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सरकार के खिलाफ धरने पर कर्मचारी, डाक्टरों ने सिविल सर्जन दफ्तर को लगाई कुंडी

न तो डीसी दफ्तर के बाबुओं का गुस्सा सरकार के प्रति शांत हो रहा है और न ही सरकारी स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों का।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 10:07 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 10:07 PM (IST)
सरकार के खिलाफ धरने पर कर्मचारी, डाक्टरों ने सिविल सर्जन दफ्तर को लगाई कुंडी
सरकार के खिलाफ धरने पर कर्मचारी, डाक्टरों ने सिविल सर्जन दफ्तर को लगाई कुंडी

जागरण संवाददाता, रूपनगर:न तो डीसी दफ्तर के बाबुओं का गुस्सा सरकार के प्रति शांत हो रहा है और न ही सरकारी स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों का। मांगों की अनदेखी पर डीसी दफ्तर के मुलाजिम सोमवार से कलम छोड़ हड़ताल पर चले गए हैं और डाक्टरों ने भी ओपीडी मुकम्मल बंद कर दी है। अब सिविल अस्पताल में रोजाना 400 से 500 ओपीडी प्रभावित होगी। रूपनगर में डीसी दफ्तर में पंजाब राज जिला डीसी दफ्तर कर्मचारी यूनियन की जिला इकाई ने मुलाजिमों की मांगों को न मानने के विरोध में आज भी कलम छोड़ हड़ताल के दौरान जिला हेडक्वार्टर पर प्रदर्शन करने और चार अगस्त को कांगड़ (बठिडा) में मंत्री की कोठी का घेराव प्रोग्राम में शिरकत करने का एलान किया है। दूसरी तरफ, रूपनगर सिविल सर्जन दफ्तर का मेन गेट को कुंडी लगाकर डाक्टरों ने बंद करवा दिया। इस दौरान दफ्तरों में बैठे सिविल सर्जन डा.परमिदर कुमार और सहायक सिविल सर्जन अंजू बाला व अन्य अधिकारियों को डाक्टरों ने अपने प्रदर्शन में शामिल करते हुए दफ्तर में कामकाज बंद करवा दिया। डाक्टरों ने एनपीए बहाल करने और पे कमीशन रद करने और पंजाब सरकार के खिलाफ नारे लगाए। डाक्टर जगदीप चौधरी ने बताया कि डाक्टरों की जायज मांग एनपीए बहाल करना चाहिए। पीसीएमएस यूनियन के बैनर तले डाक्टर सरकारी ओपीडी पर्ची का बहिष्कार करके यूनियन की पर्ची पर आम लोगों को ओपीडी में जांच रहे थे, लेकिन सरकार ने डाक्टरों की मांगों को नजरंदाज कर दिया। इसलिए डाक्टरों को ओपीडी मुकम्मल बंद करनी पड़ी। कर्मचारियों ने डीसी दफ्तर के आगे लगाए नारे

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उधर डीसी दफ्तर के आगे धरने में कर्मचारियों ने पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कर्मचारियों ने कामकाज बंद रखा, जिससे मैरिज सर्टिफिकट, जातिख् इंकम सर्टिफिकेट और रजिस्ट्रेशन के काम मुख्य तौर पर प्रभावित रहे। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि सरकार यूनियन की मुख्य मांग सीनियर सहायक से नायब तहसीलदार बनने के लिए कोटा 50 फीसद करने, पुनर्गठन संबंधी पत्र वापस लेकर डीसी दफ्तरों में स्टाफ पूरा करने, पदों के नाम बदलने संबंधी मानी गैर वित मांगों को तुरंत लागू करने, स्टैनो काडर की पदोन्नति की मानी गई मांगों को लागू करे


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