसों का यात्रियों को इंतजार करना पड़ा।
वर्करों का आरोप है कि पंजाब सरकार जानबूझकर वर्करों की मांगों पर ध्यान न हीं दे रही है। उन्हें हड़ताल करने के लिए उकसाया गया है। संगरूर डिपो पर वर्करों को संबोधित करते हुए पंजाब रोडवेज पनबस/पीआरटीसी कांट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन पंजाब के राज्य नेता जतिदर सिंह दीदारगढ़, अवतार सिंह बोड़हाई, डिपो प्रधान जसविदर सिंह जस्सी, सचिव सुखजिदर सिंह ने कहा कि एक दिसंबर को कैबिनेट बैठक में भी उन्हें रेगुलर करने की मांग का कोई हल नहीं निकाला गया। हड़ताल से पहले यूनियन नेताओं ने मंत्री के पीए बाद में ओएसडी को फोन पर संपर्क कर हल निकालने की अपील की गई। जब कोई रास्ता दिखाई नहीं दिया तो मजबूरन वर्करों को बसों का चक्का जाम करना पड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने 14 सितंबर, 6 अक्टूबर को नए ट्रांसपोर्ट मंत्री अमरिदर सिंह वड़िग, 12 अक्टूबर को नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने भरोसा दिलाया, लेकिन आज तक वादा पूरा नहीं हुआ। उन्हें बीस दिनों में पक्का करने का वादा किया, लेकिन नया एक्ट आने के बाद स्पष्ट हुआ कि ट्रांसपोर्ट विभाग का एक भी मुलाजिम पक्का नहीं होता। उन्होंने दस हजार सरकारी बसें डालने, कच्चे मुलाजिमों को पक्का करने, एडवांस बुकर, डेटा एंट्री आपरेटरों के वेतन में बढ़ोतरी करने, नाजायज कंडीशनें लगाकर निकाले मुलाजिम को बहाल करने की मांग की। एलान किया कि यदि नौ दिसंबर की कैबिनेट बैठक में कोई हल न निकाला तो 10 दिसंबर से किसानों, मुलाजिमों व मजदूर वर्ग को लेकर मुख्यमंत्री पंजाब व ट्रांसपोर्ट मंत्री के घर समक्ष धरना दिया जाएगा। मुख्यमंत्री के हलके में रोष धरने, झंडा मार्च सहित अन्य गुप्त एक्शन किए जाएंगे।
इस मौके रमन सिंह कालाझाड़, सुखचैन सिंह, अमरप्रीत कौर पंजाब स्टूडेंटस यूनियन शहीद रंधावा, भाकियू एकता उगराहां के दर्शन सिंह ब्लॉक प्रधान, सुखजीत सिंह, डिपू चेयरमैन लखविदर सिंह, हरप्रीत सिंह, उपप्रधान रणदीप सिंह बावा, कैशियर रणजीत सिंह, राजिदर सिंह रोगला आदि मौजूद थे।