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प्रभु को अपने साथ मानकर अच्छे आचरण से करें सुमिरन

नया नंगल में जारी आध्यात्मिक सम्मेलन के दूसरे दिन स्वामी सुग्रीवानंद जी महाराज ने प्रवचन दिए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Dec 2019 10:20 PM (IST)Updated: Sat, 28 Dec 2019 10:20 PM (IST)
प्रभु को अपने साथ मानकर अच्छे आचरण से करें सुमिरन
प्रभु को अपने साथ मानकर अच्छे आचरण से करें सुमिरन

जागरण संवाददाता, नंगल

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मानव जीवन में कर्म योग के महत्व विषय पर नया नंगल में जारी तीन दिवसीय विराट आध्यात्मिक सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को प्रवचन देते हुए डेरा बाबा रुद्रानंद जिला ऊना के संचालक स्वामी सुग्रीवानंद जी महाराज ने कहा कि ईश्वर हर प्राणी के अंदर है। सभी को लगातार प्रभु को अपने साथ मानकर अच्छे आचरण से सुमिरन का अभ्यास करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छे कर्म मनुष्य को निरंतर प्रभु को अर्पित कर करते रहने चाहिए। मनुष्य यदि हर कर्म प्रभु को अर्पित करने के मकसद से करेगा, तो निश्चित रूप से वह अच्छे कर्म ही करेगा। बुराई से बचने व जीवन में निरंतर प्रभु का सुमिरन करते रहने की प्रेरणा देते हुए पूज्य श्री ने कहा कि हमें संकल्पवद्ध रहकर प्रभु को साक्षी मानते हुए हर कार्य करना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण के अर्जुन को दिए उपदेशों का व्याख्यान करते हुए स्वामी जी ने कहा कि प्रभु श्री कृष्ण व अर्जुन कभी-कभी तो एक ही विस्तर पर सोया करते थे। उपदेशों के माध्यम से ही श्री कृष्ण ने समूचे प्राणी जगत को सत्कर्म करने की प्रेरणा समय-समय पर अर्जुन के माध्यम से चमत्कारी रूप में दी है। उन्होंने कहा कि हम अपने जन्म से मरण तक के सभी कर्मो के खुद जिम्मेदार हैं। समझ लीजिए यदि कहीं भूल में कोई बुरा कर्म हो गया, तो उससे छुड़ाने वाला हमें कोई नहीं है। जीवन में उपासना को जरूरी बताते हुए पूज्य श्री ने दोहराया कि मानव जाति को नर बनाने वाले भगवान हैं। इस लिए भगवान कहते हैं कि नर से नारायण बनना अब तेरा काम है। वहीं आचार्य हेमानंद जी ने कहा कि संतजन व गुरुजन कभी अपने लिए दुखी नहीं होते, बल्कि वे अपने भक्तों के दुखों के प्रति दुखी होते हैं। संतजनों का जीवन फूलों जैसा व विषय भोगों से परिपूर्ण नहीं, बल्कि नीरस होता है। वे खुद अपने भक्तों को कष्टों से दूर करने के लिए तप करते हैं। संस्कारों से जुड़े रहने की प्रेरणा देते हुए पूज्य श्री ने कहा कि सभी को हमेशा अच्छाई की संगत करनी चाहिए। अकेले जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। प्रभु का सुमिरन करने से ही सभी काम सिद्ध होते हैं। उन्होंने कहा कि यह सभी का सौभाग्य है कि पूज्य स्वामी सुग्रीवानंद जी यहां भक्तों का मार्गदर्शन कर रहे हैं । उन्होंन संगत से आग्रह किया कि एकाग्रता से सम्मेलन की विषय वस्तु अभ्यास व वैराग्य पर पूज्य श्री की वेदवाणी जरूर सुनें।

दूसरे दिन प्रवचन सुनने उमड़ा संगत का सैलाब

वहीं विराट सम्मेलन के दूसरे दिन दूर- दराज से आए भक्तजनों का सैलाब का उमड़ा। सभी ने प्रवचनों का रसपान कर अपने आप को धनवान बनाया। इस दौरान सेवक मंडल नंगल के अध्यक्ष आचार्य निरंजन शास्त्री, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रो. शिव कुमार शर्मा, अनिल अग्रवाल, जेके दत्ता, डॉ. शिव पाल कंवर, दीपक शर्मा हैप्पी सरपंच, संजीव सहोड़, सुनील उप्पल, अश्वनी अजौली, चितरंजन शर्मा, सुभाष चीटू, आरएन शर्मा, सुभाष शर्मा, दीपक जोशी, महेश शर्मा, राजेश शर्मा, जगदीश चोपड़ा, एचके शर्मा, एडवोकेट पीके नड्डा व डॉ. अशोक शर्मा, गिरीश जसवानी भी मौजूद थे। इनके अलावा सुनील शर्मा, शशि संदल, पदम नाभ पुरी, राकेश कुमार, नंबरदार राम, सुधीर शर्मा, अविनाश, प्रह्लाद गौतम, चंद्र मोहन सहोड़, हरी ओम, सतीश कुमार, संजय मैहता, विकास सहगल, इंजी. नितिन जसवाल, प्रवीन कुमार व अनिल भट्ट ने भी प्रवचनों का रसपान किया। उधर नीरज अग्रवाल, विनाल सेठ, राकेश कुल्लू, रिक्की सहगल, अश्वनी फौजी, परमजीत संदल, जसबंत सिंह, राजीव शर्मा, अरविंद जोशी, सुरेश मनन पस्सीवाल व शिव शक्ति मंदिर शिवालिक एवेन्यू के प्रधान पीसी कक्कड़ आदि सहित हजारों श्रद्धालुओं ने पूज्य श्री के प्रवचन सुने।


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