हिमाचल कांग्रेस में ईमानदार लोगों को नहीं दी जा रही तरजीह
हिमाचल प्रदेश में काग्रेस की सभी ब्लॉक कमेटियों को भंग करने के फैसले को प्रदेश इंटक ने सराहा है।
जागरण संवाददाता, नंगल
हिमाचल प्रदेश में काग्रेस की सभी ब्लॉक कमेटियों को भंग करने के फैसले को प्रदेश इंटक ने सराहा है। हिमाचल इंटक के महासचिव एवं इंटक मीडिया कमेटी के अध्यक्ष कामरेड जगत राम शर्मा ने काग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गाधी के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला व पच्छाद के विधानसभा उपचुनावों में भी काग्रेस की गुटबाजी से पार्टी की हार हुई है। उन्होंने कहा कि काग्रेस कार्यकारिणी के गठन के लिए पार्टी को ऐसा पैमाना अपनाना होगा, जिससे पार्टी वापस पटरी पर आ सके, क्योंकि वर्तमान में काग्रेस का स्वरूप भी एकजुट नहीं लगता। जगत राम ने कहा कि अब पार्टी में काग्रेस की विचारधारा और नीतियों का प्रचार - प्रसार नहीं होता, केवल मतलब परस्त एवं चापलूस लोग मंत्रियों, विधायकों और बड़े नेताओं की चापलूसी में लगे रहते हैं। बड़े नेता भी अपने-अपने गुट को मजबूती प्रदान करने के साथ दूसरे गुट को नीचा दिखाने के लिए कोशिशें करते हैं। पहले की भाति अब काग्रेस में ईमानदार, धरती से जुड़े हुए लोगों और कर्मठ लोगों को तरजीह नहीं दी जा रही है। जो लोग अपने व्यवसायों व ठेकेदारी के कामों लगे रहते हैं, उनको काग्रेस में उच्च ओहदों की की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। ऐसे लोगों को काग्रेस की मूल विचारधारा का बिलकुल ज्ञान नहीं होता। जगत राम ने कहा कि केंद्र से जितने भी काग्रेस के प्रभारी आते हैं, उन्होंने कभी भी हिमाचल में गुटबंदी खत्म करने के लिए कोशिश नहीं की है, बल्कि इसे बढ़ावा ही दिया है। इसलिए काग्रेस गुटबंदी के कारण नीचे जा रही है। केवल अखबारों में जाकर एकता की बात की जाती है, लेकिन सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत होती है। उन्होंने सोनिया गाधी को सुझाव दिया है कि हिमाचल के वरिष्ठ नेताओं को इक्ट्ठे बैठाकर आदेश दें कि सभी पार्टी को सर्वोपरि मानकर संगठन के लिए ईमानदारी से कार्य करें। प्रदेश में सबसे अनुभवी व पार्टी की नीतियों का अच्छा ज्ञान रखने वाले तथा जिनकी धरातल पर पकड़ है, उन्हें नई जिम्मेदारी दी जाए। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, ठाकुर कौल सिंह व राम लाल ठाकुर हैं, जो काग्रेस को एकजुट कर सकते हैं। काग्रेस की नई कार्यकारिणी गठन के लिए उच्चाधिकारी राजनीतिक साक्षात्कार लें। इसमें उनसे जाना जाए कि वे काग्रेस के बारे में कितना जानते हैं।