आइआइटी रूपनगर ने बांटी 173 डिग्रियां
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नॉलॉजी रूपनगर (आइआइटी रूपनगर) द्वारा आज अपने स्थाई कैंपस में 7 वां वार्षिक डिग्री वितरण समारोह करवाया गया। जिसमें अब्दुल लतीफ जमिल विश्व जल के प्रोफेसर आफ वाटर एवं खुराक सुरक्षा प्रयोगशाला और मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नॉलॉजी यूएसए के डायरेक्टर प्रो.जोहन एच लिएनहार्ड वी मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल हुए। इस समागम की अध्यक्षता आइआइटी रूपनगर के निर्देशक प्रो.एसके दास ने की। इस वर्ष कुल 173 डिग्रियां प्रदान की गई जिनमें 103 बी टेक, 19 एमटेक, 27 एमएससी और 24 पीएचडी की डिग्रियां विद्यार्थियों को प्रदान की गई।
जागरण संवाददाता, रूपनगर : इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी रूपनगर (आइआइटी ) द्वारा आज अपने स्थाई कैंपस में 7वां वार्षिक डिग्री वितरण समारोह करवाया गया। जिसमें अब्दुल लतीफ जमील विश्व जल के प्रोफेसर आफ वाटर एवं खुराक सुरक्षा प्रयोगशाला और मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी यूएसए के डायरेक्टर प्रो. जोहन एच लिएनहार्ड वी मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल हुए। इस समागम की अध्यक्षता आइआइटी रूपनगर के निर्देशक प्रो. एसके दास ने की। इस वर्ष कुल 173 डिग्रियां प्रदान की गई जिनमें 103 बीटेक, 19 एमटेक, 27 एमएससी और 24 पीएचडी की डिग्रियां विद्यार्थियों को प्रदान की गई।
पहली बार आइआइटी रूपनगर ने बेस्ट थीसिस अवार्ड की शुरुआत की है और इस श्रेणी में 4 विद्यार्थियों डा. अरु बेरी (2016 में पीएचडी की), डॉ. बल¨वदर कौर (2016 में डिग्री की) और डॉ. सत्याजीत प्रामाणिक (2016 में डिग्री की) को सम्मानित किया गया। इस वर्ष के ग्रेजुएट बने विद्यार्थियों में से कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनिय¨रग विभाग के देवेंद्र प्रताप यादव ने प्रेजीडेंट आफ इंडिया गोल्ड मेडल प्राप्त किया, जबकि डायरेक्टर गोल्ड मेडल इलेक्ट्रिकल इंजीनिय¨रग विभाग के दीपक अत्री को प्रदान किया गया।
संस्थान सिल्वर मेडल दीपक अत्री, बीटेक इलेक्ट्रिकल इंजीनिय¨रग विभाग, रघवेंदर कुमार द्विवेदी, एमटेक मैकेनिकल इंजीनिय¨रग, अपूर्व कुशवाहा, एमएससी रसायन शास्त्र प्रोग्राम, ललित पांडे, एमएससी फिजिक्स प्रोग्राम और मनोज कुमार, एमएससी मैथेमेटिक्स प्रोग्राम को प्रदान किया गया। इतनी बांटी गई डिग्रियां
कुल 173 डिग्री में से पीएचडी की 24, एम टैक इन मैकेनीकल इंजीनीय¨रग 19, एमएससी 27, बीटैक इन कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनीय¨रग 40, बीटैक इन मैकेनीकल इंजीनिय¨रग 34, बी.टेक इन इलैक्ट्रीकल इंजीनिय¨रग की 29 डिग्रियां बांटी गई। प्रो. दास ने किया आइआइटी को विश्व स्तर की संस्था बनाने का आह्वान
