किसान बोले, सरकार मुआवजा दवे तां किसान नाड़ नूं अग्ग नई लगावेगा
किसान संगठनों के नुमाइंदों ने डिप्टी कमिश्नर रूपनगर डॉ.सुमीत जारंगल के साथ बैठक में साफ साफ शब्दों में कहा कि असीं नाड़ (पराली) नूं तिल्ली नई लगांदे, पर सरकार सानू नाड़ न जलाण दा प्रति एकड़ मुआवजा तां दवे। किसान तां पहलां ही कर्जे थल्ले दबिया होया। करे वी की। किसान दा दिल नई करदा नाड़ नूं अग्ग लाण दा। जदों कणक बीजण दा समां आऊंदा है तां किसान नूं नाड़ सांबण दा समां नई मिलदा। जो सरकार महंगे उपकरणां दी गल्ल करदी है ओह साडे घट पावर वाले ट्रैक्टरां नाल नई चलदे।
जागरण संवाददाता, रूपनगर
किसान संगठनों के नुमाइंदों ने डिप्टी कमिश्नर डॉ.सुमीत जारंगल के साथ सोमवार को बैठक की। इस दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा कि असीं नाड़ (पराली) नूं तिल्ली (माचिस की सींख) नई लगांदे, पर सरकार सानू नाड़ न जलाण दा प्रति एकड़ मुआवजा तां दवे। किसान तां पहलां ही कर्जे थल्ले दबिया होया। करे वी की। किसान दा दिल नई करदा नाड़ नूं अग्ग लाण दा। जदों कणक बीजण दा समां आऊंदा है तां किसान नूं नाड़ सांबण दा समां नई मिलदा। जो सरकार महंगे उपकरणां दी गल्ल करदी है ओह साडे घट पावर वाले ट्रैक्टरां नाल नई चलदे।
डीसी डॉ.जारंगल ने किसानों की समस्याएं बड़े ध्यान से सुनी। वहीं किसानों ने अपनी समस्याएं डिप्टी कमिश्नर को बताईं। किसानों ने कहा कि सरकार जो दावे कर रही है कि किसानों को पराली संभालने के लिए सुविधाएं दी जा रही हैं। सिर्फ उन सुविधाओं का ही आंकलन करना चाहिए क्या जिले के किसानों की आबादी के हिसाब से सुविधाएं पर्याप्त हैं। किसानों ने पंजाब सरकार तथा प्रशासन से जोरदार मांग रखी कि उन्हें पांच हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से पराली संभालने का मुआवजा दिया जाए। डिप्टी कमिश्नर ने किसानों को भरोसा दिलाया कि वो किसानों की मांग को पंजाब सरकार तक पहुंचाएंगे तथा खुद निजी दिलचस्पी लेकर सरकार तक मामला उठाएंगे। किसान पराली न जलाकर उनका साथ दें।
मेरी गारंटी जे मुआवजा दो तां कोई नहीं जलाएगा पराली
भारतीय किसान यूनियन (सिद्धुपुर) के जिला रूपनगर में चीफ पैटर्न परगट ¨सह रौलूमाजरा ने कहा कि मेरी गारंटी है कोई किसान जिले में पराली को आग नहीं लगाएगा। प्रशासन सरकार से किसानों को प्रति एकड़ मुआवजा दिलाए। ये मुआवजा पांच हजार रुपये होना चाहिए। अगर फिर भी कहीं आग पराली को लगाई गई तो केस मेरे ऊपर कर दो। उन्होंने पराली को निपटाने की समस्याएं बताते हुए कहा कि जिले में अभी तक कोई मशीनरी नहीं आई है। सिर्फ बातें की जा रही हैं।
भारी उपकरण कम हार्सपावर के ट्रैक्टरों के बस की बात नहीं: परगट ¨सह रौलूमाजरा
बैठक में किसान नेता परगट ¨सह रैलूमाजरा ने कहा कि 60 हार्सपावर के ट्रैक्टर के बिना भारी उपकरणों को खेतों में चलाना संभव नहीं है। जिले में छोटे किसान हैं जिनके पास अधिकतम 10 एकड़ के खेत हैं तथा वो 30 से 35 हार्सपावर के ट्रैक्टर जोकि 5 लाख तक मिलते हैं, खरीदते हैं तथा उनकी खरीद क्षमता भी इतनी ही है। इन ट्रैक्टरों से भारी उपकरण चलाए नहीं जा सकते। क्योंकि ये हैपी सीडर रोटावेटर आदि को नहीं खींच पाते। 60 हार्सपावर के ट्रैक्टर खरीदना छोटे किसानों के बस की बात नहीं है। जितना पराली को जलाकर प्रदूषण होता है उतना प्रदूषण तो रोटावेटर के जरिये खेत में नाड़ को मिट्टी में मिलाने पर डीजल का न सिर्फ खर्च होता है बल्कि उतना प्रदूषण भी होता है।
न तो मशीनरी पूरी है और न ही प्रयास सही हो पा रहे हैं: अम¨रदर ¨सह
जागरण से बातचीत में भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल के जिला महासचिव अम¨रदर ¨सह ने कहा कि बैठक में सवाल किया किया कि जिले में कितने गांव है तथा कितने किसान हैं इसकी गिनती की जाए। फिर देखा जाए कि ऐसी मशीनरी कीतनी है जिससे पराली को संभाला जा सकता है। अब हर जगह गुज्जर बिरादरियां इतनी भी नहीं हैं कि वो किसानों की सारी पराली खरीद ले। मो¨रडा शुगर मिल में बिजली घर बनाया गया था, उसे ही अगर चला लिया होता तो हो सकता था कि जिले की अधिकतर पराली वहीं खपत हो जाती। अगर बिजली घर ही शुरू करने में सरकार सकारात्मकता दिखा दे तो समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता था।
डीसी जारंगल ने बताएं पराली जलाने के नुकसान
बैठक में डिप्टी कमिश्नर रूपनगर डॉ.सुमीत जारंगल ने किसान संगठनों के नुमाइंदों को संबोधित करते हुए कहा कि धान की पराली को आग न लगाई जाए क्योंकि ऐसा करना जहां गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि पराली को आग लगाने का कोई लाभ नहीं है बल्कि नुकसान ही है। इसका पहला शिकार किसान खुद तथा उसका परिवार होता है।यदि कोई किसान पराली को आग लगाता है तो उसके रेवेन्यू रिकार्ड में रेड एंट्री कर दी जाएगी। बैठक में एडीसी (जनरल) लखमीर ¨सह राजपूत, चीफ एग्रीकल्चर आफिसर केसर राम बंगा, मेहर ¨सह, अजीत ¨सह खेड़ी, कमलजीत ¨सह, गुरमेल ¨सह बाड़ा, कमलजीत ¨सह, अमरजीत ¨सह, रणबीर ¨सह, गुरमीत दलबीर ¨सह मौजूद थे।