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आइआइटी विद्यार्थियों ने शुरू की झुग्गी पाठशाला

रूपनगर आइआइटी के पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स ने आइ्आइटी के सामने रहने वाले स्लम एरिया के बच्चों को स्कूलों तक पहुंचाने का बीड़ा इस कद्र संजीदगी से उठाया है कि इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। आइ्आइटी स्टूडेंट्स ने स्लम एरिया के बच्चों को बेसिक शिक्षा देने और स्कूल जाने के लिए दिमागी तौर पर तैयार करने के लिए झुग्गी पाठशाला शुरू कर दी है। इसका उदघाटन हो गया है। इससे पहले आइआइटी स्टूडेंट्स अतुल ¨सह, रतनेश और वर्षा का आइडिया अमली रूप में साकार हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 31 Dec 2018 05:47 PM (IST)Updated: Mon, 31 Dec 2018 05:47 PM (IST)
आइआइटी विद्यार्थियों ने शुरू की झुग्गी पाठशाला
आइआइटी विद्यार्थियों ने शुरू की झुग्गी पाठशाला

अजय अग्निहोत्री, रूपनगर

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आइआइटी के पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स ने आइआइटी के सामने रहने वाले स्लम एरिया के बच्चों को स्कूलों तक पहुंचाने का बीड़ा इस संजीदगी से उठाया है कि इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। विद्यार्थियों ने स्लम एरिया के बच्चों को बेसिक शिक्षा देने और स्कूल जाने के लिए दिमागी तौर पर तैयार करने के लिए झुग्गी पाठशाला शुरू की है। इसका उद्घाटन हो गया है। इससे पहले आइआइटी स्टूडेंट्स अतुल ¨सह, रतनेश और वर्षा का आइडिया अमली रूप में साकार हुआ है। उनकी अस्थायी पाठशाला और अब झुग्गी पाठशाला के लिए स्थानीय युवा किसान रणवीर राणा ने जगह दी है। अब 33 के आसपास स्लम एरिया के बच्चे रोजाना उनके पास पढ़ने आते हैं। उनका लक्ष्य है कि इलाके का एक भी बच्चा ऐसा न रहे जो साक्षर होने के वंचित हो। वो चाहते हैं कि बच्चे स्कूल जाएं। उनका जीवन स्तर ऊंचा हो। अतुल ¨सह ने कहा कि देश की सर्वोच्च शिक्षा संस्थान के सामने स्लम एरिया में बच्चे अनपढ़ हों और उनके अभिभावक उन्हें पढ़ाने में नाकामयाब न हो इसलिए पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स का ग्रुप बनाया। जो इन बच्चों को रोजाना एक घंटा क्लास लेता है। उन्हें मौलिक व्यवहार सीखा रहा है। अब 33 बच्चे ऐसे हैं जो नियमित स्कूल जाने लगे हैं। उनका लक्ष्य इलाके के सभी बच्चों को इसके अंतर्गत लाना है। बच्चों को जीवन जीना सीखा रहे

अतुल ¨सह ने बताया कि उन्हें शुरुआत में दिक्कत आई। उन्होंने रोस्टर बनाकर स्टूडेंट्स में अपनी जिम्मेदारियां बांटी। बीस आइआइटी  स्टूडेंट रोजाना रोस्टर के माध्यम से इन बच्चों को पढ़ाने जाते हैं। जो बच्चे बेकार घूमने में ही समय खराब करते थे, वो अब फटाफट पहाड़े सुनाते हैं। शिक्षा का उन्हें अब चक्सा लग गया है। वो रोजाना स्कूल जाने लगे हैं। उनके लिए अपने खर्च पर उन्होंने दो टैंपो भी उपलब्ध करवाए हैं ताकि बच्चे सुरक्षित स्कूल आ जा सकें। डायरेक्टर के सकारात्मक रवैये ने किया हौसला मजबूत

अतुल ¨सह ने खुशी जताते हुए कहा कि इस बार उनके आइआइटी के नए कैंपस में हुए वार्षिक कन्वोकेशन समारोह में उनकी एनजीओ पहचान को विशेष महत्व दिया गया। उनके द्वारा पढ़ाए जाने वाले बच्चों को समारोह में शामिल किया गया। इसके लिए वो आइआइटी के डायरेक्टर डॉ. सरित कुमार दास के आभारी हैं। जब उन्होंने अपनी एनजीओ के बारे में डायरेक्टर को विस्तृत बताया तो उनके सकारात्मक रवैये ने उनका हौसला और मजबूत कर दिया। अतुल ने कहा कि जो लोग पढ़ेलिखे हैं वो अपने इलाके में ऐसे बच्चों को स्कूल जाने के लिए तैयार करवाएं इससे अनपढ़ता का कोढ़ जड़ से समाप्त हो जाएगा।


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