कन्वोकेशन मौके विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए आइआइटी के निर्देशक प्रो. एसके दास ने कहा कि आज का दिन आप सब स्नातकों को समर्पित है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि ग्रेजुएट छात्र हमारे राजदूत के रूप में मुख्य मानवीय कीमतों और समाज के प्रति वचनबद्धता में सफल हों। आज के दौर में यह मुश्किल कार्य केवल अकादमिक भाईचारे में आइआइटी रूपनगर के बारे एक सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करके ही पूरा किया जा सकता है। आइआइटी रूपनगर को एक विश्व स्तर की संस्था बनाने का आह्वान किया। कैंपस प्लेसमेंट में हमारी कारगुजारी पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ी है। 90.24 प्रतिशत विद्यार्थियों की प्लेसमेंट इस साल हुई है। 90.29 प्रतिशत से ज्यादा कंप्यूटर विज्ञान इंजीनिय¨रग, करीब 92 प्रतिशत मैकेनिकल और 81.82 प्रतिशत इलेक्ट्रिकल इंजीनिय¨रग विद्यार्थियों की प्लेसमेंट कैंपस इंटरव्यू के द्वारा की गई है। इस प्लेसमेंट दौरान ग्रेजुएट हो रहे बैचलर विद्यार्थियों को प्रति साल 11.70 लाख का औसत पैकेज पेश किया गया था।
इन्होंने किया गौरवान्वित प्रो. दास ने बताया कि इस साल विद्यार्थियों और फैकल्टी द्वारा जीते गए अलग-अलग पुरस्कारों पर संस्थान को गर्व है, जिनमें से कई राष्ट्रीय पुरुस्कार शामिल हैं। डॉ. दरबापाल, डॉ. श्रीवास्तव नायडू, डॉ. पुनीत गोयल, डा. सुमन कुमार ने विज्ञान और इंजीनिय¨रग के लिए अर्ली कैरियर रिसर्च पुरुस्कार जीते हैं। प्रोफेसर जावेद एन एडरायला को जेसी बोस फैलोशिप का गर्व हासिल हुआ है। खोज में आइआइटी रूपनगर की शानदार यात्रा जारी रखने में, हमारे डॉक्टरेट विद्यार्थियों के यत्नों का ¨सगापुर में 2019 ग्लोबल यंग वैज्ञानिक सम्मेलन में चयन करके प्रमाणित किया गया है। जिन्होंने विद्यार्थियों को इस चयन के द्वारा सम्मानित किया गया है उन्होंने आकृति सक्सेना, आमिका शाबरा, बेअंत कौर, भरत उगले और कमल मल्होत्रा शामिल हैं।
हर बूंद को रिसाइकिल करके बचाया जा सकता है पानी : प्रो. जोहन
अब्दुल लतीफ जमील विश्व जल के प्रोफेसर आफ वाटर एवं खुराक सुरक्षा प्रयोगशाला और मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नॉलॉजी यूएसए के डायरेक्टर प्रो. जोहन एच लिएनहार्ड वी ने कहा कि वो आइआइटी पास करने वाले सभी युवाओं को बधाई देते हैं। उनका मानना है कि सुरक्षित पानी और पौष्टिक भोजन की भरपूरता यकीनी बनाने के लिए विज्ञान और इंजीनिय¨रग जरूरी है। अगर हम अपने शहरों या समुदायों के अंदर काम करते हैं, तो हम भरोसेयोग्य और सुरक्षित पानी की समस्या का हल कर सकते हैं। अगर संसार की कौमों के साथ मिल कर काम करते हैं तो हम बदल रहे जलवायु को कंट्रोल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि निकटवर्ती भविष्य में जिन सबसे बड़ी समस्याओं का हम सामना करेंगे उनमें से एक पानी की समस्या है। पानी की उपलब्धता संभव तौर पर दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती होगी और भारत का सामना इस समस्या के साथ सबसे अधिक तेजी के साथ होगा। उन्होंने कहा कि इस समस्या का केवल एक ही हल है कि हर बूंद जिसको हम इस्तेमाल करते हैं, को रिसाइकिल किया और पानी की संभाल और साफ किया जाए। इसको तकनीकी सफलता और कुछ कड़े प्रबंधन की जरूरत होगी।