पानी की टंकी बने 5 साल, ट्रायल में पाइपों से लीकेज हुई तो नहीं की शुरू
संवाद सहयोगी, रूपनगर : रूपनगर के आसपास व भीतर पानी से लबालब भरी नहरें व दरिया तो हैं लेकि
संवाद सहयोगी, रूपनगर : रूपनगर के आसपास व भीतर पानी से लबालब भरी नहरें व दरिया तो हैं लेकिन आज तक शहर में जल आपूर्ति पूरी तरह संभव नहीं हो सकी है। शहर मे कई मोहल्ले ऐसे हैं जहां लोगों की जरूरत के अनुसार पानी नहीं मिल रहा है। जिन मोहल्लों को पूरा पानी मिल रहा है वो दूषित पानी आने के नगर कौंसिल पर आरोप लगाते आ रहे हैं।
जलापूर्ति की मांग नई नहीं है बल्कि दशक पुरानी है। इसे पूरा करने के उद्देश्य से लगभग सात साल पहले तत्कालीन शिक्षा मंत्री व क्षेत्र के विधायक रहे डॉ. दलजीत ¨सह चीमा ने तब के मुख्यमंत्री प्रकाश ¨सह बादल के दरबार में गुहार लगाई थी। इसके बाद रूपनगर को शत-प्रतिशत शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने 56 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाए। इस पैसे से पूरे शहर के उन हिस्सों में वाटर सप्लाई की नई पाइप लाइनें बिछाई गई जहां पहले पाइपलाइनें नहीं हैं। शहर के मुख्य जल घर परिसर में चार लाख गैलन पानी की क्षमता वाली टंकी का निर्माण भी करवा दिया गया। आज शहर में पानी की टंकी का निर्माण हुए 5 साल से अधिक का समय बीत चुका है जबकि पाइपलाइन डाले भी इतना ही समय बीत चुका है लेकिन शहर वासियों को अभी तक शुद्ध एवं पर्याप्त पेयजल उपलब्ध नहीं हो सका है।
4 लाख गैलन क्षमता वाली पानी की टंकी आज सफेद हाथी बनी हुई है क्योंकि इस टंकी में केवल एक बार पाइप लाइनों की चे¨कग के लिए ही पानी भरा गया था जो पाइप लाइनों में जगह-जगह लीकेज होने से दोबारा नहीं भरा गया। लगभग 4 साल पहले पानी की नई टंकी को भरने के बाद जब सप्लाई शुरू की गई तो वाटर सप्लाई वाली पुरानी पाइपलाइनें तो क्या जो नई पाइप लाइनें डाली गई थी, उनमें भी लीकेज शुरू हो गई जो आज तक ठीक नहीं हो सकी है। इस कारण नई टंकी से पानी की सप्लाई को बंद करना पड़ा। आज भी शहर वासी जलापूर्ति की आस लगाए बैठे हैं।
अगले कुछ दिनों में टंकी सीवरेज बोर्ड को सौंप देंगे : माक्कड़
नगर कौंसिल के अध्यक्ष परमजीत ¨सह माक्कड़ से बात की तो उन्होंने कहा कि टंकी पूरी तरह से तैयार है। इसकी टे¨स्टग भी की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि वाटर सप्लाई की लाइनों में जहां-जहां लीकेज की समस्या थी, उसे भी लगभग ठीक करवा दिया गया है। बताया कि अगले कुछ दिनों में पानी की टंकी सीवरेज बोर्ड के हवाले कर दी जाएगी जिसके बाद जलापूर्ति संभव हो जाएगी।