किसान यूनियन ने फेंकवाई सब्जियां व दूध
शनिवार को ज्ञानी जैल ¨सह नगर में लगती किसान मंडी में अपनी सब्जी तथा फल बेचने आए व्यापारियों को भारती किसान यूनियन (कादियां) के नेताओं ने न सिर्फ रोक दिया बल्कि कई किसानों ने अपनी सब्जियां क्रेटों में से सड़क पर गिरा दी।
जागरण संवाददाता, रूपनगर
शनिवार को ज्ञानी जैल ¨सह नगर में लगती किसान मंडी में अपनी सब्जी तथा फल बेचने आए व्यापारियों को भारती किसान यूनियन (कादियां) के नेताओं ने न सिर्फ रोक दिया बल्कि कई किसानों ने अपनी सब्जियां क्रेटों में से सड़क पर गिरा दी। उधर, किसान मंडी में अफरातफरी का माहौल बन गया। हालात को काबू करने के लिए एसएचओ सिटी गुरसेवक ¨सह अपनी टीम के साथ पहुंच गए, लेकिन प्रदर्शनकारी किसान नेता एसएचओ के व्यवहार को लेकर एतराज करने लगे तथा एसएचओ पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। भारतीय किसान यूनियन (कादियां) के ब्लॉक प्रधान रू¨पदर ¨सह रूपा ने कहा कि अगर कोई किसान इस संघर्ष के दौरान पुलिस के व्यवहार से तंग आकर आत्महत्या का रास्ता अपनाएगा, तो उसकी जिम्मेदारी एसएचओ की होगी। इस दौरान भारतीय किसान यूनियन (कादियां) के जिला प्रधान गुरनाम ¨सह जसड़ां तथा ब्लॉक प्रधान रू¨पदर ¨सह रूपा ने कहा कि स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू करने के लिए केंद्र सरकार गंभीर नहीं है। किसानों के दस दिन के आंदोलन के दौरान किसान भाई न तो सब्जी, फल और न ही दूध बिक्री करेंगे। यानी शहर में बिक्री करने नहीं जाएंगे। जो किसान ऐसा करेंगे उन्हें रोका जाएगा। उन्होंने कहा कि महंगाई के दौर में जिस तरह बाकी चीजों के दाम बढ़ रहे हैं क्या किसानों की फसलों, दूध के दाम नहीं बढ़ने चाहिए। किसान क्यों अपने हकों के लिए संघर्ष करे। तल¨वदर ¨सह गग्गों, उपाध्यक्ष धर¨मदर ¨सह भूरड़े, जरनैल ¨सह, बल¨वदर ¨सह भी मौजूद थे। आढ़ती बोले नहीं खरीदेंगे सब्जी शुक्रवार देर रात रूपनगर की मुख्य सब्जी मंडी में सब्जी बेचने पहुंचे किसानों को सब्जी बेचने से रोकने के लिए भारतीय किसान यूनियन (कादियां) के नेता पहुंच गए। मौके पर एक बार माहौल तनावपूर्ण हुआ लेकिन बाद में आढ़ती एसोसिएशन ने ये विश्वास दिलाकर विरोध खत्म करवाया कि आढ़ती दस जून तक किसानों से सब्जियां नहीं खरीदेंगे। लंबी हड़ताल का छोटे किसानों ने किया विरोध उधर, छोटे किसानों ने बंद का विरोध किया। छोटे किसानों कुलदीप ¨सह बड़ी हवेली, सरबजीत ¨सह, मलकीत ¨सह डकाला, जगदीप ¨सह गढ़ी ने कहा कि किसानों की मांगों को लेकर संघर्ष जायज है, लेकिन इस तरह नहीं कि किसान अपनी सब्जी न बेचे न पशु पालने वाला डेयरी वाले को दूध बेचे। इससे तो किसनों का ही नुकसान है। जो फसल तैयार हो गई है तथा पशु दूध दे रहे हैं क्या वो बेचे न तो क्या करें। लेबर अलग से दिहाड़ी की मांग करती है। जब किसान कमाएंगे ही नहीं परिवार कैसे पालेंगे। ये कोई सोचता नहीं है।