एक साथ जली तीन भाई-बहनों की चिता, शव देखकर मां बेहोश
नूरपुरबेदी नूरपुरबेदी में गत दिनों एक झोपड़ी में अचानक लगी आग में तीन जिदा जले तीन भाई-बहनों का मंगलवार बाद दोपहर एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया।
संवाद सहोयगी, नूरपुरबेदी
नूरपुरबेदी में गत दिनों एक झोपड़ी में अचानक लगी आग में तीन जिदा जले तीन भाई-बहनों का मंगलवार बाद दोपहर एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों के बिछड़ने के कारण सुधबुध खो बैठे थे और उनका रो-रोकर बुरा हाल था। मां अपने बच्चों को पुकारते हुए कई बार बेहोश हुई। उल्लेखनीय है कि नूरपुरबेदी-रूपनगर मार्ग पर विश्वकर्मा मंदिर के पीछे नई आबादी मोहल्ला में पिछले लंबे समय से रहते मजदूर राज कुमार वासी गांव सिसरका, जिला बदायूं (उत्तर प्रदेश) की झोंपड़ी को उस समय आग लग गई थी जब वह और उसकी पत्नी घर में नही थे। राज कुमार मजदूरी करने और माता घर का चूल्हा जलाने के लिए लकड़ियां एकत्र करने गई हुई थी। जबकि तीनों बच्चे शिवम, बिलास और रोशनी को झोपड़ी में सोता हुआ छोड़कर बाहर से दरवाजा बंद करके चल गई थी। उसके जाने के बाद में झोपड़ी को अचानक आग लग गई व तीनों मासूम बच्चे जिदा जल गए। जिसमें से शिवम की मौके पर मौत हो गई थी जबकि बिलास ने पीजीआइ चंडीगढ़ ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया था, जबकि लड़की रोशनी ने भी पीजीआइ चंडीगढ़ में दम तोड़ दिया था। शिवम का पोस्टमार्टम आंनदपुर साहिब में जबकि बिलास और रोशनी का पोस्टमार्टम रूपनगर के सरकारी अस्पतालों में करवाने के बाद जब तीनों बच्चों के शव घर लाए गए तो बच्चों के माता-पिता व रिश्तेदारों का बुरा हाल हो गया। बच्चों के गम में सुधबुध खो बैठे पिता राज कुमार ने कहा कि जब वह 13 वर्ष का था तो माता-पिता उसे छोड़ गए थे लेकिन अब तीनों बच्चों के जाने से मैं अनाथ हो गया हूं। वहीं
तीन बच्चों के आग में जिदा जलने की खबर ने लोगों को हिला कर रख दिया। हालांकि क्षेत्रवासी इस परिवार के साथ दुख की घड़ी में साथ खड़े थे, लेकिन संस्कार के दौरान मेले में व्यस्त प्रशासनिक अधिकिारियों ने गरीब परिवार को सांत्वना देना भी उचित नहीं समझा, जिसके कारण क्षेत्रवासियों में प्रशासन के प्रति रोष पाया जा रहा है। प्रशासन पीड़ित परिवार को मुआवजा दे बच्चों के अंतिम संस्कार मौके पहुंचे हलका विधायक रूपनगर अमरजीत सिंह संदोआ ने बच्चों के माता-पिता को दिलासा देते हुए उनके साथ गहरी संवेदना जताई। उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत कुदरती रूप से नहीं बल्कि अचानक हुए हादसे में हुई है। लेकिन इस दुख की घड़ी में किसी भी प्रशासनिक अधिकारी का न आना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे मौके पर पहुंचना हमारा नैतिक कर्तव्य होने के साथ साथ जिम्मेदारी भी है। जिला प्रशासन को चाहिए कि परिवार का दुख बांटने के लिए पीड़ित दंपति को जल्द से जल्द मुआवजा राशि प्रदान की जाए। वह इस संबंध में डीसी रूपनगर डॉ.सुमित जारंगल से मिलकर पीड़ित परिवार को जल्द सहायता उपलब्ध करवाने के लिए कहेंगे। इस मौके जगन्नाथ भंडारी, पूर्व सरपंच वरिदर बुली, मास्टर गुरनैब सिंह, पूर्व पंच गुरनैब सिंह, अश्वनी चड्ढा, डॉ.दविदर बजाड़, त्रिलोचन सिंह, हरी कृष्ण, जोगिदर सिंह, सुरिदरपाल, जगतार सिंह सहित बड़ी संख्या में शहरवासी उपस्थित थे।