जद तक जान ऐ, वोटां तां पाउणियां ही पाउणियां
जब तक जिदगी बाकी ऐ चौणां च वोटां पाउणा साडा पहला फर्ज ऐ।
जागरण संवाददाता, रूपनगर
कोई चल फिर सकने से लाचार है, घर पर काम नहीं कर पाता। कोई बिस्तर पर पड़ा रहने के लिए मजबूर है, लेकिन भारत देश की सरकार के फैसले में वो हर तर्जुबेकार बुजुर्ग अपना हिस्सा डालने के लिए वचनबद्ध दिखा, जो शारीरिक तौर पर धीरे धीरे या तो लाचार हो रहा है या फिर लाचार हो चुका है। जिसमें सोचने समझने की शक्ति है वो मतदान के लिए पहुंच रहा है। उनके परिवार के सदस्य उन्हें मतदान केंद्र तक ला रहे हैं। कोई हिम्मत करके खुद चलकर मतदान केंद्र तक पहुंच रहा है। बस उनका मकसद है कि वो अपना योगदान देश की संसद के गठन के लिए करें। कई बुजुर्ग महिलाएं कम पढ़ी लिखी हैं लेकिन उनके पास तर्जुबा बड़े बड़े धुरंधरों से अच्छा है। बातचीत में गांव जटाणा के बुजुर्ग उजागर सिंह, हरबंस कौर, मुख्तयार कौर, रविदर कौर और गुरमीत कौर ने कहा कि वोटां तां पाणियां ही पाणियां सी। बस की करिये शरीर साथ नई दिदा। कई बार सोचिया कि रहण दइये वोटां पाऊं नू। फैर ख्याल आंदा ऐ जे असीं वी घर बैह गए फैर वोटां किवें पैणगियां। जब तक जिदगी बाकी ऐ, चौणां च वोटां पाउणा साडा पहला फर्ज ऐ। गांव दहीरपुर में बुजुर्ग कश्मीर कौर मतदान करने के बाद बाहर पिकलण के वृक्ष के नीचे बैठ गई। जागरण संवाददाता को अपनी तरफ आते देख वो उठ गई और चलने लगी। पूछने पर बोलीं कि मेरी उम्र तो उन्हें भी स्पष्ट नहीं है। हो सकता है कि 85-90 के बीच हो। झुककर चलने वाली कश्मीर कौर ने कहा कि जब तक जिदगी है लोकतंत्र के इस मेले में भागीदारी जरूरी है। 96 साल के चमकौर साहिब के गांव जगतपुर के हुकम सिंह ने मतदान के बाद कहा कि वोटां सारियां नूं पाउणी चाहिदियां ने। कोई वी ऐह नूं बेकार न समझे। बाकी वोट पाउ अपनी मर्जी नाल, जेहड़ा चंगा लग्गे।
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