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घुंट रहा आसमां, मर रही जमीं

कृषि विज्ञान केंद्र रूपनगर द्वारा फसलों की पराली की संभाल के उद्देश्य से गोद लिए गए गांव फतेहपुर में वैज्ञानिक गोष्ठी का आयोजन करते हुए गांव के किसानों को धान की पराली को आग लगाने से होने वाले नुकसान के बारे जहां जागरूक किया गया वहीं पराली की संभाल के बारे भी विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। इस वैज्ञानिक गोष्ठी की अध्यक्षता करते कृषि विज्ञान केंद्र के एसोसिएट डायरेक्टर (ट्रे¨नग) डॉ. एससी शर्मा ने किसानों को समझाया कि पराली को आग लगाने से कई प्रकार की जहरीली गैसें निकलती हैं जोकि आम आदमी के स्वास्थ्य से लिए ही नहीं बल्कि वातावरण के लिए भी घातक साबित होती हैं तथा अनेकों प्रकार की बीमारियों का कारण बनती हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 05:35 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 05:35 PM (IST)
घुंट रहा आसमां, मर रही जमीं
घुंट रहा आसमां, मर रही जमीं

संवाद सहयोगी, रूपनगर

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कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से फसलों की पराली की संभाल के उद्देश्य से गोद लिए गए गांव फतेहपुर में वैज्ञानिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गांव के किसानों को धान की पराली को आग लगाने से होने वाले नुकसान के बारे जहां जागरूक किया गया, वहीं पराली की संभाल के बारे भी विस्तृत रूप से जानकारी दी गई।

इस वैज्ञानिक गोष्ठी की अध्यक्षता करते कृषि विज्ञान केंद्र के एसोसिएट डायरेक्टर (ट्रे¨नग) डॉ. एससी शर्मा ने किसानों को समझाया कि पराली को आग लगाने से कई प्रकार की जहरीली गैसे निकलती हैं जोकि आम आदमी के स्वास्थ्य से लिए ही नहीं बल्कि वातावरण के लिए भी घातक साबित होती हैं। अनेकों प्रकार की बीमारियों का कारण बनती हैं। उन्होंने किसानों कहा कि पराली को आग लगाने की बजाए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के मार्ग दर्शन में उसकी संभाल करें।

आधुनिक तकनीक अपनाने पर दिया जोर

उन्होंने किसानों को पराली की संभाल के लिए प्रेस व्हील वाले हैपी सीडर व पराली का चूरा बनाने व उसे खेत में बिखेरने के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली मशीन के प्रयोग बारे जानकारी देते हुए इसका प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया। इस मौके कृषि विज्ञान केंद्र के सहायक प्रोफेसर (भूमि विज्ञान) डॉ. ओपेंदर ¨सह संधू ने भी किसानों को पराली की संभाल करने व उसे कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की सलाह अनुसार गेहूं की खेती एवं बिजाई के वक्त प्रयोग में लाने से होने वाले लाभ के बारे विस्तृत रूप से जानकारी दी। उन्होंने हैपी सीडर के साथ साथ पराली को काटने वाली मशीन, रोटावेटर तथा अन्य उपकरणों के बारे जानकारी देते हुए इनके प्रयोग की सलाह दी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पराली को आग लगाने से आम आदमी का स्वास्थ्य ही खराब नहीं होता बल्कि वातावरण भी दूषित होता है जबकि मिट्टी की उपजाऊ शक्ति अलग से क्षीण होती है। इस मौके डॉ. अशोक कुमार ने किसानों को गेहूं की बिजाई हैपी सीडर द्वारा करने के लिए प्रेरित किया तथा साथ गेहूं की बिजाई से पहले शोधित बीज व चूहों की रोकथाम बारे भी जानकारी दी जबकि डॉ. संजीव आहूजा ने कृषि विज्ञान केंद्र रूपनगर द्वारा किसानों को उपलब्ध करवाई जाने वाली सेवाओं के बारे विस्तृत रूप से जानकारी दी तथा कहा कि फसलों बारे किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए कोई भी किसान किसी भी वक्त केंद्र के साथ संपर्क कर सकता है। गोष्ठी में 100 किसानों ने लिया भाग

इस गोष्ठी में गांव के लगभग 100 किसानों ने भाग लेते हुए फसलों के बारे अनेकों प्रकार की जानकारियां हासिल कीं जबकि गांव के सरपंच करनैल ¨सह ने इस आयोजन के लिए कृषि विज्ञान केंद्र की टीम का आभार व्यक्त करते कहा कि इस गोष्ठी से किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा।


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