रुपनगर में सड़क पर सुरक्षित नहीं जीवन, जिले को अब तक नहीं मिला ट्रामा सेंटर, पीजीआइ रेफर किए जाते हैं घायल
रूपनगर में जनसंख्या बढ़ने के साथ वाहनों की संख्या बढ़ी तो सड़कों पर होने वाले हादसों में भी काफी इजाफा हो गया। समय के साथ जिले में अस्पतालों की संख्या भी बढ़ी है लेकिन आज तक एक अदद ट्रामा सेंटर नसीब नहीं हुआ।
अरुण कुमार पुरी, रूपनगर। सड़कों पर ट्रैफिक का बोझ बढ़ता है, तो छोटे बड़े हादसों में भी इजाफा होता है । हादसों में घायल होने वालों को बचाने के लिए अस्पतालों का होना जरूरी है। अस्पताल हैं तो उनमें वह तमाम सुविधाएं व उपकरण उपलब्ध होने चाहिए, जो किसी गंभीर घायल की जान बचाने में मौके पर काम आ सकें।
वर्तमान में मेडिकल की ऐसी हर सुविधा से लैस स्थल को ट्रामा सेंटर के नाम से जाना जाता है। आजादी से लेकर आज तक पंजाब राज्य ने मेडिकल के क्षेत्र में बहुत तरक्की की लेकिन आज भी कई जिले ऐसे हैं, जहां एक अदद ट्रामा सेंटर नहीं है।
रूपनगर जिले की आबादी बढ़ते हुए जहां पांच लाख को छूने लगी है, वहीं सड़कों का विस्तार होने के साथ जिले के भीतर आज एक नेशनल हाईवे गुजरता है, जिसके साथ अनेकों संपर्क सड़कें जुड़ी हुई हैं। जब वाहनों की संख्या बढ़ी है, तो सड़कों पर होने वाले हादसों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। हादसे बढ़े तो जिले में अस्पतालों की संख्या भी बढ़ी है, लेकिन आज तक जिला रूपनगर के एक अदद ट्रामा सेंटर नसीब नहीं हुआ।
घायलों को ट्रामा सेंटर जैसी सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण उपचार के लिए चंडीगढ़ रेफर करना पड़ता है, जिसके चलते ज्यादातर घायल रास्ते में ही दम तोड़ जाते हैं। वैसे पिछले दो दशक के दौरान हमारे नेता वोट की राजनीति खेलते हुए रूपनगर सहित कीरतपुर साहिब तथा मोरिंडा में ट्रामा सेंट बनाने के वादे तो कर चुके हैं, लेकिन ट्रामा सेंटर कब बनेगा, इस बारे वादे करने वाले नेताओं को भी नहीं पता।
क्या है ट्रामा सेंटर
ट्रामा सेंटर अपने आप में एक अत्याधुनिक अस्पताल की श्रेणी में शुमार करता है, जिसमें हर प्रकार की इमरजेंसी सुविधाएं 24 घंटे उपलब्ध रहती हैं। जब भी कोई बड़ा हादसा होता है या कोई व्यक्ति किसी कारण गंभीर रूप से घायल होता है, तो उसे ट्रामा सेंटर ही रेफर किया जाता है।
सेंटर में एक छत तले हर प्रकार के टेस्ट की सुविधा के साथ साथ हर प्रकार के आपरेशन के लिए डाक्टरों की उपलब्धता, वेंटीलेटर व अन्य उपकरण की उपलब्धता, पर्याप्त दवाईयां तथा प्रशिक्षित मेडकल स्टाफ की उपलब्धता 24 घंटे रहती है। जिले में सरकारी व प्राइवेट अस्पताल तो बहुत हैं, लेकिन किसी भी अस्पताल में ट्रामा सेंटर की उपलब्धता नहीं हैं।
सरकारें जिला रूपनगर को एक अदद ट्रामा सेंटर उपलब्ध नहीं करवा सकी। जिले के भीतर से जो हाईवे गुजरता है, वो चंडीगढ़ से कुराली, रूपनगर के रास्ते कीरतपुर साहिब से बिलासपुर हिमाचल की तरफ चला जाता है, जबकि एक हाईवे कीरतपुर साहिब से नंगल डैम के रास्ते ऊना हिमाचल प्रदेश को निकलता है। जिले में इस हाईवे का 108 किलोमीटर एरिया है, जबकि इससे जुड़े संपर्क सड़कों को अगर मिला लिया जाए, तो लगभग सवा तीन सौ किलोमीटर एरिया बनता है।
नंगल में कोई हादसा हो तो घायलों को चंडीगढ़ पीजीआइ पहुंचाने के लिए 108 किलोमीटर सफर तय करना पड़ता है तथा अगर रूपनगर में कोई हादसा हो, तो घायलों को पीजीआइ लेकर जाने के लिए 45 किलोमीटर सफर तय करना पड़ता है।
एंबुलेंस की कोई कमी नहीं
जिले के सारे सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों को मिलाकर एंबुलेंस की उपलब्धता देखी जाए, तो 108 को मिलाकर लगभग 25 एंबुलेंस हर वक्त उपलब्ध हैं । इसके अलावा विभिन्न सस्थाओं एवं समाजसेवी संगठनों की कुल 55 एंबुलेंस हैं। सरकारी एंबुलेंस में तो स्टाफ की कोई कमी नहीं , लेकिन प्राइवेट एंबुलेंसों में स्टाफ नहीं होता एवं वह केवल मरीज की ढुलाई का काम ही करती हैं।
इसके अलावा जिला रूपनगर में दो टोल प्लाजा पड़ते हैं। एक सोलखियां के पास सीएचसी सीएंडसी कंपनी का है, तो दूसरा नक्कियां के पास रोहन एंड राजदीप कंपनी का है। इन दोनों टोल प्लाजा पर तीन एंबुलेंस हर वक्त उपलब्ध रहती हैं, लेकिन कुछ माह पहले तक इनमें काफी कमियां थीं, जिस बारे पता लगने पर विधायक एडवोकेट दिनेश चड्ढा ने कड़ा संज्ञान लिया। कंपनी को मोटा जुर्माना हुआ। अब इन एंबुलेंसों में स्टाफ के साथ पूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं।
जिले का नामः रूपनगर
जिले में सरकारी ट्रामा सेंटर कितनेः 00
कितना स्टाफ उपलब्धः 00 -
जिले में हाईवे पर एंबुलेंस की संख्याः 2
जिले में निजी ट्रामा सेंटर कितनेः 00
हाईवे से दूरी कितनी हैः 00