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विदेश जाने की चाहत में घर नहीं बसा रहे गबरू

सचिन धनजस, संगरूर : पंजाब खासकर मालवा में धूमधड़ाके वाली शादियों की संख्या पिछली बार से 50 प्रतिशत

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jan 2018 05:40 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jan 2018 05:40 PM (IST)
विदेश जाने की चाहत में घर नहीं बसा रहे गबरू
विदेश जाने की चाहत में घर नहीं बसा रहे गबरू

सचिन धनजस, संगरूर :

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पंजाब खासकर मालवा में धूमधड़ाके वाली शादियों की संख्या पिछली बार से 50 प्रतिशत कम रह गई। हालांकि, ऐसा नहीं है कि लड़के-लड़कियों ने शादियां नहीं की, बल्कि हकीकत यह है कि विदेशी दौड़ के चक्कर में खर्चे वाली शादियों से सभी ने तौबा कर ली है। जिस वजह से विवाह की शुरुआत से लेकर अंत तक निभाई जाने वाली रस्मों में वस्तुओं के विक्रेताओं का कारोबार बड़े स्तर पर प्रभावित हुआ है। हालात की बड़ी मार कपड़ा, सोना, फर्नीचर बेचने वाले व्यापारियों के अलावा मैरिज पैलेस मालिकों के कारोबार पर पड़ी है। ठेके पर लेकर पैलेस चलाने वाले लोगों के जेब में पैसे आने की बजाए पैसे जाने के आसार पैदा हो रहे हैं। हालांकि, लोगों द्वारा बेशक बाहरी तौर पर विवाहों की कम हो रही गिनती को पिछले समय में हुई नोटबंदी जीएसटी व चिटफंड कंपनियों के दीवाला से जोड़कर देखा जा रहा है, ¨कतु यह नाममात्र कारण हो सकते हैं। शादियों की गिनती कम होने का बड़ा कारण पिछले कई वर्षों से पढ़े लिखे नौजवानों का आइलेट्स कर विदेशों की तरफ रुख करना अहम है।

मौजूदा वर्ष में यह प्रबल रुचि जनून का रूप धारण कर गई है। पंजाब में कभी-कभी कुछ नौकरियां निकलती हैं, ¨कतु बेरोजगार पढ़े-लिखे नौजवान लड़के-लड़कियों की गिनती लाखों में है। सरकार के इस व्यवहार ने नौजवानों में अपनी ही धरती पर बेगानगी की भावना पैदा कर दी है। अभिभावक अपनी बच्चों के भविष्य धुंधला होता देख जमीन जायदाद दांव पर लगाने के अलावा हर हाल में 20-20 लाख रुपये खर्च कर बाहर जाने को विवश है। ज्यादातर अभिभावक विवाह पर भारी रकम खर्च करने की बजाए अपनी बेटियों को विदेश भेजने में प्राथमिकता देते हैं। हालात तो ऐसे हो गए हैं कि आईलेट्स की गई लड़की के विदेश खर्चे तक लड़के के परिजन उठाने लगे हैं, ताकि उनका बेटा विदेश में सुरक्षित ¨जदगी जी सके।

कनाडा जाने वाले इन नौजवानों की आयु 18 वर्ष से 27 वर्ष तक ज्यादातर है। विदेश जाने की रूचि पंजाब में विवाह कम होने से इसलिए भी जुड़ती है, क्योंकि बाहर गए नौजवान दो या तीन वर्ष पढ़ाई करते हैं। तीन वर्ष का वर्क परमिट मिलता है। अभिभावक पक्का होने की सूरत में लड़के का विवाह करने को वहां पर ही पहल देते हैं।

एक्साइज व कर विभाग के सुप¨रटेंडेंट वासवीर ¨सह ने बताया कि पिछले वर्ष पहली मार्च 2017 से 31 दिसंबर तक 751 विवाहों के परमिट जारी हुए थे, जबकि मौजूदा वर्ष उनके पास पहली अप्रैल तक 31 दिसंबर तक 643 परमिट जारी हुए हैं। इसी तरह दिड़बा क्षेत्र के घुमाण पैलेस व दो अन्य पैलेसों के मालिक सतनाम ¨सह ने बताया कि उनके पास इस बार 25 फीसदी विवाह कम हुए हैं। लहरागागा के जीपीएफ परिसर के मैनेजर राज कुमार ने बताया कि उनके पास इस बार 15 फीसद विवाहों की कम बु¨कग हुई है।


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