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सर्दी में टाट पर बैठकर पढ़ने को विवश नौनिहाल

संगरूर गांव रविदासपुरा टिब्बी में चल रहे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चे सर्दी के मौसम में स्कूल में बैठने के लिए मैट व टेबल न होने के चलते टाट व दरियों पर बैठकर पढ़ाई करने को विवश हैं। गांव के समाज सेवी गुरतेज ¨सह तेजी, सतपाल ¨सह, मेघा ¨सह, प्रेम ¨सह, अवतार ¨सह, जगसीर ¨सह, मनदीप ¨सह, सुखचैन ¨सह ने जानकारी देते बताया कि इस सरकारी स्कूल में 116 बच्चे पढ़ रहे हैं। यह स्कूल केवल पांचवीं तक है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 05:12 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 06:18 PM (IST)
सर्दी में टाट पर बैठकर पढ़ने को विवश नौनिहाल
सर्दी में टाट पर बैठकर पढ़ने को विवश नौनिहाल

जागरण संवाददाता, संगरूर : सर्दी के बढ़ते प्रकोप के चलते शिक्षा विभाग ने स्कूलों का समय बदलकर बेशक दस बजे तक दिया है, लेकिन स्कूलों के बच्चों को न तो वर्दियां मिली हैं और न ही बैठने के लिए फर्नीचर। ऐसे में बच्चे सर्दी में ठिठुरने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे ही हाल सुनाम के गांव रविदासपुरा टिब्बी के सरकारी प्राइमरी स्कूल का है, जहां बच्चों के पास बैठने को फर्नीचर न होने के कारण बच्चे पुराने टाट पर बैठकर बढ़ने को मजबूर हैं। ऐसे हालात में बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है, क्योंकि सर्दी में ठंडी जमीन पर बैठकर पढ़ना मासूम बच्चों के लिए आसान नहीं है। उल्लेखनीय है कि सरकारी प्राइमरी स्कूल 116 बच्चे पढ़ रहे हैं। यहां बच्चों के बैठने के लिए कमरे तो मौजूद हैं, लेकिन कमरों में फर्नीचर न होने के कारण बच्चों को टाट पर ही बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। सर्दी के मौसम में ठंडी जमीन पर बच्चों के लिए बैठकर पढ़ना आसान नहीं है, जिस कारण बच्चे बेहद परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं। गांव के समाज सेवी गुरतेज ¨सह तेजी, सतपाल ¨सह, मेघा ¨सह, प्रेम ¨सह, अवतार ¨सह, जगसीर ¨सह, मनदीप ¨सह, सुखचैन ¨सह ने जानकारी देते बताया कि इस सरकारी स्कूल में बच्चों को फर्नीचर इत्यादि विभाग द्वारा मुहैया नहीं करवाया गया है। बच्चों के बैठने के लिए टाट की मिले हैं, जबकि कुछ बच्चे अपने टाट अलग तौर पर घर से लेकर आते हैं, ताकि उन पर बैठकर पढ़ाई कर सकें। सरकारें एक तरफ अध्यापकों पर दबाव बनाकर स्कूलों में बच्चों की गिनती बढाने की मांग करती हैं, जबकि दूसरी तरफ सुविधाओं के नाम पर बच्चों को केवल खोखले आश्वासन ही मिलते हैं, जिसके चलते अभिभावकों का सरकारी स्कूलों प्रति मोह भंग हो रहा है। गांव निवासियों ने कहा कि यदि उनके गांव में बने स्कूल में कमरे या किसी अन्य चीज की कमी होती है, तो वह गांव वासियों के सहयोग से मदद करने को तैयार हैं।

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जब इस संबंधी स्कूल के अध्यापक से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि स्कूल में जो भी बच्चों के बैठने के स्त्रोत हैं, वह बच्चों को दिए जाते हैं। गांव के नए बने सरपंच हरजस ¨सह से बात करने पर उन्होंने कहा कि जब भी कोई सरकारी ग्रांट आई तो सबसे पहला स्कूल के बच्चों को फर्नीचर व अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।


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