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पराली जलाने के 6656 मामले सामने आएं, तो 62 फीसदी पराली जलाने से भी बची

सुखदेव सिंह संगरूर धान की बिजाई को अढ़ाई माह का समय गुजर गया है व अगले माह से धान की कटाई शुरू हो जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 10:36 PM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 06:10 AM (IST)
पराली जलाने के 6656 मामले सामने आएं, तो 62 फीसदी पराली जलाने से भी बची
पराली जलाने के 6656 मामले सामने आएं, तो 62 फीसदी पराली जलाने से भी बची

सुखदेव सिंह, संगरूर

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धान की बिजाई को अढ़ाई माह का समय गुजर गया है व अगले माह से धान की कटाई भी आरंभ हो जाएगी। किंतु इसी बीच आरंभ होगा धान की पराली जलाने का दौर व पर्यावरण प्रभावित होने का खतरा। बेशक सरकार ने किसानों पर पर्चे दर्ज करने व गिरदावरी में जमीन की एंट्री लाल स्याही से करने का सख्त फैसला लिया, लेकिन न तो पराली जलाने का सिलसिला थमा है और न ही पराली निस्तारण का प्रबंध हो पाया है। जिला संगरूर में पराली बैंक बनाने का प्रोजेक्ट भी आरंभ किया गया, जिसके तहत दर्जनों गांवों के किसानों ने पराली गोशालाओं के लिए गांठें बनाकर पराली बैंक में जमा करवाई, लेकिन इसके बावजूद जिले में पराली जलाने के 6656 मामले सामने आए। विभाग ने 15 लाख रुपये जुर्माना भी किसानों को ठोका व पर्चे भी दर्ज किए, लेकिन पराली का दहन नहीं थमा। लिहाजा संगरूर जिले को राज्य के हॉट स्पॉट जिलों की सूचि में शामिल गिया गया है।

उल्लेखनीय है कि इस बार पराली को जलाने से रोकने व किसानों क जागरूक करने की खातिर सरकार द्वारा 9 सब डिवीजनों में 9 नोडल अधिकारी चयनित किए गए हैं। पराली जलाने से रोकने के लिए मोबाइल एप तैयार किए गए हैं। यह एप अधिकारियों को मोबाइल फोन पर ही इलाके में कहीं पर भी पराली जलाए जाने का संदेश तुरंत देगी। अगर बात धान के रकबे की करें तो पिछले वर्ष की भांति ही इस बार भी 2 लाख 76 हजार हेक्टेयर रकबे में धान की काश्त की गई है।

गत वर्ष 62 फीसदी रकबे में पराली जलने से बची

जिला मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी जसविदरपाल सिंह ग्रेवाल ने बताया कि पिछले वर्ष पराली जलाने के मामलों की रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों के कारण 62 फीसदी धान के रकबे में पराली को नहीं जलाया गया, यह एक बड़ी उपलब्धि है। इस बार धान के अवशेषों को जलाने को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। सरकार द्वारा जिले में 9 नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। इसके अलावा किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष मुहिम चलाई जाएगी। पराली जलाने वाले किसानों पर नकेल कसने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जुर्माने लगाने के अलावा पर्चे भी दर्ज किए जाएंगे। पराली को जलाने वाले किसानों की जमीन को लाल लकीर में लाया जाएगा। सरकार द्वारा पराली जलाने की रोकथाम के लिए एक मोबाइल एप भी लांच की गई है। पराली न जलाने वाले किसानों को नहीं मिली राशि

जिले में 58 हजार किसानों ने चार लाख 48 हजार 580 एकड़ जमीन पर धान की पराली को आग नहीं लगाई। जिले में 20 लाख 74 हजार 400 टन पराली को आग लगने से बचा लिया गया। अनुमान 112 करोड़ रुपये से अधिक राशि किसानों को पराली न जलाने पर मिलनी चाहिए, लेकिन सरकार ने अभी तक मात्र डेढ़ करोड़ रुपये की राशि ही जारी की है। सरकार के इस रवैये के कारण किसानों को मनोबल भी टूट रही है। वहीं पराली बैंक का विकल्प किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है, लेकिन गांठे बनाने वाली मशीनें किसानों को कम कीमत पर प्रदान की जानी चाहिए। जगरूकता से किसानों को करेंगे प्रेरित

- एसडीएम बबनदीप सिंह वालिया ने कहा कि किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है कि वह फसलों के अवशेष न चलाएं। इससे जहां पर्यावरण दूषित होता है, वहीं धरती उपजाऊ शक्ति नष्ट होती है। गत वर्ष जागरूकता के माध्यम से जिले में पराली जलने से रोकने में काफी सफलता मिली थी, जिसे आगे भी जारी रखेंगे। साथ ही पराली बैंक की विधि को सफल बनाया जाएगा।


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