पेट्रो पदार्थो की कीमतों से लोग परेशान, सरकार करे समाधान
कोरोना संकट से अभी तक लोगों को मुक्ति मिली नहीं है जबकि पिछले कुछ माह से लगातार बढ़ती जा रही पेट्रोल डीजल व रसोई गैस की कीमतों ने हर वर्ग को परेशान करना शुरू कर दिया है।
संवाद सहयोगी, रूपनगर: कोरोना संकट से अभी तक लोगों को मुक्ति मिली नहीं है, जबकि पिछले कुछ माह से लगातार बढ़ती जा रही पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की कीमतों ने हर वर्ग को परेशान करना शुरू कर दिया है। हालांकि अभी तक रोजमर्रा की चीजों की कीमतों में उछाल नहीं आया है, लेकिन पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की कीमतों ने हर घर के बजट को बिगाड़ना शुरू कर दिया है। इस बारे दैनिक जागरण ने कुछ बुद्धिजीवियों के साथ बात कर उनकी प्रतिक्रिया जानने का प्रयास किया। देश में पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की कीमतों का बढ़ना या घटना अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करता है। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ती हैं तो केंद्र व राज्य सरकारों को अपना टैक्स एवं वैट को कम करते हुए आम लोगों को विशेषकर गरीब व मध्यम वर्ग को राहत देनी चाहिए।
आरके सरोज, रिटायर्ड रेलवे अधिकारी । पेट्रोल व डीजल की कीमतें अगर बढ़ती हैं, तो बाजार के अंदर हर चीज की कीमत में उछाल आना स्वभाविक होता है। सोई गैस की कीमत के बढ़ने से घरेलू बजट डगमगा गया है। गरीब व मध्यम वर्ग के हित में स्टेट टैक्स समाप्त होना चाहिए।
बलबीर सिंह अग्रवाल, समाज सेवी । केंद्र सरकार ने गरीब के घर को रसोई गैस व चुल्हा तो उपलब्ध करवा दिया है, लेकिन अगर इसी प्रकार रसोई गैस की कीमतें बढ़ती रहीं तो वही चूल्हा मात्र शोपीस बनकर रह जाएगा। अगर रसोई गैस की कीमतें कम नहीं हो सकती, तो सरकार को सब्सिडी बढ़ानी चाहिए।
ध्रुव नारंग, समाज सेवक। लगता है कि केंद्र व राज्य सरकार केवल बड़े घरानों के बारे सोचने वाली अपने चहेतों की झोलियां भरने वाली बन चुकी है। यही कारण है कि सरकार को गरीबों व मध्यम वर्ग के हालातों बारे एहसास नहीं हो रहा। पीएम व सीएम केा विचार करना चाहिए कि देश में अमीर कम व गरीब अधिक हैं।
अश्वनी शर्मा, शिवसेना नेता।