माफ नहीं हुई है स्कूल की ट्यूशन फीस, बहकावे में ना आएं अभिभावक
कोविड-19 की वजह से शिक्षा के नए सत्र की शुरुआत से ही द रैनेसां स्कुल भनुपली के छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर रहा है।
जागरण संवाददाता, नंगल :
कोविड-19 की वजह से शिक्षा के नए सत्र की शुरुआत से ही द रैनेसां स्कुल भनुपली के छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर रहा है। सभी अभिभावक स्कूल के अध्यापकों द्वारा किए जा रहे कठिन परिश्रम की सराहना कर रहे हैं लेकिन कुछ शरारती तत्व स्कूल फीस को लेकर बेवजह विवाद पैदा कर रहे हैं। स्कूल प्रबंधन ने कहा है कि अभिभावक जागरूक बनकर बच्चों को साक्षर बनाने में सहयोग दें। स्कूल के चेयरमैन कुशल चौधरी ने कहा है कि पंजाब सरकार ने कभी ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया जिसमें यह कहा गया हो कि स्कूल की ट्यूशन फीस माफ कर दी गई है। इसके अलावा माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी अभिभावकों को शत-प्रतिशत ट्यूशन फीस व एडमिशन फीस जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। माननीय हाईकोर्ट के डबल बेंच ने भी ट्यूशन फीस में कोई राहत नहीं दी है, परंतु फिर भी पंजाब सरकार तथा माननीय हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ कुछ शरारती लोग समाज में व सोशल मीडिया में स्कूल फीस को लेकर गलत माहौल पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।
कुशल चौधरी ने यह जानकारी भी दी कि अध्यापकों के कठिन परिश्रम एवं बच्चों के भविष्य को देखते हुए लगभग सभी अभिभावक अपने बच्चों की ट्यूशन फीस स्कूल में आकर जमा कर रहे हैं। अगर लॉकडाउन की वजह से किसी को भी फीस जमा करवाने में कोई दिक्कत है तो वे स्कूल में आकर बात कर सकते हैं। परंतु अगर विद्यार्थी अप्रैल माह से लगातार ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है और उन्होंने अप्रैल माह से अब तक स्कूल में कोई ट्यूशन फीस नहीं जमा करवाई है और ना ही स्कूल को इस बारे आवेदन किया है तो माननीय हाईकोर्ट के आदेशानुसार ऐसे बच्चों को पढ़ाना मुश्किल होगा। उन्होंने बताया कि कोर्ट के डबल बेंच से ट्यूशन फीस की छूट मिलना लगभग नामुमकिन है, परंतु ट्रासपोर्ट, बिल्डिंग में थोड़ी बहुत राहत की उम्मीद की जा सकती है। उन्होंने कहा कि शरारती लोगों के पीछे लग कर अभिभावकों को कुछ हासिल नहीं होगा। ऐसे लोगों का काम स्कूल फीस के मुद्दे पर अपनी राजनीतिक रोटिया सेंकने के अलावा और कुछ नहीं है और ना ही ऐसे लोग स्कूल फीस में कोई राहत दिलवाने में सामर्थय हैं।