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बसाली की पहाड़ी पर भी बनेगा गुरुद्वारा

श्री गुरु गोबिद सिंह जी निरमोहगढ़ (बुंगा साहिब) की जंग के बाद बसाली के समकालीन राज सलाही चंद का निवेदन स्वीकार करके नूरपुरबेदी के गांव बसाली में पधारे थे। राजा सलाही चंद की तरफ से जिस शिवालिक की पहाड़ी की चोटी पर श्री गुरु गोबिद सिंह जी को अपनी बैठक में ठहराया था वहां भी अब गुरुद्वारा साहिब बनाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि बसाली की पहाड़ी के नीचे जिस जगह पर गुरू गोबिद सिंह जी की फौज तंबुओं में रुकी थी वहां हाल ही में गुरुद्वारा झिड़ी साहिब बनाया गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 11:35 PM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 11:35 PM (IST)
बसाली की पहाड़ी पर भी बनेगा गुरुद्वारा
बसाली की पहाड़ी पर भी बनेगा गुरुद्वारा

हरपाल ढींडसा, नूरपुरबेदी : श्री गुरु गोबिद सिंह जी निरमोहगढ़ (बुंगा साहिब) की जंग के बाद बसाली के समकालीन राज सलाही चंद का निवेदन स्वीकार करके नूरपुरबेदी के गांव बसाली में पधारे थे। राजा सलाही चंद की तरफ से जिस शिवालिक की पहाड़ी की चोटी पर श्री गुरु गोबिद सिंह जी को अपनी बैठक में ठहराया था वहां भी अब गुरुद्वारा साहिब बनाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि बसाली की पहाड़ी के नीचे जिस जगह पर गुरु गोबिद सिंह जी की फौज तंबुओं में रुकी थी, वहां हाल ही में गुरुद्वारा झिड़ी साहिब बनाया गया है।

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फिलहाल संगत को हो रही है परेशानी

रूपनगर हलके के विधायक अमरजीत सिंह संदोआ, सिख विद्वान इकबाल सिंह लालपुरा, गुरुद्वारा झिड़ी साहिब कमेटी के प्रधान भाई मनिदर सिंह, समिति मैंबर डॉ.शिगारा सिंह आदि ने बताया कि बसाली की जिस पहाड़ी की चोटी पर गुरु गोबिद सिंह जी ने ठहराव किया था, वहां राजा सलाही चंद के खानदान की तरफ से गुरु जी की याद में एक छोटी सी यादगार बनाई हुई है। इस एतिहासिक जगह पर संगत के सहयोग के साथ जल्द ही गुरुद्वारा साहिब की इमारत बनाई जाएगी। इससे गुरु जी की याद और राजा सलाही चंद की मित्रता को संभाला जा सके। इस पहाड़ी की चोटी पर एक छोटी सी जगह पर निशान साहिब सुशोभित किया गया है, लेकिन यहां कोई भी कमरा न होने के कारण दर्शनों के लिए पहुंचती संगत के लिए परेशानी पैदा होती है।

खूब मेहमान नवाजी की थी राजा सलाही चंद ने

इकबाल सिंह लालपुरा ने बताया कि जब गुरु जी कहलूर के राज अजमेर चंद की कसम खाने के बाद श्री आनंदपुर साहिब को छोड़ कर 15 दिनों के लिए बसाली आए थे तो राजा सलाही चंद ने उनकी खूब मेहमाननवाजी की। उन्होंने कहा कि इतिहास के जो 15 दिन गुरु गोबिद सिंह जी इस गांव में बिताए। उन दिनों में इस स्थान पर निरंतर धार्मिक समागम करवाए जाने चाहिए और नगर कीर्तन सजाए जाने चाहिए। जिससे गुरु जी के इतिहास को आगे वाली पीढ़ी तक ले जाया जा सके। गुरु गोबिद सिंह 15 अक्टूबर 1700 से लेकर 30 अक्टूबर 1700 तक बसाली में रहे थे। उसके बाद 14 नवंबर 1700 को राजा सलाही चंद के देहांत के बाद भी गुरु गोबिद सिंह तीन दिन के लिए बसाली आए थे।

लोग करें सहयोग

हलका विधायक और गुरुद्वारा झिड़ी साहिब के कमेटी सदस्यों ने संगत से अपील की है कि गुरुद्वारा झिड़ी साहिब से ऊपर पहाड़ी और गुरुद्वारा साहिब की इमारत बनाने के लिए संगत सहयोग करें। जिससे उनकी याद में बनी छोटी सी जगह को गुरुद्वारा साहिब का रूप दिया जा सके।


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