रंग लाने लगा कृषि विभाग का जागरूकता अभियान
रूपनगर पराली को आग लगाने से होने वाले नुकसान बारे किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग का शुरू किया गया जागरूकता अभियान रंग लाने लगा है ।
संस, रूपनगर: पराली को आग लगाने से होने वाले नुकसान बारे किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग का शुरू किया गया जागरूकता अभियान रंग लाने लगा है । अभियान से प्रभावित होकर जिले के अनेक किसानों ने पराली को आग लगाना पूरी तरह से बंद कर दिया है। ऐसे किसान फसलों की पराली को खेत में ही मिलाते हुए उसका खाद के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। गांव ध्यानपुरा के रहने वाले किसान मलकीयत सिंह पिछले कुछ सालों से पराली को आग लगाने का रुझान छोड़ने के बाद जहां हर सीजन में अगली फसल लगाने लगे हैं, वहीं पहले से अधिक लाभ भी कमा रहे हैं। उनके अनुसार उनके पास कुल दस एकड़ जमीन है, जिस पर वह धान व गेहूं की खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के अभियान से प्रभावित होकर उन्होंने पहले पराली को आग लगाना बंद किया। वह पराली को जमीन में ही मिलाते हुए खेत में पानी छोड़ देते हैं, जिससे दो-तीन दिन में वही पराली खाद बन जाती है। इससे जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ी है व पानी तथा खाद की बचत भी होने लगी है।
गांव बडवाली के किसान पुष्पिंदर सिंह ने कहा कि जागरूकता कैंप से प्रभावित होकर उन्होंने पराली को आग लगाने के बजाय खेतों में ही मिलाने की विधि अपनाई। यह विधि इतनी कारगर साबित हुई कि उसे कम खर्चे पर फसल का अधिक झाड़ मिलने लगा है। इसके लिए वह अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं। गांव चलाकी के रहने वाले किसान सतविदर सिंह ने बताया कि कृषि के लिए उपलब्ध आधुनिक उपकरणों का प्रयोग करते हुए उसे अपनी दस एकड़ जमीन से पहले की तुलना में 10 से 15 फीसद अधिक झाड़ मिलना शुरू हो गया है। पराली को जलाना बंद करने से थोड़ी मेहनत तो जरूर करनी पड़ती है लेकिन इस मेहनत से जहां पैसे, पानी व खादों की बचत होने लगी है वहीं धरती की उपजाऊ क्षमता में भी बढ़ोतरी हुई है । गांव शामपुरा के किसान जसवंत सिंह ने बताया कि वह अपनी 30 एकड़ जमीन में धान व गेहूं की खेती करता है। कृषि विभाग के संपर्क में आने के बाद से उसने गेहूं की बिजाई जीरो ड्रिल से करनी शुरू की। इस प्रकार की गई खेती से उसे पहले की तुलना में ज्यादा लाभ मिलने लगा है । पराली को खेत में मिलाना भी लाभकारी साबित हो रहा है।