खतरों से खेलने का शौक है तो जाइए रूपनगर-बेला सड़क पर
पनगर से बेला कस्बे तक 13 किलोमीटर रास्ते पर सफर करना खतरों से खेलने के बराबर है। लेकिन रोजाना सैकड़ों लोग अपने दोपहिया तथा चार पहिया वाहनों पर गुजरते हैं। सबसे खतरनाक उन स्कूली बच्चों के लिए है जिनके स्कूलों की बसें इस मार्ग से रोजाना गुजरती हैं।
अजय अग्निहोत्री, रूपनगर
रूपनगर से बेला कस्बे तक 13 किलोमीटर रास्ते पर सफर करना खतरों से खेलने के बराबर है। लेकिन रोजाना सैकड़ों लोग अपने दोपहिया तथा चार पहिया वाहनों पर गुजरते हैं। सबसे खतरनाक उन स्कूली बच्चों के लिए है जिनके स्कूलों की बसें इस मार्ग से रोजाना गुजरती हैं। सड़क का हाल ऐसा है जैसे सड़क को बंबों से छलनी किया गया हो। ऐसे हालात हो भी क्यों न साल 2009 के बाद इस मार्ग की रिपेयर ही नहीं हुई। नौ बरसातें झेल चुकी सड़क पर बीस-तीस की स्पीड से मोटरसाइकिल या गाड़ी चलाना भी आसान नहीं है। गड्ढों में चिकोले खाते हुए जाना पड़ता है। इस कारण सड़क पर हादसे होने की संभावना बहुत बढ़ गई है। दैनिक जागरण संवाददाता ने मंगलवार को इस सड़क का मौका ए मुआयना किया। हालात दयनीय हैं और गांववासी बेहद परेशान हैं जो इस सड़क से रोजाना आने जाने के लिए मजबूर हैं। उनका कहना है कि उनके स्कूटर मोटरसाइकिलों की आए दिन रिपेयर उन्हें करवानी पड़ती है।
13 किलोमीटर सड़क पर गड्ढे देखकर निकल आते हैं आंसू
दैनिक जागरण संवाददाता ने इस सड़क पर आधे घंटे में 13 किलोमीटर सफर तय कर पाया। सड़क की हालत देखक आंखों से आंसू निकलते हैं। रूपनगर से एचएमटी होटल के आगे से ही इस सड़क का दुर्भाग्य देखने को मिलता है। एचएमटी होटल के पहले तथा बिलकुल आगे सड़क ही गायब है। गड्ढे और बिखरी बजरी हादसों को दावत दे रहे हैं। आगे जीएस रिजोर्ट के आगे गड्ढों से सड़क भरी पड़ी है। फिर गांव बुड्ढा भ्यौरा के पुल से पहले तथा फिर पुल के बाद सड़क की प्रीमिक्स ही गायब है। आगे गांव माहलां, भाओवाल, चौंता तक जाते जाते तो वाहन चालक ही गड्ढों से दोपहिया वाहन तथा चार पहिया वाहन को बचाते बचाते हांफ जाता है। इसी तरह सिलोमास्को गांव के पास भी गड्ढों के कारण ग्रामीण परेशान हैं।
अस्थायी पुली की अप्रोच कभी भी धंस सकती हैं
बेला कस्बे तक गड्ढे ही गड्ढे हैं। कस्बा में सड़क ठीक है। लेकिन आगे बेला पुल जो गड्ढों के कारण आवागमन के लिए बंद है, के साफ बनाया गया अस्थायी रास्ता भी ज्यादा सुरक्षित नहीं है। अस्थायी पुली की अपरोच रोड के लिए जो डंगा लगाया गया है, उसमें लगी बोरियां मिट्टी से भरी हैं तथा बोरियां अब फटने लगी हैं। आने वाले दिनों में भारी वाहनों के आवागमन के कारण ये अप्रोच रोड कभी भी धंस सकती है।
अफसरों के दावे सुनकर काम पक गए हैं : सुरेश शर्मा
दैनिक जागरण से बातचीत में सुरेश कुमार शर्मा बेला ने कहा कि मंत्री और अफसर बातें तो करते हैं कि जल्द बेला का पुल बना दिया जाएगा। लेकिन पुल बनाने की बजाय अस्थायी पुली बनाई गई है, वो भी सुरक्षित नहीं है। अब पुल कब बनेगा ये तो भगवान को ही पता है। क्योंकि अफसरों के दावे सुनकर सुनकर तो लोगों के कान पक गए हैं। रोजाना क्षतिग्रस्त होते हैं वाहन: कुल¨वदर ¨सह
गांव चौंता खुर्द के रहने वाले क्रांति कला मंच रूपनगर के प्रधान कुल¨वदर ¨सह ने कहा कि वो रोजाना रूपनगर-बेला मार्ग से आता जाता है और रोजाना किसी न किसी वाहन के क्षतिग्रस्त होने का मामला देखता है।
कोट्स
नाबार्ड स्कीम के तहत मंजूरी के लिए भेजी गई है योजना: एसडीओ तरसेम राज
रूपनगर-बेला सड़क की मुकम्मल रिपेयर के लिए नाबार्ड 25 स्कीम के तहत योजना बनाकर भेजी गई है। इस पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही इसकी रिपेयर शुरू हो पाएगी। फिलहाल विभाग के पास फंड नहीं है। जिसके कारण इसकी रिपेयर नहीं हो पा रही।
तरसेम राज, एसडीओ पीडब्ल्यूडी प्रांतीय मंडल मोहाली
कोट्स
जनवरी में बनना शुरू होगा बेला पुल: एक्सईएन इंद्रजीत ¨सह
रूपनगर बेला सड़क पर बेला पुल के निर्माण के लिए सवा तीन करोड़ रुपए का बजट है। इसके टैंडर अलाट हो चुके हैं और जनवरी में इसका निर्माण शुरू कर दिया जाएगा।अगर कोई दिक्कत नहीं आई तो जनवरी में इसका निर्माण शुरू करके 20 जून तक इसे मुकम्मल कर लिया जाएगा। जबकि इसको बनाने के लिए कुल नौ माह का समय मिलेगा।
.इंजी.इंद्रजीत ¨सह, एक्सईएन कंस्ट्रक्शन डिवीजन 1 मोहाली