सच्चे दिल से गणेश पूजा करने वाले पाते हैं मन की मुरादें: शास्त्री
श्री हनुमान मंदिर पुराना गुरुद्वारा में शुक्रवार को गणेश उत्सव शुरू हो गया। प्रातकाल से चल रही तैयारी के बाद पूजा अर्चना करके मूर्ति को प्रतिष्ठापित किया गया।
जागरण संवाददाता, नंगल : श्री हनुमान मंदिर पुराना गुरुद्वारा में शुक्रवार को गणेश उत्सव शुरू हो गया। प्रात:काल से चल रही तैयारी के बाद पूजा अर्चना करके मूर्ति को प्रतिष्ठापित किया गया। आयोजन समिति के अध्यक्ष महेश कालिया की देखरेख में एक सितंबर तक चलने वाले कार्यक्रम के पहले दिन कथा में पं. राजेंद्र प्रसाद शास्त्री ने बताया कि गणेश उत्सव 1894 ईसवी में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी ने प्रारंभ किया ताकि आपस में सब लोग मिलकर सुंदर समाज की संरचना कर सकें।
उन्होंने कहा कि समस्त देश तथा विदेश में गणपति उत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है साथ ही गणेश पुराण के अनुसार एक कथा आती है कि वेद व्यास जी ने श्री गणेश जी को महाभारत लिखने के लिए कहा और शर्त रखी कि बिना रुके महाभारत लिखना है। गणेश जी ने वेद व्यास जी की बात मान ली और गणपति चतुर्थी दिवस पर श्री महाभारत लिखना प्रारंभ किया। 10 दिन तक यानी अनंत चतुर्दशी तक गणेश जी भूख-प्यास से परेशान हो गए उनके शरीर की जो मिट्टी थी वह झड़ने लगी। वेद व्यास जी को दया आई और उन्होंने 10वें दिन गणेश जी की बनी हुई मूर्ति का विसर्जन कर दिया।
इसलिए तब से मान्यता है कि हर साल गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणपति जी का पर्व मनाया जाए। यही आशा है गणपति जी आएंगे और हम सबके कष्टों को आगे ले जाएंगे। इसी आशा के साथ वे आते हैं तथा निश्चित रूप से सच्चे दिल से पूजा अर्चना करने वाले भक्त मन की मुरादें पाते हैं। आयोजकों ने बताया कि एक सितंबर को दोपहर 12 बजे सतलुज पार्क के निकट सतलुज झील में विघ्नहर्ता गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा।