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जिदगी मिलेगी न दोबारा, चाइना डोर से हमेशा के लिए पाएं छुटकारा

जिले में दो सालों में कई लोग लहूलुहान ही नहीं हुए बल्कि उनकी जिदगी की डोर भी कटते- कटते बची है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 10:49 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 06:09 AM (IST)
जिदगी मिलेगी न दोबारा, चाइना डोर से हमेशा के लिए पाएं छुटकारा
जिदगी मिलेगी न दोबारा, चाइना डोर से हमेशा के लिए पाएं छुटकारा

जागरण संवाददाता, रूपनगर: चाइना डोर इतनी घातक होती है कि इसकी चपेट में आने वाले गंभीर लोग से घायल हो जाते हैं। जिले में पिछले दो सालों में कई लोग लहूलुहान ही नहीं हुए , बल्कि उनकी जिदगी की डोर भी कटते- कटते बची है। बेशक चाइना डोर के कटने से कोई मौत जिले में पिछले कुछ सालों में नहीं हुई, लेकिन जो हादसे हुए हैं, वो इतने भयावह थे कि घायलों की हालत देखकर तब ऐसा नहीं लगता था कि वो बच पाएंगे। साल 2018 व 2019 में दो ऐसे दर्दनाक हादसे हुए हैं, जिनमें एक महिला सहित दो युवकों के गले में इतने गहरे घाव हो गए थे कि वह कई दिनों तक अस्पताल में उपचाराधीन रहे थे। वहीं बसंत पंचमी के दिन ही बीते साल जिले में दो बुजुर्गों समेत आठ लोग घायल हुए थे। अब ऐसी डोर पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद इसकी बिक्री रोकने के लिए जिम्मेदारी किसकी है और गंभीर घायल हुए लोगों के लिए दोषी कौन है, ये प्रशासन को ही तय करना होगा।

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30 जनवरी 2018 को चाइना डोर की वजह से हुए बेहद दर्दनाक हादसे में अध्यापिका रमा रानी गौतम का चेहरा ही बिगड़ गया। रमा गौतम तब माजरी जट्टां सरकारी स्कूल में पढ़ाती थी और एक्टिवा पर स्कूल से लौट रही थी। इसी बीच सड़क पर रमा के मुंह पर चाइना डोर लिपट गई और उसके चेहरे सहित गले पर गहरे कट लग गए थे। उसके बाद से रमा मलकपुर सरकारी स्कूल तक बस में ही सफर करती हैं। कटते- कटते बचा था गला सदाव्रत के रहने वाला सुलखन सिंह भी चाइना डोर की वजह से हादसे का शिकार हो चुके हैं। तीन फरवरी 2019 को जब वह मोटरसाइकिल पर रेलवे फाटक से रूपनगर की तरफ आ रहे थे , तो चाइना डोर उनके गले में आ लिपटी। इससे उनके गले में आधा इंच गहरा कट लग गया। मौके पर ही मोटरसाइकिल पर साथ सवार उसके रिश्तेदार ने उसे संभाला और सिविल अस्ताल पहुंचाया , जहां से डाक्टरों ने उसे जीएमसीएच सेक्टर 32 चंडीगढु रेफर कर दिया था।

चारू के मुंह पर पर लगे थे 25 टांके 28 जनवरी 2019 को शाम साढ़े पांच बजे एक्टिवा पर मोगा से अपने मायके घर आई चारू ग्रीन एवेन्यू कॉलोनी में अपने चाचा के घर जा रही थी। जब वह माउंट व्यू कॉलोनी के पास पहुंची तो चाइना डोर उसके मुंह से लिपट गई। इससे उसके कान से लेकर होंठ तक कट लग गया। उस समय उसके साथ उसकी चार साल की बेटी भी थी। चारू को उस समय 25 टांके लगे थे।

अपने शौक के लिए दूसरों की जिंदगी दांव पर न लगाएं मैं आज भी उस हादसे को भूल नहीं पाई हूं। मेरे मुंह पर आज भी खिचाव रहता है। चाइना डोर से हुए हादसे के बाद जिदगी ही बदल गई है। मेरी अपील है कि जो लोग जो चाइना डोर की बिक्री कर इसका इस्तेमाल करते हैं, वह दूसरों की जिदगी को अपने चंद मिनट के शौक के लिए दांव पर न लगाएं। धागे की डोर से पतंगबाजी हो, तो न सिर्फ आम लोग, बल्कि पक्षियों की जिदगी भी सुरक्षित रहेगी।

रमा रानी गौतम, अध्यापिका,सरकारी स्कूल, मलकपुर, रूपनगर।


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