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26 अक्टूबर से शुरू होगा वेबिनार

आनंदपुर साहिब श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कालेज में गणित विभाग डीबीटी स्टार कालेज स्कीम के अधीन एलजेब्रा एंड एप्लीकेशन विषय पर 26 अक्टूबर से सात नवंबर तक 14 दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन कर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 05:00 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 05:00 AM (IST)
26 अक्टूबर से शुरू होगा वेबिनार
26 अक्टूबर से शुरू होगा वेबिनार

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: शारदीय नवरात्र के आठवें दिन अष्टमी और नवमीं का पूजन हुआ। मां जगदम्बा का किसी ने हलवा पूरी तो किसी ने मिठाई, फल और मेवा का भोग लगाकर आशीर्वाद लिया। उनसे सभी दुखों को दूर करने और सुख देने का वरदान मांगा। कई जगह भंडारे भी हुए। कोरोना के चलते मंदिरों में भीड़ कम रही।

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पिछले शनिवार से शुरू हुए नवरात्रों में घर- घर चौकी और कलश की स्थापना हुई थी। जिसके चलते हर घर मंदिर बन गया था। सुबह से ही माता के पूजन, हवन और भोग की तैयारी शुरू हो जाती थी। शुक्रवार को सप्तमी के साथ काफी लोगों ने अष्टमी का व्रत रखकर पूजा की। वहीं शनिवार को मां दुर्गा के नौवें स्वरूप का पूजन कर उन्हें विदाई दी। सुबह से ही घरों में मैया के जयकारे गूंजने लगे। हलवा, पूरी और चना के साथ भाव भोग लगाकर मैया को रिझाने की कोशिश की।

कोरोना के चलते इस बार घरों में कन्या लांगुरा का भोज कम हुआ। हालांकि कन्याओं को खाने पीने और अन्य उपयोग में आने वाली चीजें भेंटकर उनका आशीर्वाद लिया। मुहल्लों में स्थित देवी मंदिरों से हवन सामग्री की सुगंध वातावरण में बिखरी रही। काफी लोगों ने शनिवार को अष्टमी को व्रत रखा वे रविवार को नवमी का पूजन करेंगे।

मंदिरों में किए माता के दर्शन, नृत्य पर रही रोक:

घरों में पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने राजराजेश्वरी कैला देवी, बड़ी माता, काली मंदिर और उसायनी स्थित वैष्णादेवी धाम में माता के दर्शन किए, लेकिन कोरोना के चलते इस बार चुनरी और श्रंगार का सामान नहीं चढ़ा सके। भोग और फूल माला चढ़ाने पर भी रोक रही। इन मंदिरों में अन्य नवरात्रों की तुलना में भीड़ काफी कम रही। लोगों क्रमवार दर्शन करने का मौका दिया गया। मंदिर के सामने खड़े होकर ही श्रद्धालुओं ने धूप और दीपक जलाए।

नहीं चढे़ नेजा, दंडौती भी नहीं लगी: नवरात्र महोत्सव फीरोजाबाद में हर बार धूमधाम से मनाया जाता है। नौ दिनों तक पूरा शहर देवीमय रहता है। जगह- जगह नेजों की धूम और बैंडबाजों की धुन पर नाचते लोग नजर आते थे। रातभर दंडौती परिक्रम लगती थीं, लेकिन कोरोना के चलते इस बार ऐसा कुछ नहीं हो सका। जगह जगह होने वाले भंडारे भी नजर नहीं आए।


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