न पराली जलाएंगे न ही अन्य को जलाने देंगे
धान की पराली को आग न लगाकर इसका सुचारू निपटारा करने के लिए एक सेमिनार विज्ञान केंद्र में आयोजित किया गया।
जागरण संवाददाता, रूपनगर: कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को धान की पराली को आग न लगाकर इसका सुचारू निपटारा करने के लिए जिला स्तरीय सेमिनार का विज्ञान केंद्र में आयोजन किया गया। दैनिक जागरण के सहयोग से आयोजित इस कैंप में जिलेभर से आए अग्रणी किसानों का कृषि विज्ञान केंद्र के प्रबंधकों और दैनिक जागरण परिवार ने स्वागत किया। सेमिनार में आए किसानों ने पराली न जलाने का प्रण लेकर अन्य किसानों को भी पराली को जलाने से उससे होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करने की बात कही। कृषि विज्ञान केंद्र रूपनगर के डॉ. संजीव आहुजा ने किसानों को धान की पराली न जलाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने पराली को निपटाने के लिए सही प्रबंध करने की बात कही। अस्सिटेंट प्रोफेसर (मिट्टी विज्ञान) डॉ. उपिदर सिंह संधू ने किसानों को गेहूं की बिजाई हैपी सीडर से करने की विधियां बताई । उन्होने केंद्र सरकार के कई प्रोजेक्टों के तहत आई अन्य मशीनों के बारे में भी बताया। कार्यक्रम के दौरान अस्सिटेंट डायरेक्टर (पौध सुरक्षा) डॉ. पवन कुमार ने किसानों से बातचीत में किसानों को धान और गेहूं में लगने वाले कीड़ों और बीमारियों की रोकथाम के बारे जानकारी दी। पराली को खेतों में मिलाकर आलू की अच्छी पैदावार ले रहा हूं: सरबजीत सिंह सेमिनार में आए गांव ठौणा के किसान सरबजीत सिंह ने बताया कि वह पांच साल से पराली को संभाल रहे हैं। पराली को खेतों में ही मलचर तकनीक से मिला देते हैं। फिर पलटावां हल और फिर तवियों से मिट्टी को नर्म कर देते हैं। इसमें बेशक उनका 50 लीटर डीजल प्रति एकड़ ज्यादा लगता है, लेकिन इसे खेती उपजाऊ हो गई है। दो से तीन साल में इसका असर देखने को मिला। बीजे गए आलू की फसल की अच्छी पैदावार हो रही है।