अलविदा कुल¨वदर, अंतिम विदाई देने उमड़ा जन सैलाब
नूरपुरबेदी नूरपुरबेदी में दोपहर 2 बजे तक मुकम्मल बाजार बंद रहे। पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ जवान कुल¨वदर ¨सह के अंतिम संस्कार में पूरा इलाका उमड़ पड़ा।
संवाद सहयोगी, नूरपुरबेदी
नूरपुरबेदी में दोपहर 2 बजे तक मुकम्मल बाजार बंद रहे। पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ जवान कुल¨वदर ¨सह के अंतिम संस्कार में पूरा इलाका उमड़ पड़ा। युवा तिरंगा और शहीद की फोटो हाथ में लेकर अंतिम यात्रा में शामिल हुए। पूरा श्मशानघाट जन सैलाब से भर गया। पांव रखने के लिए जगह न तो अंतिम यात्रा के चलने के दौरान गलियों में बची न ही श्मशानघाट में। लोग जहां शहीद कुल¨वदर ¨सह की याद में स्मारक बनाने की मांग उठा रहे थे वहीं परिवार को बनते लाभ व आर्थिक सहायता की मांग भी कर रहे थे।
शहीद के पिता ने कहा कि उसके लड़के ने देश के लिए शहादत प्राप्त की है, जिस पर हमें मान है। उन्होंने भरे मन के साथ कहा कि मेरे लड़के की शहादत बेकार नहीं जानी चाहिए और सरकार को ऐसे आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए, जिससे श्रीनगर और जम्मू में दहशत का साया खत्म हो सके। इस दौरान शहीद की माता अमरजीत कौर का रो-रोकर बुरा हाल था, जिसको रिश्तेदारों की तरफ से संभालना मुश्किल हो रहा था। शहीद के दादा करनैल ¨सह ने कहा कि हमारे बच्चों ने आतंकवादियों की बुजदिल कार्रवाई का जवाब अपनी शहादत देकर दिया है। कुल¨वदर का जीवन देश और कौम को समर्पित था और जो सदा हमारे सीने में दिल बन कर धड़कता रहेगा। मंगेतर पहुंची सलामी देने शहीद कुल¨वदर ¨सह जिसका 9 नवंबर को विवाह होना था, की मंगेतर सरबजीत कौर भी उसकी शहादत को सलाम करने से न रह सकी। उसने गांव रौली में पहुंचकर शहीद को श्रद्धांजलि भेंट की। इसके उपरांत वह बेसुध होकर गिर पड़ी जिसको पारिवारिक सदस्यों ने बहुत मुश्किल से संभाला। पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे शहीद कुल¨वदर ¨सह के पार्थिव शरीर को सुबह जब उसके गांव में लाया जा रहा था, तो सैंकड़ों की संख्या में काफिले के रूप में शहीद के ताबूत के आगे चल रहे नौजवानों और लोगों ने इंकलाब ¨जदाबाद, भारतीय फौज ¨जदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के जोरदार नारे लगाए। लोगों के गुस्से के उबाल से स्पष्ट लग रहा था कि उन में पाकिस्तान प्रति भारी रोष है। शहीद की याद में स्मारक बनाए सरकार शहीद कुल¨वदर ¨सह के गांव से संबंधित 1962 और 1965 की जंग लड़ चुके सीआरपीएफ के पूर्व इंस्पेक्टर पंडित हुसन चंद ने कहा कि पंजाब सरकार जल्द शहीद की याद में कोई ऐसा स्मारक बनाए जिसके साथ उसकी याद सदा के लिए लोगों के मन में बसी रहे। गांव के पूर्व सूबेदार मेजर और 1965 की जंग लड़ चुके पंडित हरी कृष्ण ने कहा कि शहीद के मां बाप की आर्थिक हालत को ध्यान में रखते हुए सरकार की तरफ से गरीब परिवार की आर्थिक सहायता की जाए। पूर्व इंस्पेक्टर रामपाल ने कहा कि कानवाय रवाना करने के लिए जिम्मेदार आरओपी को चुस्त-दुरुस्त बनाया जाए जिससे कि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लग सके।