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श्रीमद्भागवत पुराण कथा के तीसरे दिन पूतना का किया उद्धार

आनंदपुर साहिब के साथ लगते कस्बे गंगूवाल के राधाकृष्ण मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य हरी गोपाल हमीरपुर वालों ने प्रवचनो की रसधारा बहाई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 06:00 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 06:00 PM (IST)
श्रीमद्भागवत पुराण कथा के तीसरे दिन पूतना का किया उद्धार
श्रीमद्भागवत पुराण कथा के तीसरे दिन पूतना का किया उद्धार

संवाद सहयोगी, श्री आनंदपुर साहिब : आनंदपुर साहिब के साथ लगते कस्बे गंगूवाल के राधाकृष्ण मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य हरी गोपाल हमीरपुर वालों ने प्रवचनो की रसधारा बहाई। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण जन्म के बाद गोकुल गांव नंद जी के घर आए तो सारे नंद गांव में खुशियों से चारों तरफ भजन संकीर्तन हो रहा था। उधर जबसे कंस को पता चला कि उसकी मौत का जन्म हो चुका है वह अपने महल में परेशान होकर घूम रहा था। उसने पूतना नामक राक्षसी को भेजा कि जितने भी आसपास के गांवों में नवजन्मे बच्चे हैं उनको खत्म कर दो।

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पूतना वहां से निकली और जो भी नवजन्मे बच्चे थे उनको अपना स्तनपान करवाती गई तथा मारती गई। फिर वह नंद बाबा के घर पहुंची और खुद को उनका रिश्तेदार बताकर लला को अपनी गोद में उठाया और अपना स्तनपान करवाने लगी। भगवान कृष्ण को पता था। उन्होंने दूध के साथ उसके प्राण भी लेने शुरू कर दिए। पूतना जोर जोर से शोर मचाने लगी मुझे बचाओ। इसके साथ ही पूतना का अंत हो गया।

शिव भगवान को पता चल गया था कि भगवान विष्णु ने बाल रूप में जन्म ले लिया है। वह भगवान के दर्शन करने के लिए नंद बाबा के घर आए तथा द्वार पर बैठ गए। यशोदा मैया ने जब उन्हें देखा तो डर गई। लेकिन भगवान शिव ने कहा कि माता मुझे आपके बच्चे के दर्शन करने हैं। माता डर गई और ऐसा बाबा जिसके गले में सांप भूत जैसे दिखने वाले शिव को लल्ला को दिखाने से इंकार कर देती है तो बाल कृष्ण रोने लग जाते हैं। भगवान शिव ने भगवान बाल गोपाल के दर्शन किए तथा वह एक दूसरे को निहारने लगे। इसके बाद उनका नामकरण किया गया। लल्ला बड़ा हो गया गोपियां उसके दर्शन करने के लिए घर पर आ गई। इसके बाद गोवर्धन पर्वत को छप्पन भोग लगाए फिर आरती की गई। श्रोताओं को प्रसाद बांटकर कर लंगर बरताया गया।


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