पराली की आग पर गोशालाएं लगाएंगी विराम
पंजाब के किसानों पर पराली जलाकर दिल्ली तक पर्यावरण को प्रदूषित करने का लगने वाला कलंक अब जल्द ही मिट जाएगा क्योंकि संगरूर के किसान तेजी से पराली के प्रबंधन में जुट गए हैं।
जागरण संवाददाता, संगरूर : पंजाब के किसानों पर पराली जलाकर दिल्ली तक पर्यावरण को प्रदूषित करने का लगने वाला कलंक अब जल्द ही मिट जाएगा, क्योंकि संगरूर के किसान तेजी से पराली के प्रबंधन में जुट गए हैं। दैनिक जागरण द्वारा पराली प्रबंधन के लिए आरंभ किए गए पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे अभियान के तहत किसान पराली को आग लगाने की बजाए इसका सदुपयोग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के जिला मथुरा से संगरूर पहुंचे स्वामी अमृतानंद ने पराली को पशुओं के लिए चारे के तौर पर इस्तेमाल करने की बताई विधि के तहत अब गोशालाएं पराली की मांग करने लगी हैं। साइंटिफिक अवेयरनेस फोरम के प्रधान डॉ. एएस मान की प्रेरणा से किसान मशीन की मदद से अपने खेतों में पराली की गांठें बनवा रहे हैं। इन गांठों को मस्तुआना साहिब के पराली बैंक में जमा करवाया जा रहा है, जहां से संगरूर की गोशालाएं 100 रुपये प्रति क्विंटल दाम पर पशुओं के लिए पराली की खरीद कर रही हैं, वहीं अन्य राज्यों की गोशालाएं भी हजारों एकड़ पराली की मांग कर चुकी हैं।
तीन वर्ष तक जिले को पराली के धुएं से करेंगे मुक्त : डॉ. एएस मान
डॉ. एएस मान ने बताया कि अब पंजाब के माथे से दिल्ली तक प्रदूषण फैलाने के कलंक को मिटाने के लिए नई उम्मीद की किरन पैदा हुई है, जिसके तहत तीन वर्षों में संगरूर को पूरी तरह से पराली के धुएं से मुक्त कर लिया जाएगा। किसान खुद अपनी जमीन पर पराली को आग लगाने की बजाए, पराली की गांठें बनवाने के लिए आगे आ रहे हैं। गोशालाओं ने किसानों से 100 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से पराली की मांग की है। श्री मस्तुआना साहिब के अकाल कौंसिल के सचिव जसवंत सिंह खैहरा से मिले सहयोग की बदौलत मस्तुआना साहिब में पराली बैंक स्थापित किया गया है। जहां से विभिन्न गांवों से आ रही पराली की गांठे बनाकर जिला संगरूर की गोशालाओं में भेजी जा रही हैं। बड़ी बेलर मशीन से एक एकड़ में पराली की गांठे बनाने पर करीब 2500 रुपये खर्च आता है। सारा खर्च गोशालाएं देने को तैयार हैं। वहीं, सरकार ने भी किसानों के लिए 100 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजा देने का ऐलान किया है। अन्य राज्यों की गोशालाओं में हैं लाखों क्विंटल पराली की मांग
स्वामी अमृतानंद ने कहा कि संगरूर के गांवों के किसानों से एकत्रित होने वाली पराली को जिले की विभिन्न गोशालाओं में पहुंचाया जा रहा है। अब गोशाला प्रबंधक खुद आगे आकर पराली की खरीद कर रहे हैं। जिससे गोवंश की खुराक की जहां पूर्ति होगी, वहीं किसानों के लिए पराली का प्रबंधन भी बड़ी समस्या नहीं रहेगा। पंजाब से बाहर दिल्ली, उत्त्र प्रदेश, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में मौजूद गोशालाओं को लाखों क्विंटल पराली की जरूरत है, जिसकी मांग बढ़ने लगी है। गोशालाओं का प्रबंधक यहां से पराली ले जाने के लिए भी तैयार हो रहे हैं, लेकिन इसके लिए सरकार से ट्रांसपोर्ट की मदद की जरूरत है। पराली के बदले में गोशालाएं गोबर देने को तैयार हैं, जिससे जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है। 100 रुपये प्रति क्विटल से पराली की मांग
पंजाब महासंघ के प्रधान रमेश गुप्ता ने कहा कि सभी प्राइवेट गोशालाएं 100 रुपये क्विटल अपनी ट्रांसपोर्ट के जरिए खुद खेतों से पराली की गांठे लेकर जाएंगी, जबकि बाकी की बची पराली को स्वामी अमृतानंद मथुरा लेकर जाएंगे। जहां पर उसे पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जाएगा। ऐसा होने से जहां किसानों को पराली जलाने की सिरदर्दी खत्म होगी, वहीं मवेशियों को भरपूर मात्रा में चारा प्राप्त होगा। पराली की गांठ बनवाने वाले किसानों का बढ़ाया हौसला
जिला कृषि अधिकारी डॉ. जसविदरपाल सिंह ग्रेवाल, कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी के डायरेक्टर डॉ. मनदीप सिंह ने गांव उप्पली में किसान द्वारा पराली की गांठें बनाने के दौरान खेतों का दौरा किया तथा किसानों का हौसला बढ़ाते हुए इस प्रयास की प्रशंसा की। किसानों ने बेहतरीन कदम उठाया है, जिसके लिए अन्य किसानों को भी इनसे सीख लेते हुए पराली को आग लगाना बंद करना चाहिए।