मरम्मत को तरसा हाइडल चैनल पर बना पुल, पाइपों से रिसाव जारी; झाड़ियां उगीं
पुल के दोनों किनारों पर बेतरतीब बिछाई गई पाइप लाइनें आवागमन में बाधा पैदा कर रही हैं। बाहर की तरफ देखें तो पुल के दोनों तरफ बड़े-बड़े सरकंडे तथा झाड़िया उग गई हैं। इनमें सांप जैसे कई जहरीले जीव शरण लिए हुए हैं।
नंगल, सुभाष शर्मा। नंगल शहर की खूबसूरत मनोहरी वादियों की सुंदरता पर भाखड़ा मार्ग के रास्ते श्री आनंदपुर साहिब हाइडल चैनल प्रोजेक्ट का जर्जर पुल नंबर आरडी 450 धब्बा साबित हो रहा है। लंबे समय से यह पुल अनदेखी का शिकार है। चार दशक पहले बने पुल से गुजरती पाइप लाइनों से जहां पानी का रिसाव बरकरार है, वहीं कई बार निकासी बंद हो जाने के कारण यह पुल बरसात के समय झील बनकर शहरवासियों के आवागमन में भारी मुश्किल पैदा करता आ रहा है।
पुल के दोनों किनारों पर बेतरतीब बिछाई गई पाइप लाइनें आवागमन में बाधा पैदा कर रही हैं। बाहर की तरफ देखें तो पुल के दोनों तरफ बड़े-बड़े सरकंडे तथा झाड़िया उग गई हैं। इनमें सांप जैसे कई जहरीले जीव शरण लिए हुए हैं। गत नौ अगस्त को यहां करीब आठ फीट लंबा अजगर भी पकड़ा गया है। इसके अलावा रसल वाइपर व कोबरा जैसे सांप अक्सर पुल के आसपास घूमते रहते है।
इस नहर से होते हुए ही सतलुज का पानी नंगल डैम से आगे पंजाब के विभिन्न शहरों की ओर सप्लाई किया जाता है । इसके अलावा नहर पर लगे पावर प्लाट से सस्ती बिजली का उत्पादन भी पंजाब सरकार के राजस्व में सहयोग दे रहा है। पिछले महीनों के अंदर कर्मचारियों के बड़ी संख्या में रिटायर होने के बाद कई पद खाली पड़े हैं। ऐसे में मैन पावर के अभाव कारण नहर व पुलों का रखरखाव विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है। जरूरत महसूस की जा रही है कि जल्द नहर के पुलों की सुरक्षा व रखरखाव के लिए प्रयास तेज हों।
नंगल के कर्मचारी नेता हरपाल राणा करीब 15 साल पहले यह मांग उठा चुके हैं कि दशकों पहले बने पुलों की मजबूती के लिए सर्वेक्षण जरूर करवाया जाना चाहिए, लेकिन सर्वेक्षण करवाना तो दूर बल्कि पुलों की साफ-सफाई भी नहीं हो रही है, जबकि सरकार नंगल शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने तथा स्वच्छता का वातावरण पैदा करने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है।
न मैन पावर न बजट, काम चलाना मुश्किल
पावरकाम महकमा गंगूवाल डिवीजन के एक्सईएन इंद्र अवतार सिंह ने कहा है कि न तो महकमे के पास बजट है व न ही मैन पावर। कर्मचारियों के बड़ी संख्या में रिटायर होने के बाद से काम चलाना मुश्किल हो चुका है। तमाम हालातों पर आधारित केस बनाकर सरकार को भेजा जा रहा है। बजट मिलने पर ही नहर व पुलों का जरूरी काम शुरू हो सकेगा।