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लड़कियों के अपेक्षा लड़कों का अधिक हुआ जन्म

जागरण संवाददाता संगरूर वर्ष 2020 दौरान संगरूर इलाके में लड़का व लड़की की जन्म दर में क

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2021 08:29 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2021 08:29 AM (IST)
लड़कियों के अपेक्षा लड़कों का अधिक हुआ जन्म
लड़कियों के अपेक्षा लड़कों का अधिक हुआ जन्म

जागरण संवाददाता, संगरूर : वर्ष 2020 दौरान संगरूर इलाके में लड़का व लड़की की जन्म दर में कोई खास अंतर बेशक देखने को नहीं मिला, लेकिन वर्ष भर में लड़कों का जन्म लड़कियों के मुकाबले अधिक हुआ। सिविल अस्पताल संगरूर में हर माह होने वाली चार सौ से अधिक डिलीवरी दौरान लड़के व लड़की की जन्म दर एक सामान रही। वहीं अस्पताल में डिलीवरी के केसों को बढ़ाने में भी सेहत विभाग सफल रहा है, जिससे डिलीवरी समय बच्चों की मौत दर का ग्राफ भी अब गिर गया है। अस्पतालों के जरिये डिलीवरी करवाने के लिए सेहत विभाग आशा वर्करों की मदद से ग्राउंड स्तर पर जहां जागरूकता मुहिम चला रहा है, वहीं गर्भवती महिलाओं का शुरूआती समय से ही पूरा रिकार्ड रखा जा रहा है, ताकि हर गर्भवती महिला की डिलीवरी अस्पताल के जरिये करवाई जा सके।

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उल्लेखनीय है कि जिला संगरूर का सिविल अस्पताल में जिले भर से गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी की जाती है। औसतन अस्पताल में हर दिन दस से अधिक महिलाओं की डिलीवरी की जाती है। अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के बढ़ते डिलीवरी केसों के मद्देनजर अस्पताल के मौजूदा जच्चा-बच्चा सेंटर का विस्तार करके अब साढ़े पांच करोड़ की लागत से नया माई दौलतां जच्चा-बच्चा सेंटर का निर्माण किया गया है। इस सेंटर में गर्भवती महिलाओं के लिए 50 बिस्तर व नवजात बच्चों के लिए दस बिस्तर की क्षमता है, जिसका जिले भर की गर्भवती महिलाओं को फायदा मिलेगा। नए जच्चा बच्चा सेंटर में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है। इमारत बनकर तैयार हो गई है, जिसका जल्द ही उद्घाटन किया जाना बाकी है। उद्घाटन किए जाने के बाद सेंटर में जच्चा-बच्चा को डाक्टरी सुविधा एक ही छत के नीचे मिलेगी। गर्भवती को अस्पताल तक लाने का काम करती हैं आशा वर्कर

आशा वर्कर मलकीत कौर, रविदर कौर ने बताया कि वह अपने इलाके की गर्भवती महिलाओं का रिकार्ड पहले दिन से ही रखती हैं। समय-समय पर गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल से चैकअप करवाने, टीकाकरण के लिए जागरूक करती हैं व खुद उन्हें अस्पताल तक पहुंचाते हैं। डिलीवरी भी अस्पताल में करवाने के लिए काम किया जाता है। घर पर डिलीवरी के कारण पहले जच्चा या बच्चा की मौत के केस काफी अधिक होते थे, जिन पर रोक लगाने के लिए अब हर डिलीवरी अस्पताल में करवाई जाती हैं व गर्भवती महिला सहित परिवार को जागरूक करते हैं कि वह डिलीवरी अस्पताल में ही माहिर डाक्टरों की देखरेख में करवाएं। जच्चा-बच्चा पर सेहत विभाग व सरकार का फोकस : सिविल सर्जन

नवनियुक्त सिविल सर्जन डा. अंजना गुप्ता ने कहा कि सरकार व सेहत विभाग का पूरा फोक्स जच्चा-बच्चा की सेहत पर है। जिसके तहत अब हर गर्भवती महिला की डिलीवरी अस्पताल में करवाने के लिए खास स्कीमों चलाई गई है। सुविधाएं प्रदान की जाती हैं व लड़की के जन्म पर नकद राशि भी दी जाती है। जिला संगरूर के सिविल अस्पताल संगरूर में हर माह 400 से अधिक डिलीवरी करवाई जाती हैं। जच्चा-बच्चा की खातिर नया जच्चा-बच्चा सेंटर बनाया गया है, जिसकी सुविधा भी जल्द आरंभ होगी। माह डिलीवरी लड़के कन्या

जनवरी 488 249 244

फरवरी 362 195 172

मार्च 342 188 157

अप्रैल 277 152 127

मई 313 181 136

जून 330 189 146

जुलाई 493 247 249

अगस्त 528 283 251

सितंबर 483 244 241

अक्टूबर 490 259 232

नवंबर 497 250 269

दिसंबर 505 278 232


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