शहीदी जोड़ मेले के दूसरे दिन उमड़ा संगत का सैलाब
संवाद सहयोगी, रूपनगर : रूपनगर गुरु द्वारा श्री भट्ठा साहिब में जारी शहीदी जोड़ मेले के दूसर
संवाद सहयोगी, रूपनगर :
रूपनगर गुरु द्वारा श्री भट्ठा साहिब में जारी शहीदी जोड़ मेले के दूसरे दिन बड़ी संख्या में पहुंची संगत ने गुरुघर में सजदा किया और गुरु की हजूरी में बैठकर शबद-कीर्तन का आनंद लिया। जोड़ मेला सोमवार को अखंड पाठ के भोग के साथ संपन्न हो जाएगा।
शहीदी जोड़ मेले को लेकर जहां गुरुघर को दुल्हन की भांति सजाया गया है वहीं गुरुधर के आसपास विभिन्न प्रकार की दुकानें भी सजाई गई हैं। देश विदेश से पहुंच रही संगत गुरुद्वारा साहिब में माथा टेकने के बाद दशमेश पिता के शस्त्रों के दर्शन करते हुए अपनी इस यात्रा की याद को ताजा रखने के लिए बाजार से विभिन्न प्रकार की खरीददारी भी कर रही है। शहीदी जोड़ मेले के दौरान एसजीपीसी के अलावा विभिन्न पंथक संगठनों ने जगह-जगह विभिन्न व्यंजनों वाले लंगर भी लगाए गए हैं। जहां लोग लंगर ग्रहण करने के साथ-साथ सेवा भी निभा रहे हैं। रविवार को विशेष रूप से पहुंचे एसजीपीसी के अध्यक्ष गो¨बद ¨सह लौंगोवाल तथा शिअद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ.दलजीत ¨सह चीमा ने कहा कि दशमेश पिता ने हर सिख को मानवता की सेवा करने, मजलूम की सुरक्षा करने, भेद-भाव व जात-पात से रहित रहने का संदेश दिया था। इसलिए आज के दिन हर सिख को उस संदेश को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मानवता पर होने वाले किसी भी प्रकार के जुल्म के खिलाफ आवाज उठाना हर सिख का पहला फर्ज बनता है।
इस मौके एसजीपीसी की अध्यक्षता में पंजाब गत्तका एसोसिएशन के नेतृत्व में बाबा दीप ¨सह गत्तका अखाड़ा द्वारा जिल स्तरीय 14वां गत्तका मुकाबला भी शुरु करवाया गया। इन मुकाबलों का उद्घाटन भी एसजीपीसी अध्यक्ष गो¨बद ¨सह लौंगोवाल ने किया। उनके साथ एसजीपीसी सदस्य एवं जिला जत्थेदार परमजीत ¨सह लक्खेवाल, बाबा दीप ¨सह गत्तका अखाड़ा के अध्यक्ष डॉ. जसपाल ¨सह भी उपस्थित थे। अखाड़े के अनुसार बच्चों के दस्तार बंदी तथा लंबे केस मुकाबले भी करवाए जा रहे हैं। इन मुकाबलों के परिणाम सोमवार को जारी किए जाएंगे। इस मेले के दौरान जिला प्रशासन द्वारा सफाई तथा पीने के पानी की व्यवस्था की गई थी जबकि विभिन्न गांवों की संगत द्वारा गन्ने के रस का लंगर भी लगाया गया। इस दौरान भैरोमाजरे वाले संतों द्वारा गांव ठोणा तथा गांव सराड़ी की संगत की ओर से विशेष रूप से लंगर लगाए गए। इस मौके विशेष रूप से संगतों के द्वारा जोड़ों की सेवा की निभाई गई जबकि ढाडी जत्थों ने भी संगत को पंथ के इतिहास से निहाल किया।